देश में नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों के संदर्भ में इनकी वर्तमान स्थिति और प्राप्त किए जाने वाले लक्ष्यों का विवरण दीजिए। प्रकाश उत्सर्जक डायोड (एल० ई० डी०) पर राष्ट्रीय कार्यक्रम के महत्त्व की विवेचना संक्षेप में कीजिए। (200 words) [UPSC ...
भारत में नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार: तथ्यों और भयों की विवेचना 1. नाभिकीय ऊर्जा का महत्व: ऊर्जा की बढ़ती मांग: भारत की तेजी से बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिकीकरण के चलते, ऊर्जा की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है। नाभिकीय ऊर्जा एक स्थिर और उच्च उत्पादन क्षमता वाली ऊर्जा स्रोत है, जो ऊर्जा की कमीRead more
भारत में नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार: तथ्यों और भयों की विवेचना
1. नाभिकीय ऊर्जा का महत्व:
- ऊर्जा की बढ़ती मांग: भारत की तेजी से बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिकीकरण के चलते, ऊर्जा की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है। नाभिकीय ऊर्जा एक स्थिर और उच्च उत्पादन क्षमता वाली ऊर्जा स्रोत है, जो ऊर्जा की कमी को पूरा कर सकती है।
- वातावरणीय लाभ: नाभिकीय ऊर्जा कम कार्बन उत्सर्जन के साथ काम करती है, जिससे यह जलवायु परिवर्तन की चुनौती को कम करने में सहायक है। इससे ग्रहणीयता को बढ़ावा मिलता है और वातावरणीय प्रभाव कम होता है।
2. नाभिकीय ऊर्जा से संबंधित तथ्यों:
- ऊर्जा उत्पादन: भारत में नाभिकीय ऊर्जा की उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो रही है। वर्तमान में, भारत के पास 22 नाभिकीय रिएक्टर हैं, जो कुल ऊर्जा उत्पादन का लगभग 3% योगदान करते हैं।
- अनुसंधान और विकास: भारत ने थोरियम आधारित रिएक्टर जैसे आधुनिक नाभिकीय प्रौद्योगिकी पर अनुसंधान और विकास किया है। भारत की नाभिकीय नीति का एक हिस्सा स्थानीय स्रोतों का उपयोग करना है, जैसे कि थोरियम, जो भारत में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
3. नाभिकीय ऊर्जा से संबंधित भयों:
- सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: नाभिकीय दुर्घटनाएँ, जैसे फुकुशिमा और चेरनोबिल, ने नाभिकीय ऊर्जा की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं। रिएक्टरों में दुर्घटनाएँ और रेडियेशन रिसाव के खतरे को लेकर लोगों में चिंता बनी रहती है।
- न्यूक्लियर वेस्ट: नाभिकीय अपशिष्ट (वेस्ट) की संग्रहण और प्रबंधन की समस्याएँ एक बड़ी चुनौती हैं। लंबे समय तक रेडियोधर्मी अपशिष्ट का सुरक्षित तरीके से निपटान करना आवश्यक है।
- भौगोलिक और राजनीतिक जोखिम: नाभिकीय सामग्री और प्रौद्योगिकी की सुरक्षा को लेकर भौगोलिक और राजनीतिक तनाव भी एक चिंता का विषय है।
4. निष्कर्ष: भारत को अपनी नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार जारी रखना चाहिए, क्योंकि यह ऊर्जा सुरक्षा और वातावरणीय स्थिरता के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। हालांकि, सुरक्षा संबंधी चिंताओं और न्यूक्लियर वेस्ट के प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए, सतर्कता और सुरक्षित नीतियों को अपनाना आवश्यक है। यह सुनिश्चित करना होगा कि नाभिकीय ऊर्जा का विकास सतत और सुरक्षित तरीके से हो, ताकि इसके लाभ को जोखिम से बचाया जा सके।
See less
देश में नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों की वर्तमान स्थिति और प्राप्त किए जाने वाले लक्ष्य भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, और इसका उद्देश्य 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना है। वर्तमान में, भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 176 गीगावॉट है, जिसमें प्रमुखRead more
देश में नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों की वर्तमान स्थिति और प्राप्त किए जाने वाले लक्ष्य
भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, और इसका उद्देश्य 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना है। वर्तमान में, भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 176 गीगावॉट है, जिसमें प्रमुख स्रोत निम्नलिखित हैं:
भारत की सौर ऊर्जा क्षमता लगभग 61 गीगावॉट है। सौर पार्कों और सौर Rooftop परियोजनाओं ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 2023 में, भारत ने 30,000 मेगावॉट की सौर ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य पूरा किया।
भारत की पवन ऊर्जा क्षमता लगभग 42 गीगावॉट है। तमिलनाडु और गुजरात जैसे राज्यों में बड़े पवन ऊर्जा पार्क स्थापित किए गए हैं।
बायोमास और छोटे जलविद्युत परियोजनाएँ मिलाकर लगभग 27 गीगावॉट की क्षमता है।
प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) पर राष्ट्रीय कार्यक्रम का महत्त्व
प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) पर राष्ट्रीय कार्यक्रम ने ऊर्जा दक्षता में क्रांति ला दी है। इसके महत्त्व को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:
LED बल्ब पारंपरिक इन्कैंडसेंट बल्बों की तुलना में 80% तक अधिक ऊर्जा बचाते हैं। 2019 में, भारत ने लगभग 36 करोड़ LED बल्ब वितरित किए, जिससे बिजली की बचत में योगदान मिला।
LED बल्ब की लंबी उम्र और कम ऊर्जा खपत से लंबे समय तक लागत में कमी आई है। यह गरीब और ग्रामीण इलाकों में ऊर्जा खर्च को कम करने में मदद करता है।
LEDs की कम ऊर्जा खपत और कम कार्बन उत्सर्जन से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, जिससे भारत की जलवायु लक्ष्यों की दिशा में प्रगति हुई है।
निष्कर्ष
नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की प्रगति और LED पर राष्ट्रीय कार्यक्रम दोनों ही ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। ये उपाय भारत को सतत विकास की ओर अग्रसर करने में सहायक हैं।
See less