स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में सुभाषचन्द्र बोस एवं महात्मा गाँधी के मध्य दृष्टिकोण की भिन्नताओं पर प्रकाश डालिए। (200 words) [UPSC 2016]
20वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में, भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में प्रवासी भारतीयों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये प्रवासी भारतीय विदेश में भारत की स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाने और समर्थन प्रदान करने में सक्रिय रहे। विदेशी देशों में रहकर भारतीय समुदायों ने विदेशी सरकारों को भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष की भूमRead more
20वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में, भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में प्रवासी भारतीयों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये प्रवासी भारतीय विदेश में भारत की स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाने और समर्थन प्रदान करने में सक्रिय रहे।
विदेशी देशों में रहकर भारतीय समुदायों ने विदेशी सरकारों को भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष की भूमिका और महत्व के प्रति जागरूक किया। उन्होंने विदेशी समाचार पत्रिकाओं, आंतरराष्ट्रीय संगठनों, और राजनैतिक नेताओं के साथ मिलकर भारत की आजादी के लिए अभियान चलाया।
भारतीय विदेश में रहने वाले नेताओं में विवेकानंद, महात्मा गांधी, लाला हरदयाल, भगत सिंह, सरोजिनी नायडू, और अन्य महान व्यक्तियों ने भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने विदेश में भारत की समस्याओं और स्वतंत्रता मुद्दों पर चर्चा की और अंतरराष्ट्रीय समर्थन प्राप्त किया।
इन प्रवासी भारतीयों की भूमिका ने भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया और विदेशी समर्थन को बढ़ावा दिया। उनका संघर्ष और समर्थन ने भारतीय आजादी को मजबूत किया और उसे अंततः सफलता तक पहुंचाया।
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भारत में उपनिवेश-विरोधी संघर्ष को प्रेरित करने वाली प्रमुख वैश्विक गतिविधियाँ **1. राजनीतिक गतिविधियाँ द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) ने वैश्विक शक्ति संतुलन को बदल दिया और भारत में उपनिवेश-विरोधी भावना को तेज किया। युद्ध के दौरान, ब्रिटिश साम्राज्य की कमजोरी स्पष्ट हुई और भारत के स्वतंत्रता संग्राRead more
भारत में उपनिवेश-विरोधी संघर्ष को प्रेरित करने वाली प्रमुख वैश्विक गतिविधियाँ
**1. राजनीतिक गतिविधियाँ
द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) ने वैश्विक शक्ति संतुलन को बदल दिया और भारत में उपनिवेश-विरोधी भावना को तेज किया। युद्ध के दौरान, ब्रिटिश साम्राज्य की कमजोरी स्पष्ट हुई और भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं ने इसका लाभ उठाया। अटलांटिक चार्टर (1941) और ब्रिटिश राष्ट्रीय धारा (1942) ने आत्मनिर्णय और स्वतंत्रता के लिए वैश्विक समर्थन को बढ़ावा दिया, जिससे भारतीय नेताओं को अपने अभियान को और तेज करने में मदद मिली।
**2. आर्थिक गतिविधियाँ
महामंदी (1929-1939) ने वैश्विक आर्थिक संकट को जन्म दिया, जिसने उपनिवेशीय अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया। भारतीय अर्थव्यवस्था भी संकट में आई, जिससे स्थानीय व्यापारियों और किसानों के बीच असंतोष बढ़ा। इसने उपनिवेश-विरोधी आंदोलन को बल प्रदान किया, क्योंकि आर्थिक कठिनाइयों ने ब्रिटिश शासन की विफलताओं को उजागर किया।
**3. सामाजिक गतिविधियाँ
अंतरराष्ट्रीय सामाजिक आंदोलनों जैसे कि अफ्रीकी अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन और स्वतंत्रता संग्राम ने भारतीय समाज को प्रेरित किया। महात्मा गांधी और अन्य नेताओं ने इन आंदोलनों से प्रेरणा लेकर समाजवादी और समानता की विचारधाराओं को अपनाया। भारत में सामाजिक सुधार और स्वतंत्रता की मांग में तेजी आई।
**4. उपनिवेश-विरोधी संघर्ष
वैश्विक उपनिवेश-विरोधी संघर्ष जैसे कि सुप्रेमे कोर्ट के विरोध और गांधीजी के नेतृत्व वाले असहमति आंदोलन ने भारतीय उपनिवेश-विरोधी आंदोलनों को प्रेरित किया और उनके संघर्ष को वैश्विक समर्थन मिला।
इन गतिविधियों ने भारत में उपनिवेश-विरोधी संघर्ष को प्रेरित किया और स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा और ऊर्जा प्रदान की।
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