Home/upsc: svatantrata aandolan
- Recent Questions
- Most Answered
- Answers
- No Answers
- Most Visited
- Most Voted
- Random
- Bump Question
- New Questions
- Sticky Questions
- Polls
- Followed Questions
- Favorite Questions
- Recent Questions With Time
- Most Answered With Time
- Answers With Time
- No Answers With Time
- Most Visited With Time
- Most Voted With Time
- Random With Time
- Bump Question With Time
- New Questions With Time
- Sticky Questions With Time
- Polls With Time
- Followed Questions With Time
- Favorite Questions With Time
विश्व में घटित कौन-सी मुख्य राजनीतिक, आर्थिक औरः सामाजिक गतिविधियों ने भारत में उपनिवेश-विरोधी (ऐंटी-कॉलोनियल) संघर्ष को प्रेरित किया ? (150 words) [UPSC 2014]
भारत में उपनिवेश-विरोधी संघर्ष को प्रेरित करने वाली प्रमुख वैश्विक गतिविधियाँ **1. राजनीतिक गतिविधियाँ द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) ने वैश्विक शक्ति संतुलन को बदल दिया और भारत में उपनिवेश-विरोधी भावना को तेज किया। युद्ध के दौरान, ब्रिटिश साम्राज्य की कमजोरी स्पष्ट हुई और भारत के स्वतंत्रता संग्राRead more
भारत में उपनिवेश-विरोधी संघर्ष को प्रेरित करने वाली प्रमुख वैश्विक गतिविधियाँ
**1. राजनीतिक गतिविधियाँ
द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) ने वैश्विक शक्ति संतुलन को बदल दिया और भारत में उपनिवेश-विरोधी भावना को तेज किया। युद्ध के दौरान, ब्रिटिश साम्राज्य की कमजोरी स्पष्ट हुई और भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं ने इसका लाभ उठाया। अटलांटिक चार्टर (1941) और ब्रिटिश राष्ट्रीय धारा (1942) ने आत्मनिर्णय और स्वतंत्रता के लिए वैश्विक समर्थन को बढ़ावा दिया, जिससे भारतीय नेताओं को अपने अभियान को और तेज करने में मदद मिली।
**2. आर्थिक गतिविधियाँ
महामंदी (1929-1939) ने वैश्विक आर्थिक संकट को जन्म दिया, जिसने उपनिवेशीय अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया। भारतीय अर्थव्यवस्था भी संकट में आई, जिससे स्थानीय व्यापारियों और किसानों के बीच असंतोष बढ़ा। इसने उपनिवेश-विरोधी आंदोलन को बल प्रदान किया, क्योंकि आर्थिक कठिनाइयों ने ब्रिटिश शासन की विफलताओं को उजागर किया।
**3. सामाजिक गतिविधियाँ
अंतरराष्ट्रीय सामाजिक आंदोलनों जैसे कि अफ्रीकी अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन और स्वतंत्रता संग्राम ने भारतीय समाज को प्रेरित किया। महात्मा गांधी और अन्य नेताओं ने इन आंदोलनों से प्रेरणा लेकर समाजवादी और समानता की विचारधाराओं को अपनाया। भारत में सामाजिक सुधार और स्वतंत्रता की मांग में तेजी आई।
**4. उपनिवेश-विरोधी संघर्ष
वैश्विक उपनिवेश-विरोधी संघर्ष जैसे कि सुप्रेमे कोर्ट के विरोध और गांधीजी के नेतृत्व वाले असहमति आंदोलन ने भारतीय उपनिवेश-विरोधी आंदोलनों को प्रेरित किया और उनके संघर्ष को वैश्विक समर्थन मिला।
इन गतिविधियों ने भारत में उपनिवेश-विरोधी संघर्ष को प्रेरित किया और स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा और ऊर्जा प्रदान की।
See lessभारत के स्वतंत्रता संग्राम को समाज के विभिन्न वर्गों के प्रयासों और बलिदानों के माध्यम से जीता गया था। इस संदर्भ में, राष्ट्रीय स्वतंत्रता संघर्ष में आदिवासी महिलाओं द्वारा किए गए योगदानों की विवेचना कीजिए।(150 शब्दों में उत्तर दें)
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी महिलाओं का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक रहा है। ये महिलाएँ न केवल अपने समुदायों में नेतृत्व प्रदान करती थीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं में भी सक्रिय भागीदारी निभाई। उदाहरण के लिए, बीरा और बिसरा जैसे आदिवासी नेताओं की प्रेरणा से, आदिवाRead more
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी महिलाओं का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक रहा है। ये महिलाएँ न केवल अपने समुदायों में नेतृत्व प्रदान करती थीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं में भी सक्रिय भागीदारी निभाई।
उदाहरण के लिए, बीरा और बिसरा जैसे आदिवासी नेताओं की प्रेरणा से, आदिवासी महिलाओं ने 1857 की क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आदिवासी नेता रानी दुर्गावती और भगत सिंह की मां भी स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणास्त्रोत रही हैं।
आदिवासी महिलाओं ने अपने गांवों में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह की अगुवाई की, और सामाजिक बदलाव के लिए सक्रिय रूप से संघर्ष किया। उन्होंने सामूहिक आंदोलनों में भाग लिया, जैसे कि गोंड और सिधा जनजातियों का विद्रोह, जो उनके साहस और बलिदान को दर्शाता है।
इन प्रयासों ने स्वतंत्रता संग्राम को व्यापक रूप से समर्थन प्रदान किया और आदिवासी समाज के संघर्षों को भी सामने लाया।
See less. भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में, विशेष रूप से 20वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के दौरान प्रवासी भारतीयों द्वारा निभाई गई भूमिका पर चर्चा कीजिए।(250 शब्दों में उत्तर दें)
20वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में, भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में प्रवासी भारतीयों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये प्रवासी भारतीय विदेश में भारत की स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाने और समर्थन प्रदान करने में सक्रिय रहे। विदेशी देशों में रहकर भारतीय समुदायों ने विदेशी सरकारों को भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष की भूमRead more
20वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में, भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में प्रवासी भारतीयों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये प्रवासी भारतीय विदेश में भारत की स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाने और समर्थन प्रदान करने में सक्रिय रहे।
विदेशी देशों में रहकर भारतीय समुदायों ने विदेशी सरकारों को भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष की भूमिका और महत्व के प्रति जागरूक किया। उन्होंने विदेशी समाचार पत्रिकाओं, आंतरराष्ट्रीय संगठनों, और राजनैतिक नेताओं के साथ मिलकर भारत की आजादी के लिए अभियान चलाया।
भारतीय विदेश में रहने वाले नेताओं में विवेकानंद, महात्मा गांधी, लाला हरदयाल, भगत सिंह, सरोजिनी नायडू, और अन्य महान व्यक्तियों ने भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने विदेश में भारत की समस्याओं और स्वतंत्रता मुद्दों पर चर्चा की और अंतरराष्ट्रीय समर्थन प्राप्त किया।
इन प्रवासी भारतीयों की भूमिका ने भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया और विदेशी समर्थन को बढ़ावा दिया। उनका संघर्ष और समर्थन ने भारतीय आजादी को मजबूत किया और उसे अंततः सफलता तक पहुंचाया।
See lessब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में शामिल होने वाले विभिन्न विदेशियों का संक्षिप्त विवरण दीजिए। (उत्तर 250 शब्दों में दें)
ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में कई विदेशी व्यक्तियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनमें प्रमुख थे: लाल बलजीत सिंह (Lala Lajpat Rai): हालांकि भारतीय थे, उन्होंने अमेरिका और इंग्लैंड में भारतीय स्वतंत्रता की वकालत की। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रचार में महत्वपूRead more
ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में कई विदेशी व्यक्तियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनमें प्रमुख थे:
लाल बलजीत सिंह (Lala Lajpat Rai): हालांकि भारतीय थे, उन्होंने अमेरिका और इंग्लैंड में भारतीय स्वतंत्रता की वकालत की। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रचार में महत्वपूर्ण योगदान दिया और विदेशों में भारतीय समुदाय को संगठित किया।
सुब्रमण्यम भारती (Subramania Bharati): एक प्रमुख तमिल कवि और स्वतंत्रता सेनानी, जो विदेशों में भारतीय स्वतंत्रता की आवाज़ बने। उन्होंने अमेरिका और इंग्लैंड में भारत के स्वतंत्रता संग्राम को प्रचारित किया।
सुभाष चंद्र बोस (Subhas Chandra Bose): सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) की स्थापना की और जर्मनी तथा जापान से समर्थन प्राप्त किया। उन्होंने विदेश में रहकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को अंतर्राष्ट्रीय समर्थन दिलाने का प्रयास किया।
वी.डी. सावरकर (Veer Savarkar): उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विदेशी धरती पर भारतीय स्वतंत्रता की मांग की। सावरकर ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ एक अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए विदेश में अपने लेखन और विचारों के माध्यम से प्रयास किए।
रवींद्रनाथ ठाकुर (Rabindranath Tagore): नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रवींद्रनाथ ठाकुर ने अपनी लेखनी और भाषणों के माध्यम से भारत की स्वतंत्रता के समर्थन में अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारतीय दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।
चंद्रशेखर आज़ाद (Chandrasekhar Azad): वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारी थे जिन्होंने विदेशी मदद प्राप्त करने के प्रयास किए और दुनिया भर में भारतीय स्वतंत्रता की मांग को उठाया।
इन विदेशियों और भारतीय प्रवासी नेताओं ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई, जिससे अंतर्राष्ट्रीय समर्थन प्राप्त हुआ और स्वतंत्रता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए गए।
See lessमहिला क्रांतिकारियों ने भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में साहसिक और अविस्मरणीय योगदान दिया है। चर्चा कीजिए। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में महिला क्रांतिकारियों ने महत्वपूर्ण और अविस्मरणीय भूमिका निभाई है। उन्होंने साहस, समर्पण और बलिदान के माध्यम से आजादी के लिए संघर्ष किया। रानी लक्ष्मीबाई, सरोजिनी नायडू, अरुणा आसफाल, भीकाजी कामा, कमला नेहरू, उषा मेहता, अन्नी बेसंट, सुभाषिनी बोस, और विजयलक्ष्मी पंडित जैसीRead more
भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में महिला क्रांतिकारियों ने महत्वपूर्ण और अविस्मरणीय भूमिका निभाई है। उन्होंने साहस, समर्पण और बलिदान के माध्यम से आजादी के लिए संघर्ष किया। रानी लक्ष्मीबाई, सरोजिनी नायडू, अरुणा आसफाल, भीकाजी कामा, कमला नेहरू, उषा मेहता, अन्नी बेसंट, सुभाषिनी बोस, और विजयलक्ष्मी पंडित जैसी महिलाएं स्वतंत्रता संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होंने आजादी के लिए जेलों में कारागार और प्रतिक्रिया आंदोलनों में भाग लिया। इन महिला क्रांतिकारियों का साहस और समर्पण भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में एक अटूट हिस्सा रहा है और उनका योगदान अविस्मरणीय है।
See less