भारत द्वारा सामना की जाने वाली आंतरिक सुरक्षा चुनौतियाँ क्या हैं? ऐसे खतरों का मुकाबला करने के लिए नियुक्त केन्द्रीय खुफिया और जाँच एजेंसियों की भूमिका बताइए। (250 words) [UPSC 2023]
थिएटराइजेशन योजनाओं का उद्देश्य भारत में रक्षा बलों को विशिष्ट थिएटर कमांड में एकीकृत करना है ताकि सामरिक दक्षता और समन्वय में सुधार हो सके। यह दृष्टिकोण सैन्य संचालन को क्षेत्रीय आधार पर संरेखित करता है, जिससे त्वरित प्रतिक्रिया और बेहतर समन्वय सुनिश्चित होता है। प्रत्येक थिएटर कमांड विशिष्ट भौगोलिRead more
थिएटराइजेशन योजनाओं का उद्देश्य भारत में रक्षा बलों को विशिष्ट थिएटर कमांड में एकीकृत करना है ताकि सामरिक दक्षता और समन्वय में सुधार हो सके। यह दृष्टिकोण सैन्य संचालन को क्षेत्रीय आधार पर संरेखित करता है, जिससे त्वरित प्रतिक्रिया और बेहतर समन्वय सुनिश्चित होता है। प्रत्येक थिएटर कमांड विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र और उसके सुरक्षा परिदृश्य के अनुसार कार्य करेगा, जिससे संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन और रणनीतिक निर्णय लेना आसान होगा।
हालांकि, इस योजना के कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ हैं। विभिन्न सेवा शाखाओं के बीच समन्वय की कमी, विभिन्न संस्कृतियों और संचालन की विशेषताओं का अंतर, और बड़े पैमाने पर प्रशासनिक परिवर्तन कुछ प्रमुख चुनौतियाँ हैं। इसके अतिरिक्त, मौजूदा संरचनात्मक बदलाव और प्रशिक्षण के लिए समय और संसाधनों की आवश्यकता होती है, जो योजना के सफल कार्यान्वयन में बाधक हो सकते हैं।
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भारत द्वारा सामना की जाने वाली आंतरिक सुरक्षा चुनौतियाँ 1. आतंकवाद और विद्रोह: भारत आतंकवाद और विद्रोह से लगातार जूझ रहा है। जम्मू और कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी समूह जैसे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने कई बड़े हमलों को अंजाम दिया है। पुलवामा हमला (2019) इस खतरे का एक प्रमुख उदाहरण है। इसके अलावा,Read more
भारत द्वारा सामना की जाने वाली आंतरिक सुरक्षा चुनौतियाँ
1. आतंकवाद और विद्रोह: भारत आतंकवाद और विद्रोह से लगातार जूझ रहा है। जम्मू और कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी समूह जैसे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने कई बड़े हमलों को अंजाम दिया है। पुलवामा हमला (2019) इस खतरे का एक प्रमुख उदाहरण है। इसके अलावा, नक्सल-माओवाद से प्रभावित क्षेत्र, जैसे छत्तीसगढ़ और झारखंड, में हिंसा की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
2. जातीय और सांप्रदायिक हिंसा: भारत में जातीय और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएँ समय-समय पर होती रहती हैं। हाल ही में, मणिपुर हिंसा (2023) ने विभिन्न जातीय समूहों के बीच झगड़ों और विस्थापन की समस्या को उजागर किया है।
3. वामपंथी चरमपंथ: नक्सलवादी समूह भारतीय राज्यों में सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा पैदा करते हैं। सुकमा हमला (2023) ने सुरक्षा बलों पर हुए हमलों की गंभीरता को दर्शाया है और नक्सलियों की बढ़ती सक्रियता को दिखाया है।
4. साइबर सुरक्षा के खतरे: डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर की बढ़ती निर्भरता के साथ साइबर हमलों और डेटा उल्लंघनों में वृद्धि हो रही है। हाल की AIIMS रैनसमवेयर हमला (2023) ने महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा में खामियों को उजागर किया है।
केन्द्रीय खुफिया और जाँच एजेंसियों की भूमिका
1. रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW): RAW विदेशी खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और आतंकवाद विरोधी प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसने कई आतंकवादी हमलों को रोकने में मदद की है और बाहरी खतरों की निगरानी करता है।
2. इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB): IB घरेलू खुफिया जानकारी और आंतरिक सुरक्षा मामलों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह आतंकवाद, विद्रोह, और सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए राज्य एजेंसियों के साथ समन्वय करता है और समय पर हस्तक्षेप करता है।
3. नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA): NIA आतंकवाद से संबंधित अपराधों की जांच और अभियोजन का कार्य करती है। इसने पुलवामा हमला जैसे महत्वपूर्ण मामलों को हैंडल किया है और राज्यों के बीच आतंकवाद से निपटने में एक केंद्रीकृत दृष्टिकोण प्रदान करता है।
4. सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI): CBI गंभीर और जटिल अपराधों की जांच करती है, जिसमें भ्रष्टाचार और प्रमुख वित्तीय अपराध शामिल हैं। यह आतंकवाद और संगठित अपराध से संबंधित मामलों की जांच में भी सहायक होती है।
5. नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG): NSG आतंकवाद विरोधी और बंधक बचाव ऑपरेशनों में विशेषज्ञ है। मुंबई हमलों (2008) के दौरान इसकी त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता ने इसे प्रमुख सुरक्षा एजेंसी के रूप में स्थापित किया है।
हाल की पहल:
भारतीय सरकार ने राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र (NCTC) जैसी पहल की है और पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए धन बढ़ाया है। खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय और तकनीकी क्षमताओं में सुधार की दिशा में कदम उठाए गए हैं।
संक्षेप में, भारत आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में आतंकवाद, जातीय हिंसा, वामपंथी चरमपंथ, और साइबर सुरक्षा के खतरे जैसे कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। केंद्रीय खुफिया और जाँच एजेंसियाँ इन खतरों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, उनके द्वारा की गई कार्रवाइयाँ देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करती हैं।
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