मानवाधिकार सक्रियतावादी लगातार इस विचार को उजागर करते रहे हैं कि सशस्त्र बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम, 1958 (ए.एफ.एस.पी.ए.) एक क्रूर अधिनियम है, जिससे सुरक्षा बलों के द्वारा मानवाधिकार दुरुपयोगों के मामले उत्पन्न होते हैं। इस अधिनियम की कौन-सी धाराओं का ...
उग्र अनुसरण' और 'शल्यक प्रहार' के युद्धनीतिक प्रभाव 1. परिभाषाएँ और उदाहरण: उग्र अनुसरण (Hot Pursuit): यह सैन्य कार्रवाई की एक विधि है जिसमें एक देश आतंकी या विद्रोही तत्वों का पीछा करता है और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के पार जाकर भी लक्षित करता है। उदाहरण के तौर पर, भारत ने 2016 में म्यांमार मेंRead more
उग्र अनुसरण’ और ‘शल्यक प्रहार’ के युद्धनीतिक प्रभाव
1. परिभाषाएँ और उदाहरण:
- उग्र अनुसरण (Hot Pursuit): यह सैन्य कार्रवाई की एक विधि है जिसमें एक देश आतंकी या विद्रोही तत्वों का पीछा करता है और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के पार जाकर भी लक्षित करता है। उदाहरण के तौर पर, भारत ने 2016 में म्यांमार में उग्र अनुसरण के माध्यम से उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई की।
- शल्यक प्रहार (Surgical Strikes): ये विशिष्ट और अत्यधिक लक्षित सैन्य ऑपरेशन होते हैं जो आतंकवादी ठिकानों को कम से कम आघात के साथ नष्ट करने के उद्देश्य से किए जाते हैं। भारत ने 2016 में पाकिस्तान-administered कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ शल्यक प्रहार किया, इसके अलावा 2019 में बालाकोट में आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों को निशाना बनाया।
2. युद्धनीतिक प्रभाव:
- डर और निराशा: ये कार्रवाइयाँ आतंकवादी समूहों को डर और निराशा का सामना कराती हैं, जिससे उनकी सामरिक क्षमताओं में कमी आती है और उनके मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- सैन्य तत्परता और तकनीकी दक्षता: ऐसी कार्रवाइयाँ सैन्य की तत्परता और तकनीकी दक्षता को दर्शाती हैं, जिससे सैन्य बल की सक्षमता और सिद्धता को विश्व स्तर पर मान्यता मिलती है।
- राजनीतिक संदेश: ये कार्रवाइयाँ सैन्य नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा की सख्ती को प्रदर्शित करती हैं, जिससे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में एक सशक्त राजनीतिक संदेश जाता है कि देश अपने सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए गंभीर है।
- संबंधों पर प्रभाव: जबकि ये कार्रवाइयाँ आंतरिक सुरक्षा को मजबूत कर सकती हैं, वे आंतर्राष्ट्रीय संबंधों में विरोध और तनाव भी उत्पन्न कर सकती हैं, जैसे कि पाकिस्तान के साथ भारतीय शल्यक प्रहारों के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ।
सार: ‘उग्र अनुसरण’ और ‘शल्यक प्रहार’ सैन्य दृष्टिकोण से प्रभावी हो सकते हैं, लेकिन इन्हें ध्यानपूर्वक और सोच-समझकर किया जाना चाहिए, ताकि इनकी युद्धनीतिक और कूटनीतिक परिणामों को नियंत्रित किया जा सके।
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सशस्त्र बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम, 1958 (AFSPA) और मानवाधिकार संबंधी चिंताएँ: 1. विवादित धाराएँ: धारा 4: इस धारा के तहत सुरक्षा बलों को बिना वारंट के गिरफ्तारी और बल का उपयोग करने का अधिकार मिलता है, यदि उन्हें लगता है कि कोई व्यक्ति कानून का उल्लंघन कर रहा है या अवैध गतिविधियों में संलिप्त है। माRead more
सशस्त्र बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम, 1958 (AFSPA) और मानवाधिकार संबंधी चिंताएँ:
1. विवादित धाराएँ:
2. मानवाधिकार सक्रियतावादियों का विरोध:
3. उच्चतम न्यायालय की राय:
4. हाल की घटनाएँ:
5. समालोचनात्मक मूल्यांकन:
निष्कर्ष:
सशस्त्र बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम, 1958 की विशेष शक्तियाँ और छूट, जबकि सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करती हैं, मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए गंभीर चिंताओं का कारण बनती हैं। सुधार और मानवाधिकार संरक्षण की दिशा में संगठित प्रयास आवश्यक हैं।
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