जल-उपयोग दक्षता से आप क्या समझते हैं? जल-उपयोग दक्षता को बढ़ाने में सूक्ष्म सिंचाई की भूमिका का वर्णन कीजिए। What is water-use efficiency? (200 words) [UPSC 2016]
जल भंडारण और सिंचाई प्रणाली में सुधार के उपाय **1. जल भंडारण में सुधार a. वर्षा जल संचयन: वर्षा जल संचयन प्रणालियाँ, जैसे की जल संचयन टैंक और गड्ढे, जल की उपलब्धता बढ़ा सकते हैं। हाल ही में, हिमाचल प्रदेश ने “जल शक्ति अभियान” के अंतर्गत घर-घर वर्षा जल संचयन के प्रयास किए हैं, जिससे भूजल स्तर में सुधRead more
जल भंडारण और सिंचाई प्रणाली में सुधार के उपाय
**1. जल भंडारण में सुधार
a. वर्षा जल संचयन:
वर्षा जल संचयन प्रणालियाँ, जैसे की जल संचयन टैंक और गड्ढे, जल की उपलब्धता बढ़ा सकते हैं। हाल ही में, हिमाचल प्रदेश ने “जल शक्ति अभियान” के अंतर्गत घर-घर वर्षा जल संचयन के प्रयास किए हैं, जिससे भूजल स्तर में सुधार हुआ है।
b. चेक डेम और परकोलेशन पिट्स:
छोटे चेक डेम और परकोलेशन पिट्स जल के संचयन और भूजल पुनर्भरण में सहायक होते हैं। राजस्थान में, “सुजलाम सुफलाम योजना” के अंतर्गत ऐसे ढाँचों का निर्माण किया गया है, जिससे सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जलस्तर में वृद्धि हुई है।
c. पारंपरिक जल स्रोतों की पुनरावृत्ति:
प्राचीन जल स्रोतों जैसे तालाबों और झीलों का पुनरुद्धार जल की उपलब्धता को बढ़ा सकता है। मध्य प्रदेश में, भोपल की झीलों का पुनरुद्धार किया गया है, जिससे क्षेत्रीय जल संसाधनों में सुधार हुआ है।
**2. सिंचाई प्रणालियों में सुधार
a. ड्रिप सिंचाई:
ड्रिप सिंचाई प्रणाली सीधे पौधों की जड़ों को पानी प्रदान करती है, जिससे पानी की बर्बादी कम होती है। महाराष्ट्र में प्याज की खेती में ड्रिप सिंचाई के उपयोग से पानी की खपत में कमी आई है और उपज में वृद्धि हुई है।
b. स्प्रिंकलर सिस्टम:
स्प्रिंकलर प्रणाली विशेष रूप से असमान भूभाग वाले क्षेत्रों में पानी की प्रभावी आपूर्ति सुनिश्चित करती है। कर्नाटका में, गन्ने की फसलों के लिए स्प्रिंकलर सिंचाई का उपयोग किया गया है, जिससे पानी की उपयोगिता में सुधार हुआ है।
c. मिट्टी की नमी प्रबंधन:
मिट्टी की नमी सेंसरों का उपयोग करके सिंचाई अनुसूचियों का प्रबंधन सटीक पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करता है। पंजाब में, इन सेंसरों के उपयोग से सिंचाई में सुधार और फसल की उत्पादकता में वृद्धि देखी गई है।
**3. नीति और प्रशासनिक उपाय
a. जल-संरक्षण तकनीकों के लिए प्रोत्साहन:
जल-संरक्षण तकनीकों को अपनाने के लिए सब्सिडी और प्रोत्साहन प्रदान करना महत्वपूर्ण है। “प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)” के तहत ऐसे तकनीकी सुधारों को समर्थन दिया जाता है।
b. एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन (IWRM):
IWRM दृष्टिकोण जल संसाधनों के प्रबंधन में समग्र दृष्टिकोण अपनाता है। राष्ट्रीय जल नीति, 2012, इस एकीकृत दृष्टिकोण पर जोर देती है, जिससे जल उपयोग और प्रबंधन में सुधार होता है।
निष्कर्ष:
जल भंडारण और सिंचाई प्रणालियों में सुधार के लिए आधुनिक तकनीकों और पारंपरिक विधियों का सम्मिलित उपयोग, साथ ही समर्थक नीतियों की आवश्यकता है, ताकि जल उपयोग की दक्षता और स्थिरता में सुधार हो सके।
जल-उपयोग दक्षता और सूक्ष्म सिंचाई की भूमिका 1. जल-उपयोग दक्षता: जल-उपयोग दक्षता (Water-Use Efficiency) से तात्पर्य जल के प्रभावी और सतत उपयोग से है, ताकि कम पानी में अधिक उत्पादन किया जा सके। यह जल की बर्बादी को कम करने और वृहत कृषि उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। 2. सूक्ष्म सिंचाई की भूमिकRead more
जल-उपयोग दक्षता और सूक्ष्म सिंचाई की भूमिका
1. जल-उपयोग दक्षता: जल-उपयोग दक्षता (Water-Use Efficiency) से तात्पर्य जल के प्रभावी और सतत उपयोग से है, ताकि कम पानी में अधिक उत्पादन किया जा सके। यह जल की बर्बादी को कम करने और वृहत कृषि उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।
2. सूक्ष्म सिंचाई की भूमिका:
a. सूक्ष्म सिंचाई की परिभाषा: सूक्ष्म सिंचाई (Micro-Irrigation) में ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर सिस्टम जैसी तकनीकों का उपयोग होता है, जो सटीक रूप से पौधों की जड़ों के पास पानी प्रदान करती हैं। यह जल की बर्बादी को कम करता है और जल-उपयोग दक्षता को बढ़ाता है।
b. भूमिका:
i. जल की बचत: सूक्ष्म सिंचाई जल की मात्रा को नियंत्रित करती है और फव्वारे की तुलना में 30-50% अधिक जल की बचत कर सकती है। उदाहरण के लिए, ड्रिप सिंचाई ने पंजाब और हरियाणा में धान और गेंहू की फसलों में जल की बर्बादी को कम किया है।
ii. फसल की वृद्धि: यह प्रणाली फसल की वृद्धि और उत्पादकता में सुधार करती है। महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में सूक्ष्म सिंचाई के उपयोग से प्याज और मिर्च की फसलों में उत्पादकता में 30% तक की वृद्धि देखी गई है।
iii. भूमि की सिंचाई: सूक्ष्म सिंचाई भूमि की समान सिंचाई सुनिश्चित करती है और खेतों में जल की असमानता को समाप्त करती है, जिससे फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार होता है।
c. पर्यावरणीय लाभ: यह प्रणाली भूस्खलन और मिट्टी की कटाई को कम करती है, जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। गुजरात में सूक्ष्म सिंचाई ने मृदा की उपजाऊता को बनाए रखने में मदद की है।
निष्कर्ष: सूक्ष्म सिंचाई जल-उपयोग दक्षता को बढ़ाने में अत्यंत प्रभावी है, क्योंकि यह जल की बर्बादी को कम करती है, फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार करती है, और पर्यावरण की रक्षा करती है। यह सतत कृषि के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है।
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