सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्रौद्योगिकी के माध्यम से आधुनिकीकरण और सुधार योजना (SMART-PDS) में भारत हेतु खाद्य सुरक्षा से परे जाते हुए वृहद् परिवर्तनकारी क्षमता विद्यमान है। विवेचना कीजिए।(250 शब्दों में उत्तर दें)
अनाज वितरण प्रणाली में सुधारात्मक कदम 1. डिजिटल लाइसेंसिंग और ई-गवर्नेंस: डिजिटल लाभार्थी रिकॉर्ड: सरकार ने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर लाइसेंसिंग प्रक्रिया को पारदर्शी और सुलभ बनाया है। पीडीएस-एनओसी (Public Distribution System-National Online Certificate) ने लाभार्थियों की सूची को डिजिटल रूप सेRead more
अनाज वितरण प्रणाली में सुधारात्मक कदम
1. डिजिटल लाइसेंसिंग और ई-गवर्नेंस:
- डिजिटल लाभार्थी रिकॉर्ड: सरकार ने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर लाइसेंसिंग प्रक्रिया को पारदर्शी और सुलभ बनाया है। पीडीएस-एनओसी (Public Distribution System-National Online Certificate) ने लाभार्थियों की सूची को डिजिटल रूप से अपडेट किया है।
2. प्रौद्योगिकी का उपयोग:
- एंड-टू-एंड कम्प्यूटरीकरण: ई-पीओएस (Electronic Point of Sale) सिस्टम का कार्यान्वयन किया गया है, जो भंडारण से वितरण तक हर चरण को ट्रैक करता है। नैशनल फ़ूड सिक्योरिटी एक्ट (NFSA) के अंतर्गत आधार लिंक्ड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (AL-PDS) ने लाभार्थियों की पहचान को सही और प्रभावी बनाने में मदद की है।
3. खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA):
- सस्ती खाद्य वस्तुएं: NFSA, 2013 के अंतर्गत, सरकार ने वित्तीय सहायता के माध्यम से सस्ते अनाज की उपलब्धता सुनिश्चित की है। 2019 में, गरीबों को प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम अनाज प्रति माह उपलब्ध कराने की योजना को लागू किया गया है।
4. वाणिज्यिक अनाज भंडारण में सुधार:
- गोदामों का आधुनिकीकरण: फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) ने गोदामों और स्टोरेज सुविधाओं के आधुनिकीकरण के लिए नई तकनीक अपनाई है। पैक्स (Primary Agricultural Credit Societies) को भंडारण और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार के लिए समर्थित किया गया है।
5. पुनरावलोकन और निगरानी:
- प्रभावशीलता की निगरानी: ऑडिट और पुनरावलोकन की प्रक्रिया को मजबूत किया गया है ताकि भ्रष्टाचार और लीक को कम किया जा सके। राज्य स्तर पर निगरानी समितियां प्रभावी ढंग से काम कर रही हैं।
इन सुधारात्मक कदमों से अनाज वितरण प्रणाली की सक्षमता और सटीकता में सुधार हुआ है, जिससे लाभार्थियों को समय पर और उचित मात्रा में अनाज मिल रहा है।
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स्मार्ट-PDS (सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्रौद्योगिकी के माध्यम से आधुनिकीकरण और सुधार योजना) भारत में खाद्य सुरक्षा से परे वृहद् परिवर्तनकारी क्षमता रखती है। यह योजना सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में डिजिटल तकनीक और डेटा विश्लेषण का उपयोग कर पारदर्शिता, कुशलता, और जवाबदेही को बढ़ावा देने का उद्देशRead more
स्मार्ट-PDS (सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्रौद्योगिकी के माध्यम से आधुनिकीकरण और सुधार योजना) भारत में खाद्य सुरक्षा से परे वृहद् परिवर्तनकारी क्षमता रखती है। यह योजना सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में डिजिटल तकनीक और डेटा विश्लेषण का उपयोग कर पारदर्शिता, कुशलता, और जवाबदेही को बढ़ावा देने का उद्देश्य रखती है, जो विभिन्न क्षेत्रों में सुधार ला सकती है।
खाद्य सुरक्षा: स्मार्ट-PDS का प्राथमिक लक्ष्य है कि खाद्यान्न वितरण में भ्रष्टाचार और लीकेज को कम किया जाए। बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण और ई-पॉस मशीनों के माध्यम से सुनिश्चित किया जा सकता है कि सही लाभार्थी को उसका अधिकार मिले, जिससे खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ बनाया जा सकेगा।
सामाजिक न्याय: डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग से सभी वर्गों तक समान रूप से खाद्यान्न पहुंचाना सुनिश्चित किया जा सकता है। यह योजना गरीब और हाशिए पर रहने वाले वर्गों के सशक्तिकरण में सहायक हो सकती है, जिससे सामाजिक असमानताओं को कम किया जा सकेगा।
आर्थिक दक्षता: डिजिटलाइजेशन से वितरण प्रणाली में लागत कम होगी और संसाधनों का अधिकतम उपयोग संभव होगा। इससे सरकार के राजस्व की बचत होगी, जिसे अन्य सामाजिक कल्याण योजनाओं में निवेश किया जा सकता है।
ग्रामीण विकास: स्मार्ट-PDS ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बुनियादी ढांचे का विकास भी करेगा, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा। इससे डिजिटल साक्षरता बढ़ेगी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हो सकते हैं।
वृहद् प्रभाव: स्मार्ट-PDS के तहत एकीकृत डिजिटल प्लेटफार्म से न केवल खाद्य वितरण, बल्कि अन्य सरकारी सेवाओं को भी जोड़ा जा सकता है। इससे कल्याणकारी योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन हो सकता है और लाभार्थियों को अनेक सेवाओं का समग्र लाभ मिल सकता है।
इस प्रकार, स्मार्ट-PDS खाद्य सुरक्षा से आगे बढ़ते हुए भारत में सामाजिक, आर्थिक, और डिजिटल परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
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