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अनाज वितरण प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाने हेतु सरकार द्वारा कौन-कौन से सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं? (250 words) [UPSC 2019]
अनाज वितरण प्रणाली में सुधारात्मक कदम 1. डिजिटल लाइसेंसिंग और ई-गवर्नेंस: डिजिटल लाभार्थी रिकॉर्ड: सरकार ने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर लाइसेंसिंग प्रक्रिया को पारदर्शी और सुलभ बनाया है। पीडीएस-एनओसी (Public Distribution System-National Online Certificate) ने लाभार्थियों की सूची को डिजिटल रूप सेRead more
अनाज वितरण प्रणाली में सुधारात्मक कदम
1. डिजिटल लाइसेंसिंग और ई-गवर्नेंस:
2. प्रौद्योगिकी का उपयोग:
3. खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA):
4. वाणिज्यिक अनाज भंडारण में सुधार:
5. पुनरावलोकन और निगरानी:
इन सुधारात्मक कदमों से अनाज वितरण प्रणाली की सक्षमता और सटीकता में सुधार हुआ है, जिससे लाभार्थियों को समय पर और उचित मात्रा में अनाज मिल रहा है।
See lessभारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी.डी.एस.) की प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं? इसे किस प्रकार प्रभावी तथा पारदर्शी बनाया जा सकता है ? (150 words)[UPSC 2022]
भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी.डी.एस.) की प्रमुख चुनौतियाँ **1. लीकेज और वितरण में गड़बड़ी: पी.डी.एस. में सार्वजनिक वितरण के अंतर्गत सहायता प्राप्त खाद्यान्न का बाजार में विक्रय हो रहा है, जिससे गरीबों तक उचित खाद्य सामग्री नहीं पहुँचती। उदाहरण के लिए, 2023 में कई राज्यों में गेहूं और चावल केRead more
भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी.डी.एस.) की प्रमुख चुनौतियाँ
**1. लीकेज और वितरण में गड़बड़ी: पी.डी.एस. में सार्वजनिक वितरण के अंतर्गत सहायता प्राप्त खाद्यान्न का बाजार में विक्रय हो रहा है, जिससे गरीबों तक उचित खाद्य सामग्री नहीं पहुँचती। उदाहरण के लिए, 2023 में कई राज्यों में गेहूं और चावल के काला बाजारी की खबरें आईं।
**2. भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा: भ्रष्टाचार और फर्जी लाभार्थी जैसे मुद्दे भी प्रमुख समस्याएं हैं। 2023 में, कुछ राज्यों में राशन कार्ड के फर्जी लाभार्थियों की पहचान की गई।
**3. अप्रभावी वितरण तंत्र: डिलीवरी और भंडारण की समस्याएँ जैसे असुविधाजनक बुनियादी ढांचा और खराब लॉजिस्टिक्स की वजह से खाद्यान्न की बर्बादी और विलंब हो रहा है।
**4. लक्षित वितरण की कमी: लाभार्थी पहचान में गड़बड़ी के कारण योग्य परिवार छूट जाते हैं या अयोग्य लाभार्थियों को शामिल कर लिया जाता है।
पी.डी.एस. को प्रभावी और पारदर्शी बनाने के उपाय
**1. प्रौद्योगिकी का उपयोग: आधार आधारित प्रमाणीकरण और इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ़ सेल (ePOS) का उपयोग कर लीकेज को कम किया जा सकता है और सही वितरण सुनिश्चित किया जा सकता है।
**2. निगरानी तंत्र को मजबूत करना: मॉनिटरिंग और ऑडिटिंग सिस्टम को बेहतर बनाकर वितरण प्रक्रिया की ट्रैकिंग और भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है।
**3. पारदर्शिता बढ़ाना: लाभार्थी सूचियों की सार्वजनिक घोषणा और वास्तविक समय की ट्रैकिंग से जवाबदेही और सार्वजनिक विश्वास बढ़ाया जा सकता है।
**4. क्षमता निर्माण: पी.डी.एस. कर्मियों की प्रशिक्षण और भंडारण सुविधाओं में निवेश से प्रभावशीलता और वितरण की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
इन सुधारात्मक उपायों के माध्यम से पी.डी.एस. को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाया जा सकता है।
See lessसार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्रौद्योगिकी के माध्यम से आधुनिकीकरण और सुधार योजना (SMART-PDS) में भारत हेतु खाद्य सुरक्षा से परे जाते हुए वृहद् परिवर्तनकारी क्षमता विद्यमान है। विवेचना कीजिए।(250 शब्दों में उत्तर दें)
स्मार्ट-PDS (सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्रौद्योगिकी के माध्यम से आधुनिकीकरण और सुधार योजना) भारत में खाद्य सुरक्षा से परे वृहद् परिवर्तनकारी क्षमता रखती है। यह योजना सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में डिजिटल तकनीक और डेटा विश्लेषण का उपयोग कर पारदर्शिता, कुशलता, और जवाबदेही को बढ़ावा देने का उद्देशRead more
स्मार्ट-PDS (सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्रौद्योगिकी के माध्यम से आधुनिकीकरण और सुधार योजना) भारत में खाद्य सुरक्षा से परे वृहद् परिवर्तनकारी क्षमता रखती है। यह योजना सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में डिजिटल तकनीक और डेटा विश्लेषण का उपयोग कर पारदर्शिता, कुशलता, और जवाबदेही को बढ़ावा देने का उद्देश्य रखती है, जो विभिन्न क्षेत्रों में सुधार ला सकती है।
खाद्य सुरक्षा: स्मार्ट-PDS का प्राथमिक लक्ष्य है कि खाद्यान्न वितरण में भ्रष्टाचार और लीकेज को कम किया जाए। बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण और ई-पॉस मशीनों के माध्यम से सुनिश्चित किया जा सकता है कि सही लाभार्थी को उसका अधिकार मिले, जिससे खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ बनाया जा सकेगा।
सामाजिक न्याय: डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग से सभी वर्गों तक समान रूप से खाद्यान्न पहुंचाना सुनिश्चित किया जा सकता है। यह योजना गरीब और हाशिए पर रहने वाले वर्गों के सशक्तिकरण में सहायक हो सकती है, जिससे सामाजिक असमानताओं को कम किया जा सकेगा।
आर्थिक दक्षता: डिजिटलाइजेशन से वितरण प्रणाली में लागत कम होगी और संसाधनों का अधिकतम उपयोग संभव होगा। इससे सरकार के राजस्व की बचत होगी, जिसे अन्य सामाजिक कल्याण योजनाओं में निवेश किया जा सकता है।
ग्रामीण विकास: स्मार्ट-PDS ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बुनियादी ढांचे का विकास भी करेगा, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा। इससे डिजिटल साक्षरता बढ़ेगी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हो सकते हैं।
वृहद् प्रभाव: स्मार्ट-PDS के तहत एकीकृत डिजिटल प्लेटफार्म से न केवल खाद्य वितरण, बल्कि अन्य सरकारी सेवाओं को भी जोड़ा जा सकता है। इससे कल्याणकारी योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन हो सकता है और लाभार्थियों को अनेक सेवाओं का समग्र लाभ मिल सकता है।
इस प्रकार, स्मार्ट-PDS खाद्य सुरक्षा से आगे बढ़ते हुए भारत में सामाजिक, आर्थिक, और डिजिटल परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
See lessपरीक्षण कीजिए कि भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के डिजिटल रूपांतरण ने इसे बाधित करने वाली चुनौतियों का समाधान करने में कैसे मदद की है। (150 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) का डिजिटल रूपांतरण कई चुनौतियों को हल करने में सहायक रहा है। डिजिटल पहल जैसे ई-पॉस (E-POS) और आधार-आधारित भुगतान प्रणाली ने पारदर्शिता और कुशल वितरण सुनिश्चित किया है। आधार आधारित पहचान से लाभार्थियों की सही पहचान सुनिश्चित होती है, जिससे कुप्रबंधन और भ्रामक आवRead more
भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) का डिजिटल रूपांतरण कई चुनौतियों को हल करने में सहायक रहा है। डिजिटल पहल जैसे ई-पॉस (E-POS) और आधार-आधारित भुगतान प्रणाली ने पारदर्शिता और कुशल वितरण सुनिश्चित किया है। आधार आधारित पहचान से लाभार्थियों की सही पहचान सुनिश्चित होती है, जिससे कुप्रबंधन और भ्रामक आवंटन में कमी आई है।
डिजिटल रजिस्टर और ट्रैकिंग सिस्टम ने गोदामों में अनाज की वास्तविक स्थिति की निगरानी को आसान बनाया है, जिससे भंडारण और वितरण में सुधार हुआ है। साथ ही, डिजिटल रिपोर्टिंग ने भ्रष्टाचार और खाद्यान्न की चोरी को कम किया है।
हालांकि, डिजिटल रूपांतरण ने कई समस्याओं का समाधान किया है, लेकिन तकनीकी और इंफ्रास्ट्रक्चर की सीमाओं, और डिजिटल साक्षरता की कमी जैसे नए चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। इन चुनौतियों का समाधान भी महत्वपूर्ण है ताकि PDS की प्रभावशीलता और समावेशिता बढ़ सके।
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