भारत के 14वें वित्त आयोग की संस्तुतियों ने राज्यों को अपनी राजकोषीय स्थिति सुधारने में कैसे सक्षम किया है? (150 words) [UPSC 2021]
आदर्श आचार-संहिता के उद्भव के आलोक में, भारत के निर्वाचन आयोग की भूमिका 1. निर्वाचन आयोग की भूमिका भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) एक स्वायत्त संवैधानिक संस्था है जो संसद, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रपति-उपाध्यक्ष चुनावों का आयोजन करती है। इसका मुख्य उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता, निष्पक्षता, औरRead more
आदर्श आचार-संहिता के उद्भव के आलोक में, भारत के निर्वाचन आयोग की भूमिका
1. निर्वाचन आयोग की भूमिका
भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) एक स्वायत्त संवैधानिक संस्था है जो संसद, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रपति-उपाध्यक्ष चुनावों का आयोजन करती है। इसका मुख्य उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता, निष्पक्षता, और स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना है।
प्रमुख जिम्मेदारियाँ:
- चुनाव प्रशासन: चुनावों के सभी पहलुओं का संचालन, जैसे कि मतदाता सूची तैयार करना, मतदान केंद्रों की व्यवस्था, और चुनाव परिणाम की घोषणा।
- चुनावी नियमों का प्रवर्तन: चुनाव संबंधित कानूनों और नियमों का कार्यान्वयन।
- स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव: सभी उम्मीदवारों और दलों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना।
2. आदर्श आचार-संहिता (MCC) का उद्भव और विकास
उद्भव: आदर्श आचार-संहिता (MCC) की शुरुआत 1968 में की गई थी। इसका उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष और व्यवस्थित बनाए रखना है और सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के आचरण को नियंत्रित करना है। यह संहिता चुनावी वातावरण को अधिक प्रतिस्पर्धात्मक और पारदर्शी बनाने के लिए बनाई गई थी।
विकास:
- प्रारंभिक आचार-संहिता: प्रारंभ में, MCC में केवल उम्मीदवारों और दलों के आचरण पर दिशानिर्देश थे।
- मजबूती: समय के साथ, MCC को अद्यतन किया गया, जिसमें सरकारी अधिकारियों के आचरण, सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग, और चुनावी वित्तपोषण जैसे मुद्दे शामिल किए गए।
- हालिया बदलाव: हाल के वर्षों में MCC में सोशल मीडिया के उपयोग, चुनावी खर्च की पारदर्शिता, और धन-बल के प्रभाव जैसे मुद्दों को संबोधित किया गया है।
हालिया उदाहरण: 2019 के आम चुनाव में MCC का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया गया। निर्वाचन आयोग ने सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग और सोशल मीडिया पर अनुचित प्रचार के खिलाफ कार्रवाई की, जो MCC के विकसित स्वरूप को दर्शाता है।
निष्कर्ष: भारत के निर्वाचन आयोग की भूमिका आदर्श आचार-संहिता के माध्यम से चुनावों की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है। MCC का विकास और कार्यान्वयन आयोग के प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि वह चुनावी प्रक्रिया को समय के साथ बदलती परिस्थितियों के अनुसार समायोजित करता है।
See less
भारत के 14वें वित्त आयोग की संस्तुतियों से राज्यों की राजकोषीय स्थिति में सुधार 1. केंद्रीय करों में बढ़ी भागीदारी: 14वें वित्त आयोग ने राज्यों को केंद्रीय करों में उनकी हिस्सेदारी 32% से बढ़ाकर 42% कर दी। इससे राज्यों को अधिक वित्तीय संसाधन प्राप्त हुए, जिससे उनके राजकोषीय स्थिति में सुधार हुआ। 2.Read more
भारत के 14वें वित्त आयोग की संस्तुतियों से राज्यों की राजकोषीय स्थिति में सुधार
1. केंद्रीय करों में बढ़ी भागीदारी: 14वें वित्त आयोग ने राज्यों को केंद्रीय करों में उनकी हिस्सेदारी 32% से बढ़ाकर 42% कर दी। इससे राज्यों को अधिक वित्तीय संसाधन प्राप्त हुए, जिससे उनके राजकोषीय स्थिति में सुधार हुआ।
2. लचीले अनुदान: आयोग ने प्रदर्शन आधारित अनुदान और बिना शर्त अनुदान की सिफारिश की, जिससे राज्यों को अपने अनुसार धन का उपयोग करने की स्वतंत्रता मिली। यह स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार खर्च करने में सहायक साबित हुआ।
3. ऋण प्रबंधन: आयोग ने राज्यों के ऋण प्रबंधन के लिए ऋण राहत कोष की सिफारिश की, जिससे राज्यों को अपने ऋण बोझ को कम करने और राजकोषीय स्थिरता बनाए रखने में मदद मिली।
4. राजकोषीय जिम्मेदारी: आयोग ने राजकोषीय जिम्मेदारी के मानदंडों का पालन करने की सिफारिश की, जिससे बेहतर वित्तीय प्रबंधन और अनुशासन को बढ़ावा मिला।
निष्कर्ष: 14वें वित्त आयोग की संस्तुतियों ने राज्यों को अधिक संसाधन, लचीलापन और बेहतर ऋण प्रबंधन के माध्यम से अपनी राजकोषीय स्थिति सुधारने में सक्षम किया।
See less