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प्रोफेसर अमर्त्य सेन ने प्राथमिक शिक्षा तथा प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण सुधारों की वकालत की है। उनकी स्थिति और कार्य-निष्पादन में सुधार हेतु आपके क्या सुझाव हैं ? (200 words) [UPSC 2016]
प्रोफेसर अमर्त्य सेन के सुझावों के संदर्भ में, प्राथमिक शिक्षा और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल की स्थिति और कार्य-निष्पादन में सुधार के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं: प्राथमिक शिक्षा गुणवत्ता में सुधार: शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए पाठ्यक्रम को अद्यतन करें और शिक्षकों को नियमित प्रशिक्षणRead more
प्रोफेसर अमर्त्य सेन के सुझावों के संदर्भ में, प्राथमिक शिक्षा और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल की स्थिति और कार्य-निष्पादन में सुधार के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं:
प्राथमिक शिक्षा
गुणवत्ता में सुधार: शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए पाठ्यक्रम को अद्यतन करें और शिक्षकों को नियमित प्रशिक्षण प्रदान करें। शिक्षक-परीक्षण और फीडबैक तंत्र को प्रभावी बनाएं ताकि शिक्षण मानक बनाए रह सकें।
पूर्वाधार विकास: ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में स्कूलों के पूर्वाधार में निवेश करें, जैसे कि कक्षाएं, पुस्तकालय, और प्रयोगशालाएं। स्वच्छ पानी और स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करें।
समावेशी शिक्षा: शिक्षा में समान अवसर प्रदान करने के लिए, विशेषकर गरीब परिवारों, लड़कियों, और विकलांग बच्चों के लिए छात्रवृत्ति, मध्याह्न भोजन, और मुफ्त पाठ्यपुस्तकें जैसी योजनाएं लागू करें।
समुदाय की भागीदारी: स्कूल प्रबंधन में माता-पिता और समुदाय की सक्रिय भागीदारी बढ़ाएं, जैसे कि माता-पिता-शिक्षक संघ (PTA) और स्कूल प्रबंधन समितियाँ (SMC), ताकि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल
स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ बनाना: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) की आधारभूत सुविधाओं में सुधार करें और उन्हें आवश्यक उपकरण और प्रशिक्षित चिकित्सक उपलब्ध कराएं।
पहुँच और समानता: दूरदराज और underserved क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच बढ़ाने के लिए मोबाइल स्वास्थ्य इकाइयों और टेलीमेडिसिन सेवाओं का उपयोग करें। स्वास्थ्य संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित करें।
रोकथाम पर ध्यान: टीकाकरण कार्यक्रमों, स्वास्थ्य शिक्षा, और स्वच्छता के मुद्दों पर ध्यान दें। पोषण और रोग रोकथाम पर सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों को बढ़ावा दें।
सेवाओं का एकीकरण: प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को शिक्षा और स्वच्छता जैसे अन्य क्षेत्रों के साथ एकीकृत करें ताकि स्वास्थ्य के व्यापक निर्धारकों का समाधान हो सके। समन्वित कार्यक्रम बेहतर स्वास्थ्य और विकास परिणाम प्रदान कर सकते हैं।
निष्कर्ष
See lessप्राथमिक शिक्षा और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में सुधार के लिए इन क्षेत्रों में गुणवत्ता सुधार, पूर्वाधार विकास, समावेशी और समुदाय आधारित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। इन सुझावों को लागू करके, इन महत्वपूर्ण सेवाओं की प्रभावशीलता और पहुँच को बढ़ाया जा सकता है।
आपके अनुसार आकांक्षी जिला कार्यक्रम अपनी शुरूआत के बाद से अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में कितना सफल रहा है? (150 शब्दों में उत्तर दें)
आकांक्षी जिला कार्यक्रम की सफलता का मूल्यांकन आकांक्षी जिला कार्यक्रम की शुरुआत 2018 में हुई थी, जिसका उद्देश्य पिछड़े जिलों में समावेशी विकास को बढ़ावा देना और सामाजिक-आर्थिक प्रगति में सुधार करना था। इस कार्यक्रम ने कुछ प्रमुख सफलताएँ हासिल की हैं: उन्नति के संकेत: आकांक्षी जिलों में आधारभूत ढांचेRead more
आकांक्षी जिला कार्यक्रम की सफलता का मूल्यांकन
आकांक्षी जिला कार्यक्रम की शुरुआत 2018 में हुई थी, जिसका उद्देश्य पिछड़े जिलों में समावेशी विकास को बढ़ावा देना और सामाजिक-आर्थिक प्रगति में सुधार करना था। इस कार्यक्रम ने कुछ प्रमुख सफलताएँ हासिल की हैं:
हालांकि, सभी जिलों में समान सफलता नहीं देखी गई है। कुछ जिलों में प्रशासनिक समस्याएँ, संसाधनों की कमी और समन्वय की चुनौतियाँ रही हैं।
निष्कर्ष: आकांक्षी जिला कार्यक्रम ने अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में कई सकारात्मक कदम उठाए हैं, लेकिन स्थिरता और व्यापक प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए निरंतर निगरानी और सुधार की आवश्यकता है।
See lessविभिन्न सेवा क्षेत्रकों के बीच सहयोग की आवश्यकता विकास प्रवचन का एक अंतर्निहित घटक रहा है । साझेदारी क्षेत्रकों के बीच पुल बनाती है। यह 'सहयोग' और 'टीम भावना' की संस्कृति को भी गति प्रदान कर देती है। उपरोक्त कथनों के प्रकाश में भारत के विकास प्रक्रम का परीक्षण कीजिए । (250 words) [UPSC 2019]
भारत के विकास प्रक्रम में विभिन्न सेवा क्षेत्रों के बीच सहयोग और साझेदारी की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह सहयोग न केवल विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होता है, बल्कि 'सहयोग' और 'टीम भावना' की संस्कृति को भी प्रोत्साहित करता है। निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से इस परिदृश्य की विवेचना की जा सकतRead more
भारत के विकास प्रक्रम में विभिन्न सेवा क्षेत्रों के बीच सहयोग और साझेदारी की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह सहयोग न केवल विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होता है, बल्कि ‘सहयोग’ और ‘टीम भावना’ की संस्कृति को भी प्रोत्साहित करता है। निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से इस परिदृश्य की विवेचना की जा सकती है:
1. विभिन्न सेवा क्षेत्रों के बीच सहयोग:
भारत में विकास प्रक्रम को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न सेवा क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, और सूचना प्रौद्योगिकी के बीच सहयोग आवश्यक है। उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों के बीच साझेदारी से स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम लागू किए जा सकते हैं, जो लोगों को स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं।
2. साझेदारी और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP):
पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत, सरकार और निजी क्षेत्र एक साथ मिलकर विकासात्मक परियोजनाओं को लागू करते हैं। सड़क निर्माण, मेट्रो परियोजनाएँ, और ऊर्जा क्षेत्र में PPP मॉडल ने सुधारात्मक और विकासात्मक उपायों को गति दी है। यह सहयोग निजी क्षेत्र की दक्षता और सरकारी क्षेत्र के संसाधनों का समन्वय करता है।
3. संघीय और राज्य स्तर पर समन्वय:
विकास प्रक्रम के सफल कार्यान्वयन के लिए संघीय और राज्य स्तर पर समन्वय आवश्यक है। स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा की गुणवत्ता, और बुनियादी ढांचे के विकास में राज्य और केंद्र सरकार के बीच सहयोग ने नीतिगत सुधार और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
4. टीम भावना और कार्यसंस्कृति:
विभिन्न सेवा क्षेत्रों के बीच सहयोग से टीम भावना और साझा उद्देश्य की भावना को बढ़ावा मिलता है। यह कर्मचारियों को एक साथ काम करने के लिए प्रेरित करता है और उन्हें साझा लक्ष्यों की प्राप्ति में सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
5. स्थानीय और वैश्विक दृष्टिकोण:
स्थानीय और वैश्विक दृष्टिकोण के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग महत्वपूर्ण है। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के तहत, भारत ने विभिन्न देशों और संगठनों के साथ मिलकर विकास परियोजनाओं को साझा किया है, जो वैश्विक स्तर पर आर्थिक और सामाजिक समावेशन को प्रोत्साहित करता है।
इस प्रकार, भारत के विकास प्रक्रम में विभिन्न सेवा क्षेत्रों के बीच सहयोग और साझेदारी एक महत्वपूर्ण घटक है। यह न केवल विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होता है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक सुधारों को भी प्रोत्साहित करता है।
See lessसामाजिक विकास की संभावनाओं को बढ़ाने के क्रम में, विशेषकर जराचिकित्सा एवं मातृ स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में सुदृढ़ और पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल संबंधी नीतियों की आवश्यकता है। विवेचन कीजिए। (150 words) [UPSC 2020]
सामाजिक विकास के लिए जराचिकित्सा (geriatrics) और मातृ स्वास्थ्य देखभाल (maternal health care) की दिशा में सुदृढ़ नीतियों की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण है। जराचिकित्सा: वृद्ध जनसंख्या का बढ़ना: भारत में वृद्ध जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, जिसके लिए विशेष स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत है, जैसे वृद्धावस्थाRead more
सामाजिक विकास के लिए जराचिकित्सा (geriatrics) और मातृ स्वास्थ्य देखभाल (maternal health care) की दिशा में सुदृढ़ नीतियों की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण है।
जराचिकित्सा:
See lessवृद्ध जनसंख्या का बढ़ना: भारत में वृद्ध जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, जिसके लिए विशेष स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत है, जैसे वृद्धावस्था संबंधी रोगों की जांच और उपचार।
सामाजिक सुरक्षा: वृद्ध व्यक्तियों को स्वास्थ्य देखभाल, मानसिक समर्थन और सामाजिक सुरक्षा की नीतियाँ सुनिश्चित करनी होंगी, ताकि उनकी जीवन गुणवत्ता में सुधार हो सके।
मातृ स्वास्थ्य देखभाल:
स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच: गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए समुचित स्वास्थ्य सेवाएं, जैसे नियमित जांच, टीकाकरण, और प्रसव पूर्व देखभाल, की आवश्यकता है।
आहार और पोषण: मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए पोषण संबंधी नीतियों को सुदृढ़ करना आवश्यक है, जिससे गर्भवती महिलाओं और शिशुओं को आवश्यक पोषण मिल सके।
इन क्षेत्रों में सुधार से सामाजिक विकास को गति मिलेगी, स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा, और समाज के कमजोर वर्गों की भलाई सुनिश्चित होगी।
"एक कल्याणकारी राज्य की नैतिक अनिवार्यता के अलावा, प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना धारणीय विकास की एक आवश्यक पूर्व शर्त है।" विश्लेषण कीजिए। (150 words) [UPSC 2021]
"एक कल्याणकारी राज्य की नैतिक अनिवार्यता के अलावा, प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना धारणीय विकास की एक आवश्यक पूर्व शर्त है" इस कथन का विश्लेषण करते हुए: नैतिक अनिवार्यता: मूलभूत अधिकार: कल्याणकारी राज्य का उद्देश्य अपने नागरिकों को जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा प्रदान करना हRead more
“एक कल्याणकारी राज्य की नैतिक अनिवार्यता के अलावा, प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना धारणीय विकास की एक आवश्यक पूर्व शर्त है” इस कथन का विश्लेषण करते हुए:
नैतिक अनिवार्यता:
मूलभूत अधिकार: कल्याणकारी राज्य का उद्देश्य अपने नागरिकों को जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा प्रदान करना है। प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना जैसे क्लीनिक और स्वास्थ्य केंद्र बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराती हैं, जो नैतिक दृष्टिकोण से अनिवार्य हैं।
धारणीय विकास:
स्वास्थ्य और उत्पादकता: अच्छी प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएँ बीमारी और मृत्यु दर को कम करती हैं, जिससे कार्यक्षमता और उत्पादकता में सुधार होता है। इससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
समानता और समावेशन: प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएँ सभी वर्गों को समान अवसर प्रदान करती हैं, जिससे सामाजिक असमानता घटती है और समावेशी विकास को बढ़ावा मिलता है।
दीर्घकालिक स्थिरता: प्राथमिक स्वास्थ्य में निवेश दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ सुनिश्चित करता है, जो धारणीय विकास के लिए आवश्यक है।
इस प्रकार, प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना नैतिक जिम्मेदारी के साथ-साथ धारणीय विकास की एक आवश्यक शर्त भी है।
See lessवैश्विक बदलावों के साथ समेकन और अर्थव्यवस्था के खुलने के परिणामस्वरूप लोक सेवानों के लिए विविध चुनौतियां उत्पन हो गई हैं, जिनके कारण कुशल सेवा वितरण के लिए उनमें समग्र सुधारों की आवस्यकता है। विवेचना कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
वैश्विकीकरण और अर्थव्यवस्था के खुलने ने लोक सेवाओं के क्षेत्र में नई चुनौतियों का सामना कराया है। इसके परिणामस्वरूप, कुशल सेवा वितरण के लिए कई सुधारों की आवश्यकता है। पहली चुनौती तकनीकी प्रगति और डिजिटलीकरण का है। नई तकनीकों का उपयोग करने के लिए संबंधित कर्मियों को प्रशिक्षित करना और तकनीकी ज्ञान कोRead more
वैश्विकीकरण और अर्थव्यवस्था के खुलने ने लोक सेवाओं के क्षेत्र में नई चुनौतियों का सामना कराया है। इसके परिणामस्वरूप, कुशल सेवा वितरण के लिए कई सुधारों की आवश्यकता है।
पहली चुनौती तकनीकी प्रगति और डिजिटलीकरण का है। नई तकनीकों का उपयोग करने के लिए संबंधित कर्मियों को प्रशिक्षित करना और तकनीकी ज्ञान को लागू करना मुश्किल हो सकता है।
दूसरी चुनौती है नागरिकों की विभिन्न आवश्यकताओं को समझना। लोगों की भाषा, संस्कृति, और स्थानीय दृष्टिकोण को मध्यस्थता करने के लिए सेवाओं को अनुकूलित करना महत्वपूर्ण है।
तीसरी चुनौती है सेवा गुणवत्ता का सुनिश्चित करना। लोक सेवाएं समान रूप से पहुंचनी चाहिए और सुविधाओं की गुणवत्ता में सुधार होना चाहिए।
इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, सरकारों को नवीनतम तकनीकी और सेवा वितरण के मानकों का पालन करने के लिए नीतियों में सुधार करना होगा, साथ ही स्थानीय स्तर पर संगठनात्मक और प्रशासनिक क्षमताओं का मजबूती से संदर्भ बनाना होगा।
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