असहयोग आन्दोलन एवं सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान महात्मा गाँधी के रचनात्मक कार्यक्रमों को स्पष्ट कीजिए । (250 words) [UPSC 2021]
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के आरंभिक चरण में प्रेस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रेस ने जनता को जागरूक किया, उन्हें संघर्ष की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान किया और अंधकार की जगह जागरूकता और स्वाधीनता की भावना फैलाई। इस अवधि के दौरान, भारतीय प्रेस को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। ब्रिटिश सरकार ने प्रेसRead more
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के आरंभिक चरण में प्रेस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रेस ने जनता को जागरूक किया, उन्हें संघर्ष की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान किया और अंधकार की जगह जागरूकता और स्वाधीनता की भावना फैलाई।
इस अवधि के दौरान, भारतीय प्रेस को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। ब्रिटिश सरकार ने प्रेस को नियंत्रित करने का प्रयास किया, सेंसरशिप लगाई, और स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश की। प्रेस को निषेधित किया गया, उसकी स्वतंत्रता को कम किया गया और उसे सरकारी प्रभाव के तहत लाने की कोशिश की गई।
भारतीय प्रेस ने इन चुनौतियों का मुकाबला किया और स्वतंत्रता की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई। प्रेस ने सत्य को सामने रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया और जनता को एकजुट करने में मदद की।
See less
महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन (1920-22) और सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34) के दौरान रचनात्मक कार्यक्रमों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य न केवल ब्रिटिश सरकार की नीतियों का विरोध करना था, बल्कि भारतीय समाज में आत्मनिर्भरता और सुधार को भी बढ़ावा देनाRead more
महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन (1920-22) और सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34) के दौरान रचनात्मक कार्यक्रमों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य न केवल ब्रिटिश सरकार की नीतियों का विरोध करना था, बल्कि भारतीय समाज में आत्मनिर्भरता और सुधार को भी बढ़ावा देना था।
असहयोग आंदोलन (1920-22):
See lessस्वदेशी आंदोलन: गांधी ने विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने और स्वदेशी वस्त्रों को अपनाने की अपील की। इसके अंतर्गत भारतीय कपड़े, विशेष रूप से खादी, को प्रोत्साहित किया गया।
शिक्षा सुधार: गांधी ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने स्वदेशी स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना की, और शिक्षण को स्वदेशी संस्कारों से जोड़ने का प्रयास किया।
स्वच्छता और सामाजिक सुधार: गांधी ने स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया और गांवों में सफाई अभियानों का आयोजन किया। इसके साथ ही, उन्होंने जातिवाद और छुआछूत के खिलाफ संघर्ष किया और सामाजिक सुधारों की दिशा में काम किया।
सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34):
नमक सत्याग्रह: गांधी ने नमक कर के खिलाफ अभियान चलाया, जिसके तहत 1930 में दांडी मार्च किया। यह मार्च ब्रिटिश नमक कानून के खिलाफ था और नमक बनाने के अधिकार की मांग की गई।
भूमि सुधार और ग्रामीण विकास: गांधी ने ग्रामीण क्षेत्रों के विकास और भूमि सुधार पर जोर दिया। उन्होंने ग्रामीण आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम चलाए।
स्वराज की शिक्षा: सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान, गांधी ने स्वराज के अर्थ और महत्व को स्पष्ट किया और इसके लिए लोगों को जागरूक किया। उन्होंने स्वराज को केवल राजनीतिक स्वतंत्रता नहीं बल्कि आर्थिक और सामाजिक स्वतंत्रता के रूप में भी परिभाषित किया।
गांधी के इन रचनात्मक कार्यक्रमों ने भारतीय समाज को आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरित किया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक मजबूत जनआंदोलन तैयार किया। इन कार्यक्रमों ने न केवल स्वतंत्रता संग्राम को शक्ति प्रदान की, बल्कि भारतीय समाज में स्वदेशी उत्पादों और सामाजिक सुधारों के महत्व को भी रेखांकित किया।