हालांकि मंदिर स्थापत्य कला की नागर और द्रविड़ शैलियों के बीच कुछ विशेषताएं समान हैं, लेकिन दोनों में महत्वपूर्ण अंतर भी हैं। व्याख्या कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
नागर शैली, जो मुख्यतः उत्तर भारत में 7वीं से 12वीं सदी तक प्रचलित रही, हिन्दू मंदिर वास्तुकला की एक विशिष्ट शैली है। इसके प्रमुख वास्तु विशेषताएँ निम्नलिखित हैं: शिखर (स्फायर): नागर शैली के मंदिरों की सबसे प्रमुख विशेषता उनका ऊँचा, संवेगपूर्ण शिखर होता है। यह शिखर एक श्रृंखलाबद्ध, संकुचित परतों से बRead more
नागर शैली, जो मुख्यतः उत्तर भारत में 7वीं से 12वीं सदी तक प्रचलित रही, हिन्दू मंदिर वास्तुकला की एक विशिष्ट शैली है। इसके प्रमुख वास्तु विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- शिखर (स्फायर): नागर शैली के मंदिरों की सबसे प्रमुख विशेषता उनका ऊँचा, संवेगपूर्ण शिखर होता है। यह शिखर एक श्रृंखलाबद्ध, संकुचित परतों से बना होता है, जो पृथ्वी और आकाश के बीच के संबंध को दर्शाता है और अक्सर इसे भगवान माउंट मेरु के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
- गर्भगृह (संक्ति): यह मंदिर का केंद्रीय भाग होता है जहाँ मुख्य deity की मूर्ति स्थापित होती है। यह आमतौर पर ठोस, साधारण रूप में होता है, जो इसकी पवित्रता को दर्शाता है।
- मंडप (सभा हॉल): गर्भगृह के सामने एक स्तंभित मंडप होता है, जो पूजा और भव्य समारोहों के लिए प्रयोग किया जाता है। इसे बारीक नक्काशीदार स्तंभों द्वारा समर्थन प्रदान किया जाता है।
- आंतरिक दीवारें और दृश्य सजावट: मंदिर की आंतरिक दीवारें और भीतरी स्थानों को धार्मिक कथाओं, देवताओं और मिथकीय दृश्यों के सुंदर उकेरे गए चित्रण से सजाया जाता है।
- मुख्य प्रवेश द्वार और तोरण: मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार को elaborate carvings द्वारा सजाया जाता है, जिसमें तोरण (विवाहिक मेहराब) पर शुभ चिन्ह और दिव्य आकृतियाँ होती हैं।
- आड़ा प्रक्षेपण: मंदिर की सजावट में विभिन्न आड़ा प्रक्षेपण या बालकनियों का प्रयोग होता है, जो संरचना को भव्यता प्रदान करते हैं।
नागर शैली की यह वास्तुकला विशेषताएँ, उत्तर भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं की गहराई और सुंदरता को व्यक्त करती हैं।
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नागर और द्रविड़ शैलियों में मंदिर स्थापत्य कला की विशेषताएं हैं जो उन्हें अलग और विशिष्ट बनाती हैं। नागर शैली: शिखर: नागर शैली के मंदिरों के शिखर ऊँचे और विस्तृत होते हैं। गर्भगृह: नागर शैली के मंदिरों में गर्भगृह बड़ा होता है और प्रतिमाएं उसमें स्थित होती हैं। खंभे: नागर शैली के मंदिरों में खंभे अधRead more
नागर और द्रविड़ शैलियों में मंदिर स्थापत्य कला की विशेषताएं हैं जो उन्हें अलग और विशिष्ट बनाती हैं।
नागर शैली:
द्रविड़ शैली:
इस रूप में, नागर और द्रविड़ शैलियों में मंदिरों की अर्चिटेक्चरल विशेषताएं और कला के अंतर उन्हें एक-दूसरे से अलग बनाते हैं।
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