स्पष्ट करें कि मध्यकालीन भारतीय मंदिरों की मूर्तिकला उस दौर के सामाजिक जीवन का प्रतिनिधित्व करती है। (150 words)[UPSC 2022]
नागर और द्रविड़ शैलियों में मंदिर स्थापत्य कला की विशेषताएं हैं जो उन्हें अलग और विशिष्ट बनाती हैं। नागर शैली: शिखर: नागर शैली के मंदिरों के शिखर ऊँचे और विस्तृत होते हैं। गर्भगृह: नागर शैली के मंदिरों में गर्भगृह बड़ा होता है और प्रतिमाएं उसमें स्थित होती हैं। खंभे: नागर शैली के मंदिरों में खंभे अधRead more
नागर और द्रविड़ शैलियों में मंदिर स्थापत्य कला की विशेषताएं हैं जो उन्हें अलग और विशिष्ट बनाती हैं।
नागर शैली:
- शिखर: नागर शैली के मंदिरों के शिखर ऊँचे और विस्तृत होते हैं।
- गर्भगृह: नागर शैली के मंदिरों में गर्भगृह बड़ा होता है और प्रतिमाएं उसमें स्थित होती हैं।
- खंभे: नागर शैली के मंदिरों में खंभे अधिक होते हैं जो मंदिर को समर्थित करते हैं।
- अंकुरण: नागर शैली में मंदिर के दरवाजे के ऊपर अंकुरण का अभाव होता है।
द्रविड़ शैली:
- शिखर: द्रविड़ शैली के मंदिरों के शिखर कम ऊँचे और घने होते हैं।
- गर्भगृह: द्रविड़ शैली के मंदिरों में गर्भगृह छोटा होता है और प्रतिमाएं अंदर से देखी नहीं जा सकतीं।
- प्रकार: द्रविड़ शैली के मंदिरों की भित्तियाँ अधिक मोटी होती हैं और उनके ऊपर विविध आकार की देवालय स्थापित होते हैं।
- अंकुरण: द्रविड़ शैली में मंदिरों के दरवाजे के ऊपर अंकुरण का प्रचलन होता है।
इस रूप में, नागर और द्रविड़ शैलियों में मंदिरों की अर्चिटेक्चरल विशेषताएं और कला के अंतर उन्हें एक-दूसरे से अलग बनाते हैं।
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मध्यकालीन भारतीय मंदिरों की मूर्तिकला उस दौर के सामाजिक जीवन का सजीव प्रतिनिधित्व करती है। इन मंदिरों में पाए जाने वाले चित्रण न केवल धार्मिक आस्थाओं को दर्शाते हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन को भी उजागर करते हैं। धार्मिक आस्थाएँ: मूर्तिकला में प्रमुख देवताओं और देवियों, जैसे कि विष्णु, शिव,Read more
मध्यकालीन भारतीय मंदिरों की मूर्तिकला उस दौर के सामाजिक जीवन का सजीव प्रतिनिधित्व करती है। इन मंदिरों में पाए जाने वाले चित्रण न केवल धार्मिक आस्थाओं को दर्शाते हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन को भी उजागर करते हैं।
इस प्रकार, मध्यकालीन भारतीय मंदिरों की मूर्तिकला उस युग की सामाजिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक जीवनशैली का समृद्ध चित्रण प्रस्तुत करती है।
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