लोक निधियों का प्रभावी उपयोग विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु निर्णायक है। लोक निधियों के अल्प उपयोग एवं दुरुपयोग के कारणों का समालोचनात्मक परीक्षण करते हुए उनके निहितार्थों की समीक्षा कीजिए। (150 words) [UPSC 2019]
लोक निधि के सही उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न नियंत्रण तंत्रों की आवश्यकता होती है। ये तंत्र न केवल पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाते हैं, बल्कि धन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार को भी रोकते हैं। निम्नलिखित महत्वपूर्ण नियंत्रण तंत्र हैं: 1. ऑडिट और मूल्यांकन विशेषताएँ: नियमित रूप से वित्तीय ऑडिट औरRead more
लोक निधि के सही उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न नियंत्रण तंत्रों की आवश्यकता होती है। ये तंत्र न केवल पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाते हैं, बल्कि धन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार को भी रोकते हैं। निम्नलिखित महत्वपूर्ण नियंत्रण तंत्र हैं:
1. ऑडिट और मूल्यांकन
- विशेषताएँ: नियमित रूप से वित्तीय ऑडिट और कार्यक्रमों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
- प्रभावशीलता: यह सुनिश्चित करता है कि निधियों का उपयोग उचित तरीके से हो रहा है। ऑडिट रिपोर्ट्स में खामियों की पहचान होती है, जिससे सुधारात्मक कदम उठाए जा सकते हैं।
2. पारदर्शिता और सूचना का खुलासा
- विशेषताएँ: बजट और खर्चों की जानकारी को जनता के लिए उपलब्ध कराना।
- प्रभावशीलता: इससे नागरिकों की जागरूकता बढ़ती है और वे प्रशासन को जवाबदेह ठहराने में सक्षम होते हैं। पारदर्शिता भ्रष्टाचार को कम करती है।
3. निगरानी समितियाँ
- विशेषताएँ: नागरिकों, विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों की समितियाँ जो लोक निधियों के उपयोग की निगरानी करती हैं।
- प्रभावशीलता: यह सुनिश्चित करता है कि समुदाय का प्रतिनिधित्व हो और वे धन के उपयोग पर नजर रख सकें। यह भी सुनिश्चित करता है कि परियोजनाएँ जनता की जरूरतों के अनुरूप हों।
4. सिस्टम और प्रक्रियाएँ
- विशेषताएँ: वित्तीय प्रबंधन के लिए स्पष्ट प्रक्रियाएँ और प्रणाली स्थापित करना।
- प्रभावशीलता: सही प्रक्रियाएँ धन के प्रवाह को नियंत्रित करती हैं और संभावित भ्रष्टाचार को रोकती हैं। इससे फंड आवंटन और उपयोग की पारदर्शिता बढ़ती है।
5. नियम और विनियम
- विशेषताएँ: कानूनी ढांचा जो निधियों के उपयोग को नियंत्रित करता है।
- प्रभावशीलता: नियमों का पालन सुनिश्चित करता है और उल्लंघनों पर दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। यह वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा देता है।
6. प्रौद्योगिकी का उपयोग
- विशेषताएँ: ई-गवर्नेंस, डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम, और वित्तीय प्रबंधन सॉफ्टवेयर का उपयोग।
- प्रभावशीलता: तकनीकी उपायों से प्रक्रिया में पारदर्शिता और प्रभावशीलता बढ़ती है। यह वास्तविक समय में डेटा की निगरानी करने में मदद करता है।
7. सीटिजन चेक-इन और फीडबैक सिस्टम
- विशेषताएँ: नागरिकों से फीडबैक लेने की व्यवस्था।
- प्रभावशीलता: यह नागरिकों को सीधे प्रभाव डालने की शक्ति देता है और प्रशासनिक उत्तरदायित्व को बढ़ाता है।
निष्कर्ष
लोक निधि के सही उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए उपरोक्त नियंत्रण तंत्र अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इनकी प्रभावशीलता नियमित निगरानी, पारदर्शिता, और नागरिकों की भागीदारी पर निर्भर करती है। यदि ये तंत्र सही ढंग से लागू किए जाएँ, तो यह न केवल भ्रष्टाचार को कम करेगा, बल्कि सार्वजनिक धन के कुशल और प्रभावी उपयोग को भी सुनिश्चित करेगा।
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लोक निधियों के अल्प उपयोग एवं दुरुपयोग के कारण और निहितार्थ **1. अल्प उपयोग और दुरुपयोग के कारण a. प्रशासनिक अक्षमता: जटिल प्रशासनिक प्रक्रियाएँ और लालफीताशाही अक्सर निधियों के वितरण और परियोजनाओं के कार्यान्वयन में विलंब का कारण बनती हैं। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (NREGS)Read more
लोक निधियों के अल्प उपयोग एवं दुरुपयोग के कारण और निहितार्थ
**1. अल्प उपयोग और दुरुपयोग के कारण
a. प्रशासनिक अक्षमता:
जटिल प्रशासनिक प्रक्रियाएँ और लालफीताशाही अक्सर निधियों के वितरण और परियोजनाओं के कार्यान्वयन में विलंब का कारण बनती हैं। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (NREGS) के तहत परियोजनाओं में अक्सर देरी होती है।
b. भ्रष्टाचार और गलत प्रबंधन:
भ्रष्टाचार और जवाबदेही की कमी से निधियाँ गबन या गलत तरीके से इस्तेमाल हो सकती हैं। PM CARES फंड के संदर्भ में, निधियों के प्रबंधन में पारदर्शिता की कमी के आरोप लगे हैं।
c. अपर्याप्त योजना और निगरानी:
अपर्याप्त योजना और निगरानी की कमी से संसाधनों का असमर्थन हो सकता है। स्मार्ट सिटी परियोजनाएँ भी समय पर न पूरी होने और लागत में वृद्धि की आलोचना का सामना कर चुकी हैं।
**2. निहितार्थ
a. विकास की रुकावट:
अल्प उपयोग और दुरुपयोग से विकास परियोजनाओं की प्रगति में रुकावट आती है, जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) में धीमी प्रगति।
b. सार्वजनिक विश्वास का ह्रास:
लोक निधियों के दुरुपयोग से सरकारी संस्थाओं में विश्वास घटता है, जिससे कल्याणकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर असर पड़ता है।
c. आर्थिक अक्षमता:
संसाधनों के असमर्थन से आर्थिक अक्षमता और विकास लक्ष्यों की पूर्ति में बाधा उत्पन्न होती है।
इन समस्याओं का समाधान उचित प्रशासनिक प्रक्रियाओं, भ्रष्टाचार विरोधी उपायों और प्रभावी निगरानी तंत्र के माध्यम से किया जा सकता है।
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