उत्तरध्रुव सागर में तेल की खोज के क्या आर्थिक महत्व हैं और उसके संभव पर्यावरणीय परिणाम क्या होंगे ? (200 words) [UPSC 2015]
जलविद्युत ऊर्जा, कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन भारत के कुल इलेक्ट्रिसिटी मिक्स में इसकी हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम है। भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता में जलविद्युत की हिस्सेदारी लगभग 12% है, जबकि अन्य नवीकरणीय स्रोत जैसे कि सौर और पवन ऊर्जा की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रRead more
जलविद्युत ऊर्जा, कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन भारत के कुल इलेक्ट्रिसिटी मिक्स में इसकी हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम है। भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता में जलविद्युत की हिस्सेदारी लगभग 12% है, जबकि अन्य नवीकरणीय स्रोत जैसे कि सौर और पवन ऊर्जा की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है।
इसकी एक प्रमुख वजह है जलविद्युत परियोजनाओं की उच्च लागत और लंबा निर्माण समय। इसके अलावा, कई क्षेत्रों में नदी प्रवाह की अस्थिरता और पर्यावरणीय चिंताओं के कारण परियोजनाओं की शुरुआत में रुकावटें आती हैं।
वहीं, पर्यावरणीय प्रभाव और स्थानीय समुदायों पर असर के चलते विरोध भी होता है। भारत सरकार ने जलविद्युत को प्रमुख नवीकरणीय स्रोत के रूप में मान्यता दी है, लेकिन इसके विकास में सुधार की आवश्यकता है ताकि यह ऊर्जा मिक्स में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके।
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उत्तरध्रुव सागर (Arctic Ocean) में तेल की खोज का आर्थिक महत्व और पर्यावरणीय परिणाम दोनों ही महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। आर्थिक महत्व: ऊर्जा संसाधनों की उपलब्धता: आयात पर निर्भरता कम करना: उत्तरी ध्रुव क्षेत्र में तेल की खोज से वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति में योगदान हो सकता है, जिससे ऊर्जा आयात पर निर्भरता कम हRead more
उत्तरध्रुव सागर (Arctic Ocean) में तेल की खोज का आर्थिक महत्व और पर्यावरणीय परिणाम दोनों ही महत्वपूर्ण मुद्दे हैं।
आर्थिक महत्व:
ऊर्जा संसाधनों की उपलब्धता:
आयात पर निर्भरता कम करना: उत्तरी ध्रुव क्षेत्र में तेल की खोज से वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति में योगदान हो सकता है, जिससे ऊर्जा आयात पर निर्भरता कम हो सकती है।
आर्थिक लाभ: तेल उत्पादन से राजस्व में वृद्धि हो सकती है और स्थानीय आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सकता है। इससे नए रोजगार के अवसर उत्पन्न हो सकते हैं और क्षेत्रीय विकास में सहायता मिल सकती है।
वैश्विक ऊर्जा बाजार में प्रतिस्पर्धा:
तेल की कीमतें: उत्तरध्रुवीय तेल के अतिरिक्त संसाधनों से वैश्विक ऊर्जा बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है, जिससे तेल की कीमतों में स्थिरता आ सकती है और बाजार में विविधता आ सकती है।
पर्यावरणीय परिणाम:
पर्यावरणीय प्रदूषण:
ऑयल स्पिल: तेल की खोज और खनन के दौरान होने वाले संभावित तेल रिसाव (ऑयल स्पिल) से समुद्री जीवन और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। तेल स्पिल से समुद्री जीवों की मृत्यु, तटीय क्षेत्रों की तबाही और पर्यावरणीय असंतुलन उत्पन्न हो सकते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग:
मिथेन उत्सर्जन: आर्कटिक क्षेत्र में तेल और गैस खनन से मिथेन गैस का उत्सर्जन हो सकता है, जो एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है और वैश्विक तापमान को बढ़ा सकती है।
पारिस्थितिक तंत्र पर प्रभाव:
पारिस्थितिक तंत्र में असंतुलन: तेल की खोज से आर्कटिक क्षेत्र की जटिल पारिस्थितिक तंत्र में असंतुलन आ सकता है, जिसमें विभिन्न समुद्री प्रजातियाँ और वनस्पतियाँ शामिल हैं। इससे इन प्रजातियों की जीवनशैली और अस्तित्व पर खतरा पैदा हो सकता है।
जलवायु परिवर्तन:
आर्कटिक बर्फ का पिघलना: तेल की खोज और संबंधित गतिविधियाँ आर्कटिक क्षेत्र की बर्फ की परत को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे बर्फ का पिघलना तेज हो सकता है और जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा मिल सकता है।
See lessनिष्कर्ष:
उत्तरध्रुव सागर में तेल की खोज का आर्थिक महत्व अत्यधिक है, विशेष रूप से ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक लाभ के दृष्टिकोण से। हालांकि, इसके पर्यावरणीय परिणाम गंभीर हो सकते हैं, जिसमें प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, और पारिस्थितिक तंत्र में असंतुलन शामिल है। इसलिए, इस क्षेत्र में तेल की खोज के लिए संतुलित दृष्टिकोण और सख्त पर्यावरणीय नियमों की आवश्यकता है ताकि आर्थिक लाभ के साथ पर्यावरणीय सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सके।