भारतीय उपमहाद्वीप के संदर्भ में बादल फटने की क्रियाविधि और घटना को समझाइए । हाल के दो उदाहरणों की चर्चा कीजिए। (150 words)[UPSC 2022]
वैश्विक समुद्र स्तर में 2100 ईस्वी तक एक मीटर की वृद्धि के प्रभाव भारत पर प्रभाव: तटीय कटाव और भूमि हानि: समुद्र स्तर की वृद्धि भारत के तटीय क्षेत्रों में कटाव को बढ़ाएगी, जिससे महत्वपूर्ण भूमि का नुकसान होगा। मुंबई और चेन्नई जैसे बड़े तटीय शहरों को खासा खतरा होगा। हाल की मुंबई बाढ़ (2023) ने दिखायाRead more
वैश्विक समुद्र स्तर में 2100 ईस्वी तक एक मीटर की वृद्धि के प्रभाव
भारत पर प्रभाव:
- तटीय कटाव और भूमि हानि: समुद्र स्तर की वृद्धि भारत के तटीय क्षेत्रों में कटाव को बढ़ाएगी, जिससे महत्वपूर्ण भूमि का नुकसान होगा। मुंबई और चेन्नई जैसे बड़े तटीय शहरों को खासा खतरा होगा। हाल की मुंबई बाढ़ (2023) ने दिखाया है कि समुद्र स्तर की वृद्धि से बाढ़ की घटनाएँ और अधिक गंभीर हो सकती हैं।
- बाढ़ की घटनाएँ: समुद्र स्तर में वृद्धि से बाढ़ की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ेगी। कोलकाता और चेन्नई जैसे शहर पहले से ही बाढ़ से प्रभावित हैं। चेन्नई में 2023 की बाढ़ ने इस खतरे को और अधिक स्पष्ट किया है, जिससे भविष्य में भी ऐसी घटनाएँ बढ़ सकती हैं।
- जनसंख्या विस्थापन: सुंदरबन और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह जैसे कम ऊँचाई वाले क्षेत्रों में जनसंख्या विस्थापन होगा। सुंदरबन, जहाँ कई कमजोर समुदाय बसे हुए हैं, विशेष रूप से प्रभावित हो सकते हैं।
- कृषि पर प्रभाव: समुद्र स्तर की वृद्धि से तटीय क्षेत्रों में नमक पानी का प्रवेश होगा, जिससे कृषि उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में खाद्य सुरक्षा संकट उत्पन्न हो सकता है।
हिन्द महासागर क्षेत्र पर प्रभाव:
- द्वीप राष्ट्रों पर खतरा: मालदीव और सेशेल्स जैसे द्वीप राष्ट्र अत्यधिक प्रभावित होंगे। मालदीव, जिसकी औसत ऊँचाई सिर्फ 1.5 मीटर है, भूमि हानि और जनसंख्या विस्थापन का सामना कर सकता है।
- आर्थिक प्रभाव: पर्यटन पर निर्भर देशों जैसे मालदीव और मॉरीशस को तटीय अवसंरचना के नुकसान के कारण पर्यटन राजस्व में कमी का सामना करना पड़ेगा। इससे इन देशों की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: समुद्र स्तर की वृद्धि और महासागर के अम्लीकरण से प्रवाल भित्तियों की क्षति हो सकती है, जो समुद्री जैव विविधता और तटीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया में प्रवाल भित्तियों के नुकसान का असर मछली पालन और समुद्री जीवन पर पड़ेगा।
- क्षेत्रीय तनाव: समुद्र स्तर में वृद्धि से क्षेत्रीय संसाधनों और सीमाओं पर तनाव बढ़ सकता है। भूमि और संसाधनों की हानि से समुद्री सीमाओं और संसाधन प्रबंधन पर संघर्ष हो सकता है।
हाल की पहल:
भारत ने राष्ट्रीय अनुकूलन कोष (NAFCC) की शुरुआत की है, जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए परियोजनाओं को समर्थन प्रदान करता है। मालदीव और अन्य द्वीपीय देशों ने तटीय सुरक्षा परियोजनाओं और पुनर्स्थापन योजनाओं पर काम किया है ताकि समुद्र स्तर वृद्धि के प्रभावों को कम किया जा सके।
संक्षेप में, 2100 तक एक मीटर समुद्र स्तर की वृद्धि भारत और हिन्द महासागर क्षेत्र में तटीय कटाव, बाढ़, जनसंख्या विस्थापन, और आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभावों को बढ़ा सकती है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए प्रभावी अनुकूलन और क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता है।
See less
भारतीय उपमहाद्वीप में बादल फटने की क्रियाविधि और घटना **1. क्रियाविधि: बादल फटना एक अत्यधिक तीव्र वर्षा की घटना है, जो आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में होती है। यह तब होता है जब गर्म और आर्द्र वायु अचानक ऊँचाई पर उठती है, जिससे कंडेन्सेशन और भारी वर्षा होती है। ओरोग्राफिक लिफ्टिंग (पहाड़ों द्वारा वायुRead more
भारतीय उपमहाद्वीप में बादल फटने की क्रियाविधि और घटना
**1. क्रियाविधि:
**2. भारतीय उपमहाद्वीप में घटना:
हाल के उदाहरण:
**1. हिमाचल प्रदेश (अगस्त 2021):
**2. उत्तराखंड (अक्टूबर 2022):
इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि बादल फटने की घटनाओं से निपटने के लिए बेहतर मौसम पूर्वानुमान और आपदा प्रबंधन आवश्यक हैं।
See less