किस सीमा तक जर्मनी को दो विश्व युद्धों का कारण बनने का जिम्मेदार ठहराया जा सकता है ? समालोचनात्मक चर्चा कीजिये। (200 words) [UPSC 2015]
द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के मुख्य कारणों का विश्लेषण करते समय, इसके आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक पहलुओं को समझना आवश्यक है। यह युद्ध 20वीं सदी के सबसे बड़े और विनाशकारी संघर्षों में से एक था, और इसके कारण विश्व के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य पर गहरा प्रभाव पड़ा। द्वितीय विश्व युद्ध के मुख्य कRead more
द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के मुख्य कारणों का विश्लेषण करते समय, इसके आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक पहलुओं को समझना आवश्यक है। यह युद्ध 20वीं सदी के सबसे बड़े और विनाशकारी संघर्षों में से एक था, और इसके कारण विश्व के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य पर गहरा प्रभाव पड़ा।
द्वितीय विश्व युद्ध के मुख्य कारण
(i) वैचारिक और राजनीतिक कारण
- वर्साय की संधि (Treaty of Versailles)
- संघर्ष की नींव: 1919 में वर्साय की संधि ने प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मनी को कठिन परिस्थितियों में डाल दिया, जिसमें भारी आर्थिक दंड, सीमाओं में कटौती, और सैन्य प्रतिबंध शामिल थे। जर्मन असंतोष और प्रतिशोध की भावना ने द्वितीय विश्व युद्ध के लिए भूमि तैयार की।
- नाज़ी विचारधारा: अडोल्फ हिटलर और नाज़ी पार्टी ने वर्साय की संधि को अस्वीकार किया और जर्मनी की शक्ति और प्रभुत्व को पुनर्स्थापित करने की कोशिश की, जिससे युद्ध की शुरुआत हुई।
- सत्तावादी तानाशाही और विस्तारवाद
- जर्मनी: हिटलर की नाज़ी सरकार ने जर्मनी की सीमाओं का विस्तार करने और एक “तीसरी रीच” की स्थापना करने की नीति अपनाई। यह नीति आस्ट्रिया और चेकोस्लोवाकिया के हिस्सों पर कब्जे और एक नई विश्व व्यवस्था की स्थापना पर केंद्रित थी।
- इटली: बेंिटो मुसोलिनी के नेतृत्व में इटली ने भी आक्रामक विस्तारवादी नीतियों को अपनाया और एथियोपिया पर आक्रमण किया।
- जापान: जापान ने पूर्वी एशिया और पेसिफिक क्षेत्र में विस्तार की नीति अपनाई, विशेष रूप से चीन पर आक्रमण और पर्ल हार्बर पर हमला किया।
- फासीवादी और साम्यवाद विरोधी विचारधारा
- फासीवाद: जर्मनी, इटली, और जापान ने फासीवादी विचारधारा को अपनाया, जो विस्तारवादी और आक्रामक नीति को बढ़ावा देती थी।
- साम्यवाद का विरोध: पश्चिमी शक्तियाँ, विशेषकर ब्रिटेन और फ्रांस, ने साम्यवाद (विशेषकर सोवियत संघ के प्रति) को खतरे के रूप में देखा और इसे रोकने की कोशिश की।
(ii) आर्थिक कारण
- महामंदी (Great Depression)
- आर्थिक संकट: 1929 की महामंदी ने विश्व अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया। कई देशों में आर्थिक अव्यवस्था, उच्च बेरोजगारी, और सामाजिक असंतोष बढ़ गया।
- आर्थिक अस्थिरता: महामंदी के कारण कई देशों ने आक्रामक आर्थिक नीतियाँ अपनाईं, जिससे तनाव और संघर्ष बढ़े। जर्मनी और जापान ने आर्थिक असंतोष को अपने आक्रामक विस्तारवादी नीतियों के समर्थन में उपयोग किया।
- संविधानिक और व्यापारिक समस्याएँ
- आर्थिक अराजकता: व्यापारिक प्रतिबंध और अर्थव्यवस्था में असमानता ने अंतरराष्ट्रीय तनाव को बढ़ाया। संधियों और समझौतों की विफलता ने आर्थिक संघर्ष को और गहरा किया।
(iii) सामाजिक कारण
- राष्ट्रीयता और संप्रभुतावाद
- नैतिकता और संप्रभुतावाद: विभिन्न देशों में राष्ट्रीयता और संप्रभुतावाद की भावना ने तनाव को बढ़ाया। विशेष रूप से जर्मनी और इटली में, राष्ट्रीयता की अतिवादी भावना ने आक्रामक नीतियों को प्रोत्साहित किया।
- जातीय और सांस्कृतिक भेदभाव: नस्लीय और सांस्कृतिक भेदभाव, जैसे कि नाज़ी जर्मनी में यहूदी विरोधी नीतियाँ, ने सामाजिक तनाव को बढ़ाया और युद्ध को प्रेरित किया।
- सामाजिक असमानता और असंतोष
- सामाजिक असमानता: कई देशों में सामाजिक असमानता और असंतोष ने आक्रामक नीतियों और युद्ध के लिए भूमि तैयार की। आर्थिक और सामाजिक असमानताओं के कारण लोग युद्ध को एक समाधान के रूप में देख रहे थे।
द्वितीय विश्व युद्ध के प्रभाव
(i) आर्थिक प्रभाव
- विश्व आर्थिक पुनर्निर्माण: युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया। युद्ध के बाद, नवनिर्माण और आर्थिक सहयोग के प्रयास शुरू हुए, जैसे कि मार्शल प्लान और विश्व बैंक की स्थापना।
- आर्थिक बदलाव: युद्ध के बाद, कई देशों ने आर्थिक नीतियों में बदलाव किया और अधिक सामाजिक सुरक्षा और वेलफेयर स्टेट की दिशा में कदम बढ़ाया।
(ii) सामाजिक प्रभाव
- मानवाधिकार और न्याय: युद्ध ने मानवाधिकार और न्याय के प्रति जागरूकता को बढ़ाया, और इसके परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना और मानवाधिकारों के सार्वभौमिक घोषणा पत्र का निर्माण हुआ।
- महिलाओं की भूमिका: युद्ध के दौरान और बाद में, महिलाओं ने सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे लैंगिक समानता की दिशा में सुधार हुआ।
(iii) राजनीतिक प्रभाव
- सुपर पावर का उदय: द्वितीय विश्व युद्ध के परिणामस्वरूप अमेरिका और सोवियत संघ सुपर पावर के रूप में उभरे। यह वैश्विक राजनीति में एक नए युग की शुरुआत थी, जिसे शीत युद्ध (Cold War) ने चिन्हित किया।
- उपनिवेशवाद का अंत: युद्ध के बाद, उपनिवेशवाद की प्रणाली समाप्त होने लगी और एशिया और अफ्रीका में स्वतंत्रता आंदोलन ने जोर पकड़ा। कई उपनिवेशी देशों ने स्वतंत्रता प्राप्त की।
- संयुक्त राष्ट्र की स्थापना: 1945 में, द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के बाद, संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना था।
निष्कर्ष
द्वितीय विश्व युद्ध के मुख्य कारणों में वैचारिक, राजनीतिक, आर्थिक, और सामाजिक पहलू शामिल थे। वर्साय की संधि, फासीवादी और साम्यवाद विरोधी विचारधारा, महामंदी, और सामाजिक असंतोष ने युद्ध की स्थिति को जन्म दिया। इसके परिणामस्वरूप, वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, और सामाजिक संरचनाओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए, जिसमें सुपर पावर की उपस्थिति, उपनिवेशवाद का अंत, और मानवाधिकारों की नई दिशा शामिल है।
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जर्मनी की जिम्मेदारी: दो विश्व युद्धों का कारण बनने में जर्मनी को दो विश्व युद्धों के कारणों में जिम्मेदार ठहराने का प्रश्न जटिल और बहु-आयामी है। **1. पहला विश्व युद्ध (1914-1918) पहले विश्व युद्ध में जर्मनी की भूमिका महत्वपूर्ण लेकिन एकमात्र नहीं थी। जर्मनी ने ऑस्ट्रिया-हंगरी को गारंटी दी, जो आर्कडRead more
जर्मनी की जिम्मेदारी: दो विश्व युद्धों का कारण बनने में
जर्मनी को दो विश्व युद्धों के कारणों में जिम्मेदार ठहराने का प्रश्न जटिल और बहु-आयामी है।
**1. पहला विश्व युद्ध (1914-1918)
पहले विश्व युद्ध में जर्मनी की भूमिका महत्वपूर्ण लेकिन एकमात्र नहीं थी। जर्मनी ने ऑस्ट्रिया-हंगरी को गारंटी दी, जो आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या के बाद युद्ध की ओर ले गई। जर्मनी का श्लीफेन योजना, जो फ्रांस पर त्वरित आक्रमण का प्रस्ताव था, युद्ध को बढ़ाने में एक प्रमुख कारण था। हालांकि, यह युद्ध कई देशों की गठबंधनों और जटिल कूटनीतिक संघर्षों का परिणाम था।
**2. दूसरा विश्व युद्ध (1939-1945)
दूसरे विश्व युद्ध में जर्मनी की भूमिका अधिक प्रत्यक्ष थी। एडॉल्फ हिटलर की नेतृत्व में, जर्मनी ने आक्रामक विस्तारवादी नीतियों को अपनाया, जिसमें पोलैंड पर आक्रमण प्रमुख था, जिसने युद्ध को शुरू किया। हिटलर की नाज़ी विचारधारा और अधिकारी शासन ने युद्ध के दौरान व्यापक उत्पीड़न और नरसंहार को जन्म दिया।
**3. वर्तमान संदर्भ और विश्लेषण
हाल के विश्लेषण और ऐतिहासिक पुनरावलोकन से पता चलता है कि जबकि जर्मनी की भूमिका महत्वपूर्ण थी, युद्धों के कारण बहुपरकारी थे। वर्साय संधि की कठोर शर्तें और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की विफलता ने जर्मनी में चरमपंथ और सैन्यवाद को बढ़ावा दिया।
अतः, जर्मनी को दोनों विश्व युद्धों के कारणों में प्रमुख माना जा सकता है, लेकिन इन युद्धों की जटिलता और अन्य वैश्विक शक्तियों की भूमिका भी महत्वपूर्ण है।
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