भारत में नाभिकीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी की संवृद्धि और विकास का विवरण प्रस्तुत कीजिए। भारत में तीव्र प्रजनक रियेक्टर कार्यक्रम का क्या लाभ है ? (250 words) [UPSC 2017]
भारत में स्टार्ट-अप परिवेश की उत्कृष्ट प्रगति के बावजूद, डीप टेक स्टार्ट-अप्स की विकास की तत्काल आवश्यकता को कम करके नहीं आंका जा सकता। डीप टेक स्टार्ट-अप्स, जो अत्याधुनिक तकनीक जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, और क्वांटम कंप्यूटिंग पर आधारित होते हैं, देश की प्रतिस्पर्धात्मकता और वैश्विक नेतRead more
भारत में स्टार्ट-अप परिवेश की उत्कृष्ट प्रगति के बावजूद, डीप टेक स्टार्ट-अप्स की विकास की तत्काल आवश्यकता को कम करके नहीं आंका जा सकता। डीप टेक स्टार्ट-अप्स, जो अत्याधुनिक तकनीक जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, और क्वांटम कंप्यूटिंग पर आधारित होते हैं, देश की प्रतिस्पर्धात्मकता और वैश्विक नेतृत्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
इन स्टार्ट-अप्स के अभाव में, भारत उन्नत तकनीक के क्षेत्र में पिछड़ सकता है और अपनी वैश्विक टेक्नोलॉजी सृजन की क्षमता खो सकता है। डीप टेक स्टार्ट-अप्स उच्च रिसर्च और विकास निवेश की मांग करते हैं, जिससे नई तकनीकों के आविष्कार और उनका व्यावसायिक उपयोग संभव हो सकता है।
इसके अलावा, इन स्टार्ट-अप्स से उभरने वाली नवाचारशील तकनीकें देश की सुरक्षा, स्वास्थ्य और ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। इसलिए, इनकी वृद्धि को बढ़ावा देना और उनके विकास में निवेश करना अत्यंत आवश्यक है।
See less
भारत में नाभिकीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी की संवृद्धि और विकास 1. प्रारंभिक विकास और प्रमुख मील के पत्थर: **1. स्थापना और प्रारंभिक कदम: 1948: भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग (AEC) की स्थापना के साथ नाभिकीय विज्ञान में भारत की यात्रा शुरू हुई। 1962: अप्सरा, भारत का पहला स्वदेशी परमाणु रियेक्टर, बंबई परमाणुRead more
भारत में नाभिकीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी की संवृद्धि और विकास
1. प्रारंभिक विकास और प्रमुख मील के पत्थर:
**1. स्थापना और प्रारंभिक कदम:
**2. नाभिकीय प्रौद्योगिकी में उन्नति:
**3. हालिया विकास:
भारत में तीव्र प्रजनक रियेक्टर कार्यक्रम के लाभ
**1. ईंधन दक्षता में सुधार:
**2. थोरियम का उपयोग:
**3. रेडियोधर्मी कचरे में कमी:
**4. ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि:
हालिया उदाहरण:
निष्कर्ष: