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भारत में बंदरगाह संबंधी अवसंरचना के विकास को बाधित करने वाले विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कीजिए और उनके समाधान हेतु सरकार द्वारा किए गए हालिया उपायों का वर्णन कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
भारत में बंदरगाह संबंधी अवसंरचना के विकास को बाधित करने वाले मुद्दे: अवसंरचना की कमी: पुराने और असंगठित बंदरगाहों में पर्याप्त बुनियादी ढांचे की कमी है, जिससे संचालन और त्वरित लदान प्रक्रिया प्रभावित होती है। लॉजिस्टिक और परिवहन समस्याएँ: बंदरगाहों से अंतर्देशीय क्षेत्रों तक सामग्री का परिवहन अप्रभाRead more
भारत में बंदरगाह संबंधी अवसंरचना के विकास को बाधित करने वाले मुद्दे:
सरकार द्वारा किए गए हालिया उपाय:
इन उपायों से भारत के बंदरगाहों की अवसंरचना में सुधार और संपूर्ण लॉजिस्टिक नेटवर्क की दक्षता बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है।
See lessस्विस चैलेंज मॉडल क्या है है? इस मॉडल से संबंधित लाभों और इससे संबंधित समस्याओं की विवेचना कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
स्विस चैलेंज मॉडल एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के तहत परियोजना चयन और निष्पादन का एक तरीका है, जिसमें निजी क्षेत्र को एक प्रस्ताव प्रस्तुत करने का मौका दिया जाता है। इस मॉडल में, सरकार पहले एक बुनियादी परियोजना का ढांचा तैयार करती है और फिर निजी कंपनियों को आमंत्रित करती है कि वे इस ढांचे को लागRead more
स्विस चैलेंज मॉडल एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के तहत परियोजना चयन और निष्पादन का एक तरीका है, जिसमें निजी क्षेत्र को एक प्रस्ताव प्रस्तुत करने का मौका दिया जाता है। इस मॉडल में, सरकार पहले एक बुनियादी परियोजना का ढांचा तैयार करती है और फिर निजी कंपनियों को आमंत्रित करती है कि वे इस ढांचे को लागू करने के लिए अपनी तकनीकी और वित्तीय पेशकश दें। सबसे अच्छा प्रस्ताव प्राप्त करने के बाद, अन्य कंपनियों को चुनौती देने का अवसर मिलता है। यदि वे बेहतर प्रस्ताव देते हैं, तो पहले वाले प्रस्ताव को सुधारकर या प्रतिस्थापित करके अंतिम चयन किया जाता है।
लाभ:
समस्याएँ:
स्विस चैलेंज मॉडल सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच प्रभावी सहयोग सुनिश्चित करने के लिए एक उपयोगी उपकरण हो सकता है, लेकिन इसे लागू करते समय सावधानी और पारदर्शिता बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
See lessलैंड पूलिंग क्या है? इसके लाभों और इससे संबद्ध चुनौतियों का वर्णन कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
लैंड पूलिंग (Land Pooling) एक भूमि प्रबंधन विधि है जिसमें विभिन्न भूमि धारक अपनी भूमि को एक सामूहिक पूल में मिलाते हैं। इसका उद्देश्य विकास परियोजनाओं, जैसे कि आवासीय, वाणिज्यिक, और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए भूमि को संगठित और व्यवस्थित करना होता है। भूमि को एकत्रित करने के बाद, उसे विकास केRead more
लैंड पूलिंग (Land Pooling) एक भूमि प्रबंधन विधि है जिसमें विभिन्न भूमि धारक अपनी भूमि को एक सामूहिक पूल में मिलाते हैं। इसका उद्देश्य विकास परियोजनाओं, जैसे कि आवासीय, वाणिज्यिक, और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए भूमि को संगठित और व्यवस्थित करना होता है। भूमि को एकत्रित करने के बाद, उसे विकास के लिए उपयोग में लाया जाता है, और विकास के पश्चात भूमि धारकों को पुनः आवंटित किया जाता है।
लाभ:
चुनौतियाँ:
इस प्रकार, भूमि पूलिंग एक प्रभावी विकास उपकरण हो सकता है, लेकिन इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए समुचित योजना और प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
See lessसड़क क्षेत्रक में बुनियादी ढांचे के वित्त पोषण को सुव्यवस्थित करने के लिए कई उपायों को अपनाए जाने के बावजूद, निजी निवेश ने सीमित भूमिका निभाई है। चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दें)
सड़क क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के वित्त पोषण को सुव्यवस्थित करना महत्वपूर्ण है क्योंकि सड़क सुरक्षा, विकास और अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक है। हालांकि, निजी निवेश ने इस क्षेत्र में सीमित या अपर्याप्त भूमिका निभाई है। एक प्रमुख कारण है सड़क परियोजनाओं की लंबी वार्षिक आवश्यकताएं और पूंजीकरण की अभाव. अतRead more
सड़क क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के वित्त पोषण को सुव्यवस्थित करना महत्वपूर्ण है क्योंकि सड़क सुरक्षा, विकास और अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक है। हालांकि, निजी निवेश ने इस क्षेत्र में सीमित या अपर्याप्त भूमिका निभाई है।
एक प्रमुख कारण है सड़क परियोजनाओं की लंबी वार्षिक आवश्यकताएं और पूंजीकरण की अभाव. अतिरिक्त रूप से, बैंकों और वित्तीय संस्थानों के द्वारा प्रदान की जाने वाली धनराशि की सीमितता और लाभकारी शर्तें भी निजी निवेश को प्रभावित करती हैं।
इस समस्या का समाधान करने के लिए सरकारों को नए और उत्तेजक निवेशकों को आकर्षित करने के लिए नीतियाँ बनानी चाहिए। सरकारों को निजी सेक्टर को सहायता और प्रोत्साहन प्रदान करने की आवश्यकता है, जैसे कि वित्तीय प्रोत्साहन, कर्ज मुक्ति, और सरकारी परियोजनाओं में निजी भागीदारी।
साथ ही, सरकारों को निवेशकों के लिए विशेष कर्ज योजनाएं प्रदान करनी चाहिए जो सड़क परियोजनाओं को आकर्षित बना सकती हैं। इसके साथ ही, सरकारों को भी प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग और पारदर्शिता में सुधार करने की आवश्यकता है ताकि निजी निवेशकों को भरोसा हो कि उनका निवेश सुरक्षित और लाभकारी होगा।
See lessनई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति में न केवल भारत के लॉजिस्टिक्स तंत्र में बदलाव करने की क्षमता है बल्कि इसमें रोजगार सृजन में तीव्रता लाने की भी क्षमता है। चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
नई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (National Logistics Policy) भारत के लॉजिस्टिक्स तंत्र में महत्वपूर्ण सुधार लाने की क्षमता रखती है, साथ ही यह रोजगार सृजन में भी उल्लेखनीय योगदान कर सकती है। इस नीति का उद्देश्य लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला के क्षेत्रों को आधुनिक और अधिक कुशल बनाना है, जो न केवल आर्थिRead more
नई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (National Logistics Policy) भारत के लॉजिस्टिक्स तंत्र में महत्वपूर्ण सुधार लाने की क्षमता रखती है, साथ ही यह रोजगार सृजन में भी उल्लेखनीय योगदान कर सकती है। इस नीति का उद्देश्य लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला के क्षेत्रों को आधुनिक और अधिक कुशल बनाना है, जो न केवल आर्थिक विकास को गति देगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा।
लॉजिस्टिक्स तंत्र में बदलाव: नीति के तहत, लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं जैसे कि जटिल प्रक्रियाएं, खराब बुनियादी ढांचा, और उच्च लागत को संबोधित किया जाएगा। इसके लिए, एकीकृत लॉजिस्टिक्स प्रणाली, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, और बेहतर बुनियादी ढांचे की स्थापना की जाएगी। इसके अतिरिक्त, यह नीति डेटा एनालिटिक्स और इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम्स के उपयोग को बढ़ावा देगी, जिससे आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में सुधार होगा और लॉजिस्टिक्स की लागत कम होगी।
रोजगार सृजन: नीति द्वारा प्रस्तावित सुधारों से कई नए रोजगार अवसर उत्पन्न होंगे। उदाहरण के लिए, लॉजिस्टिक्स हब्स और वेयरहाउसिंग सेंटर के निर्माण से स्थानीय स्तर पर कामकाजी अवसर बढ़ेंगे। साथ ही, डिजिटल और तकनीकी समाधानों के कार्यान्वयन के साथ, IT और डेटा प्रबंधन से जुड़े पेशेवरों की मांग में वृद्धि होगी। इसके अलावा, एक कुशल लॉजिस्टिक्स नेटवर्क छोटे और मध्यम उद्यमों को वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने में मदद करेगा, जिससे व्यापार और औद्योगिक गतिविधियों में वृद्धि होगी और रोजगार की संभावना बढ़ेगी।
समग्रतः, नई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को आधुनिक बनाने और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके प्रभावी कार्यान्वयन से न केवल व्यापारिक दक्षता बढ़ेगी बल्कि व्यापक आर्थिक लाभ और सामाजिक विकास भी सुनिश्चित होगा।
See lessदुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवकों में से एक होने के बावजूद, भारतीय ट्रेनों की गति विकसित देशों की तुलना में कम है। इसके लिए उत्तरदायी कारणों को स्पष्ट कीजिए तथा इस संबंध में सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों का उल्लेख कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दें)
भारतीय ट्रेनों की धीमी गति के कारण: पुराना इंफ्रास्ट्रक्चर: भारतीय रेलवे का इन्फ्रास्ट्रक्चर, जिसमें पटरियाँ, सिग्नलिंग सिस्टम और ट्रेनों के कोच शामिल हैं, कई दशकों पुराना है। इसे आधुनिक मानकों के अनुरूप अपडेट करने में समय और धन की आवश्यकता होती है। सिग्नलिंग और ट्रैक की स्थिति: सिग्नलिंग सिस्टम पुरRead more
भारतीय ट्रेनों की धीमी गति के कारण:
पुराना इंफ्रास्ट्रक्चर: भारतीय रेलवे का इन्फ्रास्ट्रक्चर, जिसमें पटरियाँ, सिग्नलिंग सिस्टम और ट्रेनों के कोच शामिल हैं, कई दशकों पुराना है। इसे आधुनिक मानकों के अनुरूप अपडेट करने में समय और धन की आवश्यकता होती है।
सिग्नलिंग और ट्रैक की स्थिति: सिग्नलिंग सिस्टम पुराना और ट्रैक की स्थिति कई स्थानों पर असमर्थनीय है, जिससे ट्रेनों की गति को नियंत्रित करना पड़ता है। पुराने सिग्नलिंग सिस्टम और ट्रैक की मरम्मत की कमी ट्रेनों की गति को प्रभावित करती है।
रेलवे क्रॉसिंग: रेलवे क्रॉसिंग और अतिक्रमणों की समस्या ट्रेनों की गति में बाधक बनती है। ये समस्याएं सुरक्षा के लिहाज से भी चुनौतीपूर्ण होती हैं।
सुरक्षा और यातायात प्रबंधन: उच्च गति ट्रेनों के लिए सख्त सुरक्षा मानकों और सुव्यवस्थित यातायात प्रबंधन की आवश्यकता होती है, जिसे वर्तमान प्रणाली पूरी तरह से संभाल नहीं पाती।
सरकारी कदम:
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर: भारत सरकार ने पूर्वी और पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण शुरू किया है। ये कॉरिडोर विशेष रूप से माल ढुलाई के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जिससे यात्री ट्रेनों की गति बढ़ सके।
उच्च गति रेल परियोजनाएँ: ‘बुलेट ट्रेन’ परियोजना, जैसे कि मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर, भारत में उच्च गति रेल नेटवर्क का निर्माण कर रही है। यह परियोजना भारतीय रेलवे को नई गति मानकों के साथ जोड़ने का प्रयास है।
सिग्नलिंग और ट्रैक उन्नयन: भारतीय रेलवे ने सिग्नलिंग सिस्टम को आधुनिक बनाने और ट्रैक को अपग्रेड करने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं। इसमें इलेक्ट्रॉनिक सिग्नलिंग और उच्च गुणवत्ता वाले ट्रैक निर्माण शामिल है।
फास्ट ट्रैक मरम्मत और मेंटेनेंस: ट्रैक और इंफ्रास्ट्रक्चर की नियमित मरम्मत और रखरखाव के लिए फास्ट ट्रैक प्रक्रियाओं को लागू किया जा रहा है, जिससे दुर्घटनाओं और रुकावटों की संभावना कम हो सके।
ये उपाय भारतीय रेलवे की गति और दक्षता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, और विकसित देशों के मानकों के साथ सामंजस्य स्थापित करने में सहायक हो सकते हैं।
See lessभारत के लिए राष्ट्रीय रेल योजना (NRP)- 2030, वर्ष 2030 तक 'भविष्य के लिए तैयार' रेलवे प्रणाली के निर्माण का प्रयास करती है। विवेचना कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
राष्ट्रीय रेल योजना (NRP) 2030 एक महत्वपूर्ण पहल है जो भारतीय रेलवे को वर्ष 2030 तक 'भविष्य के लिए तैयार' रेलवे प्रणाली में बदलने का लक्ष्य रखती है। यह योजना रेलवे क्षेत्र में नवाचार, मॉडल्स ऑफ ऑपरेशन, तकनीकी नवाचार, सुधार और स्थिरता को प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रही है। NRP-2030 भारतीय रेलवे कोRead more
राष्ट्रीय रेल योजना (NRP) 2030 एक महत्वपूर्ण पहल है जो भारतीय रेलवे को वर्ष 2030 तक ‘भविष्य के लिए तैयार’ रेलवे प्रणाली में बदलने का लक्ष्य रखती है। यह योजना रेलवे क्षेत्र में नवाचार, मॉडल्स ऑफ ऑपरेशन, तकनीकी नवाचार, सुधार और स्थिरता को प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रही है।
NRP-2030 भारतीय रेलवे को एक आधुनिक, सुरक्षित, और पर्यावरण के प्रति सजग रेलवे बनाने की दिशा में कदम बढ़ाने का उद्देश्य रखती है। इस योजना के तहत भारतीय रेलवे का ढांचा मजबूत और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने के लिए नवाचारिक सोच और विकास को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
इस योजना के माध्यम से रेलवे सेवाओं को बेहतर और अधिक सुरक्षित बनाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे यात्रीगण को सुविधा मिले और भारतीय रेलवे का संचालन एक उच्च स्तर पर हो। NRP-2030 भारतीय रेलवे को भविष्य के तैयार होने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने में मदद करेगी।
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