दलहन की कृषि के लाभों का उल्लेख कीजिए जिसके कारण संयुक्त राष्ट्र के द्वारा वर्ष 2016 को अन्तर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष घोषित किया गया था । (150 words) [UPSC 2017]
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1960 के दशक में शुद्ध खाद्य आयातक से भारत के विश्व में एक शुद्ध खाद्य निर्यातक के रूप में उभरने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- हरित क्रांति: 1960 के दशक के अंत में, हरित क्रांति के अंतर्गत नई कृषि तकनीकों और उच्च उपज वाली किस्मों का परिचय हुआ। इससे भारत ने खाद्य उत्पादन में तेजी से वृद्धि की। विशेष रूप से, गेहूं और चावल की फसल में सुधार हुआ, जिससे खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हुई और अधिशेष उत्पादन हुआ।
- सिंचाई परियोजनाएँ: बड़े पैमाने पर सिंचाई परियोजनाओं का कार्यान्वयन, जैसे कि नहरों और जलाशयों का निर्माण, ने कृषि उत्पादन को बढ़ाया। इससे भूमि की अधिकतम उपयोगिता और वर्षा के आधार पर निर्भरता कम हुई, जिससे स्थिर और बढ़ी हुई फसलें सुनिश्चित हुईं।
- कृषि अनुसंधान और प्रौद्योगिकी: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और अन्य संस्थानों द्वारा कृषि अनुसंधान और विकास ने नई तकनीकों, उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को बढ़ावा दिया। इससे उत्पादकता में सुधार हुआ और उत्पादन की लागत कम हुई।
- सरकारी नीतियाँ: भारतीय सरकार ने कृषि क्षेत्र में समर्थन मूल्य योजनाओं, सब्सिडी और क्रेडिट सुविधाओं के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहित किया। इन नीतियों ने उत्पादन बढ़ाने में मदद की और किसानों को लाभकारी कीमतों पर फसल बेचने के लिए प्रेरित किया।
- उत्पादन की विविधता: भारत ने केवल खाद्यान्नों का उत्पादन नहीं बढ़ाया, बल्कि अन्य फसलों जैसे कि दालें, तेल बीज, और ताजे फल भी उगाए, जो निर्यात के लिए उपलब्ध थे।
- वैश्विक बाजार में प्रवेश: भारत ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों और वैश्विक बाजार में अपनी उपस्थिति को बढ़ावा दिया। इसके परिणामस्वरूप, भारत ने खाद्य उत्पादों के निर्यात में वृद्धि की और एक शुद्ध खाद्य निर्यातक के रूप में उभरा।
इन कारणों के परिणामस्वरूप, भारत ने खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त की और वैश्विक खाद्य बाजार में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया।
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दलहन की कृषि के लाभ: 2016 का अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष पोषण संबंधी लाभ दलहन पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जैसे कि प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिज। ये पोषण से भरपूर विकल्प प्रदान करते हैं, जो विशेष रूप से विकासशील देशों में कुपोषण को कम करने में सहायक होते हैं। मिट्टी की सेहत दलहन नाइट्रोजन-फिक्सिंगRead more
दलहन की कृषि के लाभ: 2016 का अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष
पोषण संबंधी लाभ
दलहन पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जैसे कि प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिज। ये पोषण से भरपूर विकल्प प्रदान करते हैं, जो विशेष रूप से विकासशील देशों में कुपोषण को कम करने में सहायक होते हैं।
मिट्टी की सेहत
दलहन नाइट्रोजन-फिक्सिंग फसलें होती हैं, जो मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाकर उसकी उर्वरता में सुधार करती हैं। इससे रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता कम होती है और मिट्टी की सेहत बनी रहती है।
जलवायु अनुकूलता
दलहन कम जल की आवश्यकता वाले पौधे होते हैं और विविध जलवायु परिस्थितियों में उग सकते हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन में मदद मिलती है।
आर्थिक लाभ
दलहन की खेती कृषक की आय को विविधता प्रदान करती है और एक महत्वपूर्ण निर्यात वस्तु के रूप में लाभकारी होती है। उदाहरण के तौर पर, भारत, जो दलहन का प्रमुख उत्पादक और उपभोक्ता है, दलहन के निर्यात से आर्थिक लाभ प्राप्त करता है।
इन लाभों के कारण, संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2016 को अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष घोषित किया, जिससे दलहन की महत्वपूर्ण भूमिका को वैश्विक खाद्य सुरक्षा और सतत कृषि में उजागर किया जा सके।
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