दलहन की कृषि के लाभों का उल्लेख कीजिए जिसके कारण संयुक्त राष्ट्र के द्वारा वर्ष 2016 को अन्तर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष घोषित किया गया था । (150 words) [UPSC 2017]
उत्तर भारत में फसल अवशेष और पराली दहन वायु प्रदूषण की महामारी के रूप में सामान्य हो गया है, खासकर शीतकालीन महीनों में। यह वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और एक सामाजिक-आर्थिक मुद्दा भी बन चुका है। समस्या का समाधान तकनीकी, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलों से होना चाहिए। पहले, कृषि प्रौद्योगिकियोRead more
उत्तर भारत में फसल अवशेष और पराली दहन वायु प्रदूषण की महामारी के रूप में सामान्य हो गया है, खासकर शीतकालीन महीनों में। यह वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और एक सामाजिक-आर्थिक मुद्दा भी बन चुका है।
समस्या का समाधान तकनीकी, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलों से होना चाहिए। पहले, कृषि प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके फसल अवशेष को नष्ट करने के लिए उन्नत तरीके विकसित करने चाहिए। दूसरे, किसानों की जागरूकता बढ़ानी चाहिए ताकि उन्हें पराली का सही तरीके से प्रबंधन करने के लिए जागरूक किया जा सके।
समाज में जागरूकता फैलाने के लिए सरकार को जन साझेदारी योजनाएं चलानी चाहिए। इसके साथ ही, स्थानीय स्तर पर सामुदायिक संगठनों को समर्थित करना चाहिए ताकि उन्हें स्थानीय स्तर पर समस्या का सामना करने में मदद मिल सके।
इस समस्या का समाधान केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी होना चाहिए। सरकार को नीतियों और योजनाओं के माध्यम से समस्या का समाधान करने में सक्षम होना चाहिए, जैसे कि पराली का उपयोग और उसके प्रबंधन के लिए निर्देशिकाएं जारी करना।
इस प्रकार, तकनीकी, सामाजिक और आर्थिक पहलों को मिलाकर एक समग्र समाधान विकसित किया जा सकता है जो उत्तर भारत में फसल अवशेष और पराली दहन से उत्पन्न होने वाले वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान कर सकता है।
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दलहन की कृषि के लाभ: 2016 का अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष पोषण संबंधी लाभ दलहन पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जैसे कि प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिज। ये पोषण से भरपूर विकल्प प्रदान करते हैं, जो विशेष रूप से विकासशील देशों में कुपोषण को कम करने में सहायक होते हैं। मिट्टी की सेहत दलहन नाइट्रोजन-फिक्सिंगRead more
दलहन की कृषि के लाभ: 2016 का अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष
पोषण संबंधी लाभ
दलहन पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जैसे कि प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिज। ये पोषण से भरपूर विकल्प प्रदान करते हैं, जो विशेष रूप से विकासशील देशों में कुपोषण को कम करने में सहायक होते हैं।
मिट्टी की सेहत
दलहन नाइट्रोजन-फिक्सिंग फसलें होती हैं, जो मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाकर उसकी उर्वरता में सुधार करती हैं। इससे रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता कम होती है और मिट्टी की सेहत बनी रहती है।
जलवायु अनुकूलता
दलहन कम जल की आवश्यकता वाले पौधे होते हैं और विविध जलवायु परिस्थितियों में उग सकते हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन में मदद मिलती है।
आर्थिक लाभ
दलहन की खेती कृषक की आय को विविधता प्रदान करती है और एक महत्वपूर्ण निर्यात वस्तु के रूप में लाभकारी होती है। उदाहरण के तौर पर, भारत, जो दलहन का प्रमुख उत्पादक और उपभोक्ता है, दलहन के निर्यात से आर्थिक लाभ प्राप्त करता है।
इन लाभों के कारण, संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2016 को अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष घोषित किया, जिससे दलहन की महत्वपूर्ण भूमिका को वैश्विक खाद्य सुरक्षा और सतत कृषि में उजागर किया जा सके।
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