‘दक्कन ट्रैप’ की प्राकृतिक संसाधन-सम्भावनाओं की चर्चा कीजिए। (150 words)[UPSC 2022]
गोंडवानालैंड के देशों में भारत के खनन उद्योग का जी.डी.पी. में कम योगदान खनन संसाधनों की प्रचुरता: भौगोलिक विशेषता: भारत गोंडवानालैंड के प्राचीन भाग में स्थित है, जहाँ खनिज संसाधनों की प्रचुरता है। इसके बावजूद, खनिज जैसे कोयला, लौह अयस्क, और बauxite का जी.डी.पी. में योगदान अपेक्षाकृत कम है। संघर्ष औरRead more
गोंडवानालैंड के देशों में भारत के खनन उद्योग का जी.डी.पी. में कम योगदान
खनन संसाधनों की प्रचुरता:
- भौगोलिक विशेषता: भारत गोंडवानालैंड के प्राचीन भाग में स्थित है, जहाँ खनिज संसाधनों की प्रचुरता है। इसके बावजूद, खनिज जैसे कोयला, लौह अयस्क, और बauxite का जी.डी.पी. में योगदान अपेक्षाकृत कम है।
संघर्ष और अवसंरचना:
- अवसंरचनात्मक समस्याएँ: खनन क्षेत्र में पुरानी और अपर्याप्त अवसंरचना के कारण उत्पादन लागत अधिक है और क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है। उदाहरण के लिए, झारखंड और ओडिशा में खनन अवसंरचना की कमी ने खनन क्षमता को प्रभावित किया है।
- प्रबंधन और नियमन: खनन उद्योग में नियामक मुद्दे और भ्रष्टाचार के कारण उद्योग का विकास बाधित हुआ है। गोवा में अवैध खनन और खनिज निर्यात के विवादों ने क्षेत्र के विकास को प्रभावित किया है।
आर्थिक और पर्यावरणीय कारण:
- पर्यावरणीय चिंताएँ: खनन के पर्यावरणीय प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए कठिन नियम और नीतियाँ लागू की गई हैं, जिससे उद्योग की वृद्धि सीमित हो रही है। केरला में वन क्षेत्र के संरक्षण के कारण खनन परियोजनाओं में रुकावट आई है।
इन कारणों से, भारत के खनन उद्योग का जी.डी.पी. में योगदान अपेक्षाकृत कम है, जबकि गोंडवानालैंड में खनिज संसाधनों की प्रचुरता मौजूद है।
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प्राथमिक चट्टानें, जिन्हें आग्नेय या इग्नियस चट्टानें भी कहा जाता है, वे चट्टानें हैं जो मैग्मा या लावा के ठोस होने से बनती हैं। इनकी विशेषताएँ और प्रकार निम्नलिखित हैं: विशेषताएँ: रूप: ये चट्टानें अक्सर कणों की संरचना में होते हैं और इनके ठोस होने का समय आग्नेय प्रक्रियाओं पर निर्भर करता है। संघटन:Read more
प्राथमिक चट्टानें, जिन्हें आग्नेय या इग्नियस चट्टानें भी कहा जाता है, वे चट्टानें हैं जो मैग्मा या लावा के ठोस होने से बनती हैं। इनकी विशेषताएँ और प्रकार निम्नलिखित हैं:
विशेषताएँ:
प्रकार:
प्राथमिक चट्टानें पृथ्वी की सतह के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और इनकी संरचना से भूगर्भीय प्रक्रियाओं की जानकारी मिलती है।
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