1991 के आर्थिक सुधार, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक व्यापक संरचनात्मक सुधार थे। चर्चा कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
भारतीय अर्थव्यवस्था और V-आकार के पुनरुत्थान V-आकार का पुनरुत्थान: V-आकार का पुनरुत्थान वह स्थिति है जिसमें आर्थिक गतिविधियों में तेज गिरावट के बाद तीव्र और मजबूत सुधार होता है, जो पूर्व-संकट स्तरों पर लौटता है। यह आकलन करने के लिए कि क्या भारतीय अर्थव्यवस्था ने हाल ही में ऐसा पुनरुत्थान अनुभव किया हRead more
भारतीय अर्थव्यवस्था और V-आकार के पुनरुत्थान
V-आकार का पुनरुत्थान: V-आकार का पुनरुत्थान वह स्थिति है जिसमें आर्थिक गतिविधियों में तेज गिरावट के बाद तीव्र और मजबूत सुधार होता है, जो पूर्व-संकट स्तरों पर लौटता है। यह आकलन करने के लिए कि क्या भारतीय अर्थव्यवस्था ने हाल ही में ऐसा पुनरुत्थान अनुभव किया है, हाल की आर्थिक प्रवृत्तियों और डेटा का विश्लेषण करना आवश्यक है।
V-आकार के पुनरुत्थान के प्रमाण:
- तेज GDP वृद्धि: COVID-19 महामारी के दौरान गंभीर संकुचन के बाद, भारतीय GDP ने तेजी से सुधार किया। FY 2020-21 में अर्थव्यवस्था 7.3% संकुचित हुई, लेकिन FY 2021-22 में यह 8.7% बढ़ी, जो तेजी से सुधार को दर्शाता है। IMF के अनुसार, FY 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर लगभग 6.8% रहने की संभावना है, जो निरंतर मजबूत सुधार को दिखाती है।
- उद्योग और सेवाओं के क्षेत्र में सुधार: Manufacturing Purchasing Managers’ Index (PMI) और services PMI ने महत्वपूर्ण सुधार दिखाया है। विनिर्माण क्षेत्र ने 2022 में पूर्व-महामारी स्तरों को पार किया। सेवा क्षेत्र भी मजबूत वृद्धि का अनुभव कर रहा है, जो उपभोक्ता खर्च और व्यावसायिक गतिविधियों द्वारा प्रेरित है।
- उच्च उपभोक्ता और व्यापार विश्वास: उपभोक्ता विश्वास और व्यापार उम्मीदें के सूचकांक में सुधार हुआ है। Consumer Confidence Index (CCI) और Business Expectations Index महामारी के समय की तुलना में उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं, जो सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
V-आकार के पुनरुत्थान की चुनौती:
- असमान पुनरुत्थान: पुनरुत्थान असमान रहा है, कुछ क्षेत्रों में। छोटे व्यवसायों और असंगठित क्षेत्रों को बड़ी कंपनियों की तुलना में अधिक कठिनाइयाँ हुई हैं।
- महंगाई और बाहरी दबाव: महंगाई और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधाएं लगातार चुनौतियाँ प्रस्तुत करती हैं। उदाहरण के लिए, वैश्विक ऊर्जा कीमतों में वृद्धि ने घरेलू महंगाई और आर्थिक स्थिरता को प्रभावित किया है।
निष्कर्ष: जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था ने प्रमुख आर्थिक संकेतकों और वृद्धि दरों में V-आकार के पुनरुत्थान का संकेत दिया है, असमान पुनरुत्थान और बाहरी आर्थिक दबावों ने यह सुझाव दिया कि जबकि सुधार तेज था, यह चुनौतियों के बिना नहीं है। इसलिए, भारतीय अर्थव्यवस्था ने प्रभावशाली सुधार दिखाया है, लेकिन दीर्घकालिक स्थिरता और वृद्धि को प्रभावित करने वाली संरचनात्मक और बाहरी चुनौतियाँ मौजूद हैं।
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1991 के आर्थिक सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर थे। ये सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट और मंदी से उबारने के लिए लागू किए गए थे और इसका उद्देश्य आर्थिक संरचना को स्थिर और प्रतिस्पर्धी बनाना था। मुख्य सुधारों में शामिल हैं: वित्तीय क्षेत्र की सुधार: सरकारी बैंकों और वित्तीRead more
1991 के आर्थिक सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर थे। ये सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट और मंदी से उबारने के लिए लागू किए गए थे और इसका उद्देश्य आर्थिक संरचना को स्थिर और प्रतिस्पर्धी बनाना था।
मुख्य सुधारों में शामिल हैं:
ये सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिरता, वृद्धि और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने में सहायक साबित हुए। इनके परिणामस्वरूप भारत की आर्थिक विकास दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और विदेशी निवेश में भी वृद्धि दर्ज की गई।
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