सोने के लिए भारतीयों के उन्माद ने हाल के वर्षों में सोने के आयात में प्रोत्कर्ष (उछाल) उत्पन्न कर दिया है और भुगतान संतुलन और रुपए के बाह्य मूल्य पर दबाव डाला है। इसको देखते हुए, स्वर्ण मुद्रीकरण योजना के ...
विश्व व्यापार में संरक्षणवाद और मुद्रा चालबाजियों का भारत की समष्टि-आर्थिक स्थिरता पर प्रभाव परिचय हाल की परिघटनाएँ जैसे संरक्षणवाद और मुद्रा चालबाजियाँ वैश्विक व्यापार में गहरा असर डाल रही हैं, जो भारत की समष्टि-आर्थिक स्थिरता को प्रभावित कर सकती हैं। संरक्षणवाद व्यापार अवरोध संरक्षणवाद के अंतर्गतRead more
विश्व व्यापार में संरक्षणवाद और मुद्रा चालबाजियों का भारत की समष्टि-आर्थिक स्थिरता पर प्रभाव
परिचय
हाल की परिघटनाएँ जैसे संरक्षणवाद और मुद्रा चालबाजियाँ वैश्विक व्यापार में गहरा असर डाल रही हैं, जो भारत की समष्टि-आर्थिक स्थिरता को प्रभावित कर सकती हैं।
संरक्षणवाद
- व्यापार अवरोध
संरक्षणवाद के अंतर्गत व्यापार अवरोध जैसे कि शुल्क और आयात कोटा बढ़ाए जाते हैं। इससे भारत को आयातित वस्तुओं और कच्चे माल की लागत बढ़ सकती है। उदाहरण के लिए, अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के दौरान लगाए गए शुल्कों ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित किया और भारत के निर्माताओं पर लागत का बोझ डाला। - निर्यात चुनौतियाँ
प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में संरक्षणवादी नीतियाँ भारतीय निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। भारत के वस्त्र उद्योग को कई देशों द्वारा एंटी-डंपिंग शुल्कों का सामना करना पड़ा, जिससे निर्यात की मात्रा और आय में कमी आई। - आर्थिक वृद्धि
व्यापार की मात्रा में कमी आर्थिक वृद्धि को धीमा कर सकती है। उदाहरण के लिए, यदि प्रमुख बाजार संरक्षणवादी उपाय अपनाते हैं, तो यह भारतीय सामान और सेवाओं की मांग को कम कर सकता है।
मुद्रा चालबाजियाँ
- विनिमय दर की अस्थिरता
मुद्रा चालबाजियाँ के कारण विनिमय दर में अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है। उदाहरण के लिए, अगर प्रमुख देश अपनी मुद्रा को कृत्रिम रूप से कम करते हैं, तो इससे भारतीय रुपए की मूल्यवर्ग में अस्थिरता आ सकती है, जिससे निर्यात की प्रतिस्पर्धात्मकता और आयात की लागत प्रभावित हो सकती है। - मुद्रास्फीति का दबाव
रुपये की कमजोरी से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। उदाहरण के लिए, आयातित कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से घरेलू ईंधन की कीमतें ऊंची हो सकती हैं, जिससे जीवनयापन की लागत पर असर पड़ेगा। - पूंजी प्रवाह
मुद्रा अस्थिरता पूंजी प्रवाह को भी प्रभावित कर सकती है। मुद्रा अस्थिरता के चलते निवेशक असुरक्षित महसूस कर सकते हैं, जिससे विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) और पोर्टफोलियो निवेश में कमी आ सकती है।
हालिया उदाहरण
- अमेरिका-चीन व्यापार विवाद और इसके दौरान लागू किए गए शुल्कों ने वैश्विक व्यापार पर असर डाला, जो भारतीय निर्यातकों और आयातकों को प्रभावित कर रहा है।
- चीन द्वारा मुद्रा की चालबाजी का प्रभाव भारतीय रुपये की विनिमय दर पर पड़ा है, जिससे आर्थिक अस्थिरता में वृद्धि हुई है।
निष्कर्ष
संरक्षणवाद और मुद्रा चालबाजियाँ भारत की समष्टि-आर्थिक स्थिरता पर विभिन्न तरीकों से प्रभाव डालती हैं, जैसे व्यापार की मात्रा, मुद्रास्फीति, और पूंजी प्रवाह। भारत के नीति निर्माता इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रभावी व्यापार और मुद्रा प्रबंधन नीतियाँ अपनाकर समृद्धि सुनिश्चित कर सकते हैं।
भारतीयों के सोने के उन्माद का प्रभाव और स्वर्ण मुद्रीकरण योजना के गुण भारतीयों का सोने के प्रति उन्माद ने हाल के वर्षों में सोने के आयात में तेजी ला दी है, जिससे भुगतान संतुलन पर दबाव पड़ा है और रुपए के बाह्य मूल्य में गिरावट आई है। उदाहरण के लिए, 2022 में भारत ने लगभग 40 अरब डॉलर का सोना आयात किया,Read more
भारतीयों के सोने के उन्माद का प्रभाव और स्वर्ण मुद्रीकरण योजना के गुण
भारतीयों का सोने के प्रति उन्माद ने हाल के वर्षों में सोने के आयात में तेजी ला दी है, जिससे भुगतान संतुलन पर दबाव पड़ा है और रुपए के बाह्य मूल्य में गिरावट आई है। उदाहरण के लिए, 2022 में भारत ने लगभग 40 अरब डॉलर का सोना आयात किया, जिससे व्यापार घाटा बढ़ा और रुपए पर दबाव बढ़ा।
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना के गुण
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (GMS), जो 2015 में शुरू की गई थी, इन समस्याओं का समाधान करने के लिए तैयार की गई है। इसके प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं:
इस प्रकार, स्वर्ण मुद्रीकरण योजना सोने के आयात निर्भरता को कम करने, घरेलू तरलता को बढ़ाने, रुपए की स्थिरता को सुनिश्चित करने और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में सहायक होती है।
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