किसी देश के भुगतान संतुलन से क्या आशय है? इसके विभिन्न घटकों का विवरण दीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
विनिर्माण क्षेत्र की श्रम-प्रधान निर्यातों के लक्ष्य में विफलता के कारण: **1. अपर्याप्त अवसंरचना और प्रौद्योगिकी: आधुनिकता की कमी: कई विनिर्माण इकाइयों में आधुनिक प्रौद्योगिकी और अवसंरचना की कमी है, जो श्रम-प्रधान उद्योगों की उत्पादकता को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, भारतीय वस्त्र उद्योग पुरानेRead more
विनिर्माण क्षेत्र की श्रम-प्रधान निर्यातों के लक्ष्य में विफलता के कारण:
**1. अपर्याप्त अवसंरचना और प्रौद्योगिकी:
- आधुनिकता की कमी: कई विनिर्माण इकाइयों में आधुनिक प्रौद्योगिकी और अवसंरचना की कमी है, जो श्रम-प्रधान उद्योगों की उत्पादकता को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, भारतीय वस्त्र उद्योग पुराने मशीनरी और तकनीकों के कारण वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पिछड़ गया है।
**2. उच्च उत्पादन लागत:
- लागत असंगति: उच्च उत्पादन लागत, जिसमें मजदूरी और कच्चे माल की लागत शामिल है, श्रम-प्रधान उत्पादों की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रभावित करती है। जैसे, गारमेंट और फुटवियर उद्योगों में लागत के उच्च स्तर ने निर्यात को सीमित किया है।
**3. सीमित कौशल विकास:
- कौशल की कमी: श्रम-प्रधान उद्योगों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रशिक्षित श्रमिकों की कमी है। हालांकि ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ (PMKVY) जैसी योजनाएँ हैं, लेकिन इनका विस्तार और सुधार की आवश्यकता है।
श्रम-प्रधान निर्यातों को प्रोत्साहित करने के उपाय:
**1. आधारभूत संरचना में सुधार:
- आधुनिकीकरण: श्रम-प्रधान उद्योगों के लिए अवसंरचना और प्रौद्योगिकी का उन्नयन करें। उदाहरण के लिए, वस्त्र उद्योग में स्मार्ट निर्माण प्रौद्योगिकियों का उपयोग उत्पादकता को बढ़ा सकता है।
**2. कौशल विकास में सुधार:
- व्यावसायिक प्रशिक्षण: श्रमिकों के कौशल में सुधार के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ाएं और उन्नत करें। ‘राष्ट्रीय अपरेंटिसशिप प्रोत्साहन योजना’ (NAPS) जैसे कार्यक्रमों का विस्तार किया जा सकता है।
**3. नीति समर्थन और प्रोत्साहन:
- सरकारी प्रोत्साहन: श्रम-प्रधान निर्यातों को समर्थन देने के लिए सब्सिडी और प्रोत्साहन प्रदान करें। उदाहरण के लिए, ‘मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम’ (MEIS) को श्रम-प्रधान उद्योगों के लिए अनुकूलित किया जा सकता है।
**4. नवाचार और डिज़ाइन पर ध्यान:
- डिज़ाइन में सुधार: श्रम-प्रधान उद्योगों में नवाचार और डिज़ाइन सुधार को प्रोत्साहित करें ताकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में विशिष्ट उत्पाद विकसित किए जा सकें।
इन उपायों को अपनाकर भारत श्रम-प्रधान निर्यातों को बढ़ावा दे सकता है और इस क्षेत्र में बेहतर विकास हासिल कर सकता है।
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भुगतान संतुलन (Balance of Payments) एक देश के विदेशी लेन-देन का एक संपूर्ण रिकॉर्ड होता है, जिसमें एक निश्चित अवधि के दौरान विदेशों के साथ सभी वित्तीय लेन-देन की जानकारी शामिल होती है। यह आर्थिक नीतियों की प्रभावशीलता और बाहरी आर्थिक स्थिति का एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है। भुगतान संतुलन के प्रमुख घटRead more
भुगतान संतुलन (Balance of Payments) एक देश के विदेशी लेन-देन का एक संपूर्ण रिकॉर्ड होता है, जिसमें एक निश्चित अवधि के दौरान विदेशों के साथ सभी वित्तीय लेन-देन की जानकारी शामिल होती है। यह आर्थिक नीतियों की प्रभावशीलता और बाहरी आर्थिक स्थिति का एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है। भुगतान संतुलन के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं:
भुगतान संतुलन का विश्लेषण देशों की वित्तीय स्थिति, मुद्रा स्थिरता और विदेशी पूंजी प्रवाह को समझने में मदद करता है।
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