जीवन, कार्य, अन्य व्यक्तियों एवं समाज के प्रति हमारी अभिवृत्तियाँ आमतौर पर अनजाने में परिवार एवं उस सामाजिक परिवेश के द्वारा रूपित हो जाती हैं, जिसमें हम बड़े होते हैं। अनजाने में प्राप्त इनमें से कुछ अभिवृत्तियाँ एवं मूल्य अक्सर ...
सामाजिक समस्याओं के प्रति अभिवृत्ति के निर्माण में प्रभाव डालने वाले कारक व्यक्ति की सामाजिक समस्याओं के प्रति अभिवृत्ति (ऐटिट्यूड) के निर्माण में कई कारक प्रभाव डालते हैं: परिवार और पालन-पोषण: परिवार द्वारा दिए गए मूल्यों और मान्यताएँ एक व्यक्ति की अभिवृत्ति को आकार देती हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसRead more
सामाजिक समस्याओं के प्रति अभिवृत्ति के निर्माण में प्रभाव डालने वाले कारक
व्यक्ति की सामाजिक समस्याओं के प्रति अभिवृत्ति (ऐटिट्यूड) के निर्माण में कई कारक प्रभाव डालते हैं:
- परिवार और पालन-पोषण: परिवार द्वारा दिए गए मूल्यों और मान्यताएँ एक व्यक्ति की अभिवृत्ति को आकार देती हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति ने जातिवाद के खिलाफ परिवार से शिक्षा प्राप्त की है, तो उनकी अभिवृत्ति समानता की ओर झुकेगी।
- शिक्षा और जागरूकता: शिक्षा और जागरूकता अभिवृत्ति को प्रभावित करती हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त लोग आमतौर पर सामाजिक न्याय और समानता के प्रति अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं।
- सामाजिक और समूह प्रभाव: सामाजिक समूह और दोस्तों का प्रभाव भी महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, शहरी युवाओं के बीच जातिवाद के प्रति अधिक उदार दृष्टिकोण देखा जाता है।
- मीडिया का प्रभाव: मीडिया विभिन्न समस्याओं को उजागर करता है, जिससे लोगों की सोच प्रभावित होती है। जैसे, 2020 का हाथरस मामला ने जातिवाद और सामाजिक भेदभाव पर व्यापक चर्चा की।
जाति प्रथा के प्रति विषम अभिवृत्तियाँ
जाति प्रथा के प्रति विषम अभिवृत्तियाँ निम्नलिखित हैं:
- परंपरागत और आधुनिक दृष्टिकोण: कुछ लोग जाति प्रथा को सांस्कृतिक धरोहर मानते हैं, जबकि आधुनिक दृष्टिकोण इसे भेदभावपूर्ण मानते हैं। 2023 का कर्नाटक चुनाव जाति आधारित आरक्षण पर विवाद की मिसाल है।
- ग्रामीण और शहरी दृष्टिकोण: ग्रामीण क्षेत्रों में जाति प्रथा की पालन-पोषण अधिक कठोर होता है, जबकि शहरी क्षेत्रों में अधिक उदार दृष्टिकोण देखा जाता है।
विषम अभिवृत्तियों के अस्तित्व की व्याख्या
- ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परंपरा: जाति प्रथा की गहरी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जड़ें हैं, जो कुछ हिस्सों में इसे स्वीकार्यता देती हैं।
- शिक्षा और जागरूकता का स्तर: विभिन्न सामाजिक वर्गों में शिक्षा और जागरूकता की भिन्नता से दृष्टिकोण में विविधता उत्पन्न होती है।
- आर्थिक और सामाजिक गतिशीलता: जाति प्रथा से लाभान्वित लोग परिवर्तन का विरोध कर सकते हैं, जबकि जिन पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, वे सुधार की ओर अग्रसर हैं।
इन विषम अभिवृत्तियों के अस्तित्व को इन विभिन्न कारकों के प्रभाव से समझा जा सकता है, जो समाज में जाति प्रथा के प्रति विभिन्न दृष्टिकोण उत्पन्न करते हैं।
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आपने एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। वास्तव में, हमारे परिवार और सामाजिक परिवेश का हमारी सोच, अभिवृत्तियों और मूल्यों पर गहरा असर पड़ता है। जब हम किसी विशेष सामाजिक परिवेश में बड़े होते हैं, तो उसकी सांस्कृतिक मान्यताएँ और आदतें हमें बिना सोचे-समझे प्रभावित कर देती हैं। इन प्रभावों के कारण हमें कभी-कRead more
आपने एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। वास्तव में, हमारे परिवार और सामाजिक परिवेश का हमारी सोच, अभिवृत्तियों और मूल्यों पर गहरा असर पड़ता है। जब हम किसी विशेष सामाजिक परिवेश में बड़े होते हैं, तो उसकी सांस्कृतिक मान्यताएँ और आदतें हमें बिना सोचे-समझे प्रभावित कर देती हैं। इन प्रभावों के कारण हमें कभी-कभी आधुनिक लोकतांत्रिक और समतावादी समाज के मूल्यों के साथ टकराव का सामना करना पड़ता है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई परिवार या समाज जातिवाद, लिंग भेदभाव, या अन्य प्रकार की असमानताओं को सामान्य मानता है, तो वे मान्यताएँ हमें स्वाभाविक रूप से प्रभावित कर सकती हैं, भले ही हम बड़े होकर एक समानता आधारित समाज में जीना चाहें। इस स्थिति में, हमें अपने पूर्वाग्रहों और पुरानी आदतों को पहचानकर उनके खिलाफ सजग रहना पड़ता है, ताकि हम एक समतावादी दृष्टिकोण अपना सकें।
समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना और सकारात्मक बदलाव के लिए प्रयासरत रहना भी जरूरी है। इसके लिए शिक्षा, संवाद, और आत्मचिंतन महत्वपूर्ण उपकरण हो सकते हैं। क्या आप इस विषय पर और कुछ जानना चाहेंगे या किसी विशेष पहलू पर चर्चा करना चाहेंगे?
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