‘घृणा व्यक्ति की बुद्धिमत्ता और अन्तःकरण के लिए संहारक है जो राष्ट्र के चित् को विषाक्त कर सकती है।’ क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर की तर्कसंगत व्याख्या करें। (150 words) [UPSC 2020]
उपयुक्त अभिवृत्ति का विकास 1. सेवा की भावना लोक सेवक के रूप में, सेवा की भावना सबसे महत्वपूर्ण है। यह समझना आवश्यक है कि जन सेवा का उद्देश्य समाज के प्रति योगदान करना है, न कि व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करना। इसे विकसित करने के लिए, नियमित रूप से समाज के विभिन्न वर्गों के साथ संपर्क और संवाद करना चाहिए,Read more
उपयुक्त अभिवृत्ति का विकास
1. सेवा की भावना
लोक सेवक के रूप में, सेवा की भावना सबसे महत्वपूर्ण है। यह समझना आवश्यक है कि जन सेवा का उद्देश्य समाज के प्रति योगदान करना है, न कि व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करना। इसे विकसित करने के लिए, नियमित रूप से समाज के विभिन्न वर्गों के साथ संपर्क और संवाद करना चाहिए, उनकी समस्याओं को समझने और समाधान निकालने की कोशिश करनी चाहिए।
2. नैतिकता और ईमानदारी
नैतिकता और ईमानदारी लोक सेवक के कर्तव्यों का मूल है। ईमानदारी से कार्य करना और नैतिक निर्णय लेना महत्वपूर्ण है। हाल ही में, आईएएस अधिकारी डॉ. शाह फैसल ने समाज के प्रति अपनी ईमानदारी और निष्ठा के लिए प्रशंसा प्राप्त की है, जो इस दिशा में एक आदर्श उदाहरण है।
3. स्थिरता और सहनशीलता
स्थिरता और सहनशीलता को बढ़ावा देना आवश्यक है। कार्य के दबाव और चुनौतियों के बावजूद, धैर्य और समर्पण बनाए रखना चाहिए। उदाहरण के तौर पर, दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट ने कोविड-19 महामारी के दौरान लगातार काम किया, जिसने स्थिरता और धैर्य का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया।
4. संचार कौशल
संचार कौशल का विकास भी आवश्यक है। प्रभावी संवाद और सक्रिय सुनवाई के माध्यम से जनता की समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
इन अभिवृत्तियों को अपनाकर और निरंतर अभ्यास करके लोक सेवक अपने कर्तव्यों का सर्वोत्तम ढंग से निर्वहन कर सकते हैं।
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घृणा और इसके प्रभाव **1. घृणा का प्रभाव a. बुद्धिमत्ता और अन्तःकरण पर प्रभाव: घृणा व्यक्ति की सोच और निर्णय लेने की क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। यह तर्कशीलता को धुंधला करती है और पूर्वाग्रहों को प्रोत्साहित करती है। उदाहरण के तौर पर, नफरत आधारित हिंसा और भेदभाव समाज में विभाजन औरRead more
घृणा और इसके प्रभाव
**1. घृणा का प्रभाव
a. बुद्धिमत्ता और अन्तःकरण पर प्रभाव:
घृणा व्यक्ति की सोच और निर्णय लेने की क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। यह तर्कशीलता को धुंधला करती है और पूर्वाग्रहों को प्रोत्साहित करती है। उदाहरण के तौर पर, नफरत आधारित हिंसा और भेदभाव समाज में विभाजन और असंतोष को जन्म देते हैं।
b. राष्ट्र के चित्त पर विषाक्त प्रभाव:
घृणा राष्ट्र की सामाजिक और सांस्कृतिक धारा को विषाक्त कर सकती है। भारत में हालिया सांप्रदायिक दंगे, जैसे दिल्ली दंगे 2020, इस विचार को साबित करते हैं, जहां घृणा ने समाज में बड़े पैमाने पर हिंसा और अराजकता को जन्म दिया।
**2. प्रसार और समाधान
a. घृणा का प्रसार:
सामाजिक मीडिया और प्रचार माध्यम घृणा को फैलाने में सहायक हो सकते हैं, जिससे समाज में द्वेष और हिंसा को बढ़ावा मिलता है। फेसबुक और ट्विटर पर भ्रामक सूचनाओं और नफरत भरे भाषणों का प्रसार इसका उदाहरण है।
b. समाधान:
घृणा के खिलाफ नीतिगत उपाय और शैक्षिक कार्यक्रम प्रभावी हो सकते हैं। सांप्रदायिक सौहार्द बढ़ाने के लिए चलाए गए सरकारी और गैर-सरकारी अभियानों ने समाज में समझ और सहनशीलता को प्रोत्साहित किया है।
निष्कर्ष:
See lessघृणा न केवल व्यक्ति की बुद्धिमत्ता और अन्तःकरण को संहारक रूप में प्रभावित करती है, बल्कि यह राष्ट्र की सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता को भी विषाक्त कर सकती है। इससे निपटने के लिए शिक्षा और संवेदनशीलता महत्वपूर्ण हैं।