“विगत दो दशकों में अनियंत्रित ढंग से बढ़े अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से विश्वशांति को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। इससे निबटने के लिये प्रत्येक राष्ट्र को वैश्विक स्तर पर एक साथ मिलकर लड़ना होगा।” इस कथन की व्याख्या कीजिये। (200 ...
नक्सलवाद और भारत की आंतरिक सुरक्षा नक्सलवाद भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है: सुरक्षा चुनौती: नक्सलवादी समूहों द्वारा हिंसात्मक गतिविधियों, जैसे कि लैंडमाइंस और आत्मघाती हमले, से सुरक्षा बलों और नागरिकों की जान जोखिम में पड़ती है। उदाहरण: छत्तीसगढ़ और झारखंड में नक्सलवादी हमलों से कई मRead more
नक्सलवाद और भारत की आंतरिक सुरक्षा
नक्सलवाद भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है:
- सुरक्षा चुनौती: नक्सलवादी समूहों द्वारा हिंसात्मक गतिविधियों, जैसे कि लैंडमाइंस और आत्मघाती हमले, से सुरक्षा बलों और नागरिकों की जान जोखिम में पड़ती है। उदाहरण: छत्तीसगढ़ और झारखंड में नक्सलवादी हमलों से कई मौतें और क्षति हुई हैं।
- आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: नक्सलवाद विकासशील क्षेत्रों में अवसंरचना को नुकसान पहुंचाता है और समाज में अशांति फैलाता है। इससे निवेश और विकास परियोजनाएँ प्रभावित होती हैं।
- विकास का अभाव: नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य विकास सुविधाओं की कमी नक्सलवाद को बढ़ावा देती है।
निष्कर्ष: नक्सलवाद भारत की आंतरिक सुरक्षा को प्रभावित करता है, जिसमें सुरक्षा चुनौतियाँ, सामाजिक अशांति और विकास में रुकावट शामिल हैं। इसे रोकने के लिए समन्वित सुरक्षा उपायों और विकासात्मक प्रयासों की आवश्यकता है।
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अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद और वैश्विक शांति विगत दो दशकों में, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद ने वैश्विक शांति और सुरक्षा को गंभीर खतरे में डाल दिया है। आतंकवादी समूहों ने विभिन्न देशों में हिंसा, उग्रवाद और अस्थिरता फैलाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक और नेटवर्किंग का उपयोग किया है। 1. आतंकवाद का वैश्विक स्वरूप: आधRead more
अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद और वैश्विक शांति
विगत दो दशकों में, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद ने वैश्विक शांति और सुरक्षा को गंभीर खतरे में डाल दिया है। आतंकवादी समूहों ने विभिन्न देशों में हिंसा, उग्रवाद और अस्थिरता फैलाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक और नेटवर्किंग का उपयोग किया है।
1. आतंकवाद का वैश्विक स्वरूप: आधुनिक आतंकवाद ने सार्वभौमिक स्तर पर सीमा पार की है। 9/11 हमले, पेरिस में आईएसआईएस के हमले, और धार्मिक कट्टरपंथ से प्रेरित हिंसक गतिविधियाँ इसका स्पष्ट उदाहरण हैं। आतंकवादी संगठनों की नेटवर्किंग और सूचना साझा करने की क्षमता ने इसे अधिक व्यापक और घातक बना दिया है।
2. वैश्विक सहयोग की आवश्यकता: आतंकवाद का सामना करने के लिए एकल देश की कोशिशें अपर्याप्त हैं। सहयोगात्मक रणनीतियों और सूचना साझा करने की आवश्यकता है। अंतर्राष्ट्रीय समझौतों और संस्थाओं जैसे संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय पुलिस (इंटरपोल) को सशक्त बनाना अनिवार्य है। देशों को सुरक्षा नीतियों, वित्तीय निगरानी, और गुप्तचर सहयोग के माध्यम से एक साथ काम करना होगा।
3. वैश्विक शांति की रक्षा: आतंकवाद से निपटने के लिए संविधानिक और कानूनी उपाय आवश्यक हैं, जो मानवाधिकार और सामाजिक न्याय की रक्षा करें। वैश्विक स्तर पर सहयोग से ही शांति और सुरक्षा को बनाए रखा जा सकता है।
निष्कर्ष: अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद की बढ़ती चुनौती ने स्पष्ट किया है कि वैश्विक शांति के लिए सभी देशों को सामूहिक प्रयास और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। इस संदर्भ में, साझा रणनीतियाँ और मजबूत वैश्विक गठबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
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