“सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उपक्रम भारत में आर्थिक संवृद्धि तथा रोजगार संवर्धन के वाहक है” इस कथन का परीक्षण कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
समावेशी विकास: परिभाषा और प्रभाव **1. समावेशी विकास की परिभाषा: सभी वर्गों के लिए समान अवसर: समावेशी विकास का तात्पर्य आर्थिक प्रगति से है जो समाज के सभी हिस्सों को लाभ पहुंचाती है, जिससे गरीबी और असमानताओं को कम किया जा सके। **2. गरीबी में कमी: स्वरोजगार के अवसर: प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) जैRead more
समावेशी विकास: परिभाषा और प्रभाव
**1. समावेशी विकास की परिभाषा:
- सभी वर्गों के लिए समान अवसर: समावेशी विकास का तात्पर्य आर्थिक प्रगति से है जो समाज के सभी हिस्सों को लाभ पहुंचाती है, जिससे गरीबी और असमानताओं को कम किया जा सके।
**2. गरीबी में कमी:
- स्वरोजगार के अवसर: प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) जैसे कार्यक्रम छोटे उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं, जिससे स्वरोजगार के अवसर बढ़ते हैं और गरीबी घटती है।
**3. असमानताओं में कमी:
- सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिर रोजगार और आय सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे क्षेत्रीय असमानताएँ घटती हैं।
**4. हाल के उदाहरण:
- डिजिटल समावेशन: प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के तहत सभी नागरिकों को बैंक खातों की सुविधा मिलती है, जिससे वे वित्तीय सेवाओं और सरकारी लाभों का लाभ उठा सकते हैं।
निष्कर्ष: समावेशी विकास आर्थिक लाभों को समाज के सभी वर्गों तक पहुँचाने में सहायक है, जो गरीबी और असमानताओं को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उपक्रम (MSMEs) भारत में आर्थिक संवृद्धि तथा रोजगार संवर्धन के वाहक परिचय: सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उपक्रम (MSMEs) भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये न केवल आर्थिक संवृद्धि को बढ़ावा देते हैं, बल्कि रोजगार के अवसर भी बड़े पैमाने पर उत्पन्न करते हैं। भारत मेRead more
सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उपक्रम (MSMEs) भारत में आर्थिक संवृद्धि तथा रोजगार संवर्धन के वाहक
परिचय: सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उपक्रम (MSMEs) भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये न केवल आर्थिक संवृद्धि को बढ़ावा देते हैं, बल्कि रोजगार के अवसर भी बड़े पैमाने पर उत्पन्न करते हैं। भारत में 63 मिलियन से अधिक MSMEs हैं, जो देश की GDP में लगभग 30% और कुल विनिर्माण उत्पादन में 45% का योगदान करते हैं।
आर्थिक संवृद्धि:
रोजगार संवर्धन:
हाल का उदाहरण: COVID-19 महामारी के दौरान MSMEs को गंभीर व्यवधानों का सामना करना पड़ा। भारतीय सरकार ने आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) शुरू की, जिसके तहत MSMEs को ₹3 लाख करोड़ से अधिक के बिना गारंटी ऋण दिए गए, जिससे MSMEs को आर्थिक संवृद्धि और रोजगार सृजन में योगदान जारी रखने में मदद मिली।
चुनौतियाँ: हालांकि MSMEs की महत्वपूर्ण भूमिका है, इन्हें वित्त तक सीमित पहुंच, प्रौद्योगिकी में पिछड़ापन, और अवसंरचना की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन मुद्दों का समाधान करना उनके पूर्ण क्षमता का लाभ उठाने के लिए आवश्यक है।
निष्कर्ष: MSMEs निस्संदेह भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, जो आर्थिक संवृद्धि और रोजगार संवर्धन को गति देते हैं। सही समर्थन और सुधारों के साथ, वे भारत को वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनाने में और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
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