आप ईमानदार तथा उत्तरदायी सिविल सेवक हैं। आप प्रायः निम्नलिखित को प्रक्षित करते हैं: (125 Words) [UPPSC 2019] a.एक सामान्य धारणा हैं कि नैतिक आचरण का पालन करने से स्वंय को भी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता हैं और परिवार ...
धार्मिक कट्टरता और लोकतांत्रिक उन्नति परिभाषा और प्रभाव: धार्मिक कट्टरता का तात्पर्य ऐसे असहिष्णुता और पूर्वाग्रह से है जो धार्मिक मान्यताओं के आधार पर व्यक्तियों या समुदायों के प्रति होता है। यह कट्टरता लोकतांत्रिक देशों की सामाजिक और आर्थिक प्रगति में प्रमुख बाधक बनती है। ऐतिहासिक उदाहरण: भारत काRead more
धार्मिक कट्टरता और लोकतांत्रिक उन्नति
परिभाषा और प्रभाव: धार्मिक कट्टरता का तात्पर्य ऐसे असहिष्णुता और पूर्वाग्रह से है जो धार्मिक मान्यताओं के आधार पर व्यक्तियों या समुदायों के प्रति होता है। यह कट्टरता लोकतांत्रिक देशों की सामाजिक और आर्थिक प्रगति में प्रमुख बाधक बनती है।
ऐतिहासिक उदाहरण:
- भारत का विभाजन (1947): धार्मिक कट्टरता ने भारत-पाकिस्तान विभाजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे व्यापक हिंसा, विस्थापन और दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव उत्पन्न हुए। हिंदू-मुस्लिम भेदभाव ने राष्ट्रीय विकास को गंभीर रूप से प्रभावित किया।
- हालिया उदाहरण – म्यांमार में रोहिंग्या संकट: म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के प्रति धार्मिक कट्टरता ने मानवाधिकार उल्लंघनों और विस्थापन को जन्म दिया। यह संकट क्षेत्रीय स्थिरता और लोकतांत्रिक शासन को प्रभावित कर रहा है।
उन्नति पर प्रभाव:
- सामाजिक विघटन: धार्मिक कट्टरता समाज में विभाजन और विरोधाभास उत्पन्न करती है, जो लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक सामंजस्य और सहयोग को बाधित करती है। श्रीलंका में धार्मिक तनाव ने राष्ट्रीय विकास को रोक दिया है।
- आर्थिक विकास: धार्मिक भेदभाव अवसरों और भागीदारी को सीमित करता है, जिससे समग्र आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। धार्मिक असहिष्णुता वाले देशों में अक्सर आर्थिक असमानताएँ और धीमी प्रगति देखी जाती है।
- मानवाधिकार उल्लंघन: कट्टरता मानवाधिकार और स्वतंत्रता के उल्लंघन को जन्म देती है, जो लोकतांत्रिक संस्थानों और प्रक्रियाओं को कमजोर करती है।
निष्कर्ष: धार्मिक कट्टरता लोकतांत्रिक देशों की उन्नति में बाधक है, क्योंकि यह सामाजिक विघटन, आर्थिक विकास में रुकावट, और मानवाधिकार उल्लंघन को जन्म देती है। असहिष्णुता को समाप्त करना और समावेशिता को बढ़ावा देना लोकतांत्रिक समाजों की स्थिरता और विकास के लिए आवश्यक है।
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ईमानदारी और नैतिक आचरण की चुनौतियाँ परिचय: ईमानदार सिविल सेवक के रूप में नैतिक आचरण के पालन से स्वंय और परिवार को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जबकि अनुचित आचरण करियर में लाभकारी प्रतीत हो सकता है। मुख्य बिंदु: नैतिक आचरण की चुनौतियाँ: नैतिक आचरण का पालन करने से व्यक्तिगत और पारिवारिक समस्याएँRead more
ईमानदारी और नैतिक आचरण की चुनौतियाँ
परिचय: ईमानदार सिविल सेवक के रूप में नैतिक आचरण के पालन से स्वंय और परिवार को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जबकि अनुचित आचरण करियर में लाभकारी प्रतीत हो सकता है।
मुख्य बिंदु:
निष्कर्ष: ईमानदारी और नैतिकता का पालन करना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन इसे बनाए रखना आवश्यक है। सार्वजनिक समर्थन और संस्थागत सुधार इसे सशक्त बना सकते हैं।
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