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वैश्वीकरण क्या है? भारतीय सामाजिक संरचना पर इसके प्रभावों की विवेचना कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2018]
वैश्वीकरण क्या है? परिचय: वैश्वीकरण एक ऐसा प्रक्रिया है जिसके तहत देशों के बीच वस्त्र, सेवाएँ, विचार, तकनीक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से आपसी निर्भरता और संपर्क बढ़ता है। यह प्रक्रिया राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं और संस्कृतियों को वैश्विक नेटवर्क में एकीकृत करती है। भारतीय सामाजिक संरचना पर वैRead more
वैश्वीकरण क्या है?
परिचय: वैश्वीकरण एक ऐसा प्रक्रिया है जिसके तहत देशों के बीच वस्त्र, सेवाएँ, विचार, तकनीक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से आपसी निर्भरता और संपर्क बढ़ता है। यह प्रक्रिया राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं और संस्कृतियों को वैश्विक नेटवर्क में एकीकृत करती है।
भारतीय सामाजिक संरचना पर वैश्वीकरण के प्रभाव:
1. आर्थिक अवसर और असमानता: वैश्वीकरण ने भारत में आर्थिक अवसरों को बढ़ाया है, विशेषकर विदेशी निवेश और नई नौकरी क्षेत्रों के माध्यम से। उदाहरण के लिए, आईटी और सेवा क्षेत्रों की वृद्धि ने रोजगार सृजन और आर्थिक विकास में योगदान दिया है। हालांकि, इससे आर्थिक असमानता भी बढ़ी है, जैसे कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच आय का अंतर और विभिन्न सामाजिक वर्गों के बीच विषमताएँ।
2. सांस्कृतिक आदान-प्रदान और पहचान: वैश्वीकरण ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया है, जिससे भारतीय समाज में वैश्विक प्रभाव जैसे कि फास्ट-फूड चेन और हॉलीवुड फिल्में का प्रवेश हुआ है। हालांकि, यह सांस्कृतिक एकरूपता की ओर भी ले जाता है, जहाँ पारंपरिक प्रथाएँ और स्थानीय संस्कृतियाँ वैश्विक प्रवृत्तियों द्वारा प्रभावित होती हैं।
3. सामाजिक गतिशीलता और शहरीकरण: वैश्वीकरण द्वारा प्रेरित शहरीकरण की प्रवृत्ति ने सामाजिक गतिशीलता में वृद्धि की है, जहाँ लोग बेहतर अवसरों के लिए शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, ग्रामीण जनसंख्या का मुंबई और दिल्ली जैसे शहरी केंद्रों में स्थानांतरण ने सामाजिक परिदृश्य को बदल दिया है, लेकिन इससे शहरी बुनियादी ढांचे और सेवाओं पर दबाव भी बढ़ा है।
4. शिक्षा और कौशल विकास: वैश्वीकरण ने शिक्षा और कौशल विकास की पहुंच में सुधार किया है, जैसे कि अंतर्राष्ट्रीय शैक्षिक संस्थानों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों के माध्यम से नई सीखने की संभावनाएँ। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम जैसी पहलों का उद्देश्य रोजगार क्षमता बढ़ाना और श्रम शक्ति में कौशल अंतर को समाप्त करना है। इसके बावजूद, शिक्षा में असमानता अभी भी विद्यमान है।
निष्कर्ष: वैश्वीकरण ने भारतीय सामाजिक संरचना पर गहरा प्रभाव डाला है, जिसमें आर्थिक अवसरों का निर्माण, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, और शहरीकरण शामिल हैं। हालांकि, इसके साथ ही असमानता, सांस्कृतिक एकरूपता, और शहरी ढांचे पर दबाव जैसी चुनौतियाँ भी उभरी हैं। इन प्रभावों का संतुलित प्रबंधन स्थिर और समावेशी विकास के लिए आवश्यक है।
See lessभारतीय महिलाओं पर भूमण्डलीकरण के प्रभावों की विवेचना उपयुक्त उदाहरणों की सहायता से कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2018]
भारतीय महिलाओं पर भूमण्डलीकरण के प्रभावों की विवेचना परिचय: भूमण्डलीकरण ने भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति पर गहरा प्रभाव डाला है, जिसके परिणामस्वरूप कई सकारात्मक और नकारात्मक परिवर्तन हुए हैं। 1. आर्थिक सशक्तिकरण: भूमण्डलीकरण ने महिलाओं के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ाया है, विशेषकर सूचना प्रौद्योRead more
भारतीय महिलाओं पर भूमण्डलीकरण के प्रभावों की विवेचना
परिचय: भूमण्डलीकरण ने भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति पर गहरा प्रभाव डाला है, जिसके परिणामस्वरूप कई सकारात्मक और नकारात्मक परिवर्तन हुए हैं।
1. आर्थिक सशक्तिकरण: भूमण्डलीकरण ने महिलाओं के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ाया है, विशेषकर सूचना प्रौद्योगिकी, वस्त्र उद्योग, और सेवाओं में। उदाहरण के लिए, आईटी सेक्टर में काम करने वाली महिलाएं, जैसे बंगलौर और हैदराबाद में, ने आर्थिक स्वतंत्रता और करियर वृद्धि का लाभ उठाया है। इसके अतिरिक्त, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और वैश्विक बाजारों की वृद्धि ने महिलाओं के लिए उद्यमिता के अवसर बढ़ाए हैं।
2. शिक्षा और कौशल विकास: भूमण्डलीकरण ने महिलाओं के लिए शिक्षा और कौशल विकास की पहुंच में सुधार किया है। डिजिटल इंडिया प्रोग्राम जैसी पहलों ने डिजिटल साक्षरता और ऑनलाइन शिक्षा तक पहुंच बढ़ाई है, जो महिलाओं को आधुनिक नौकरियों के लिए आवश्यक कौशल से लैस करती है। स्टेम (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स) क्षेत्रों में महिला सहभागिता को बढ़ावा देने वाले प्रोजेक्ट STEM गर्ल्स जैसे कार्यक्रम भी महत्वपूर्ण हैं।
3. सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन: भूमण्डलीकरण ने सामाजिक मानदंडों और सांस्कृतिक प्रथाओं में बदलाव किया है, जो लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करता है। वैश्विक मीडिया और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संधियों का प्रभाव भारतीय दृष्टिकोण पर पड़ा है। #MeToo आंदोलन जैसे वैश्विक आंदोलनों ने भारत में यौन उत्पीड़न के प्रति जागरूकता बढ़ाई और क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट, 2013 जैसे कानूनी सुधारों को प्रेरित किया है।
4. चुनौतियाँ और असमानताएँ: इन प्रगतियों के बावजूद, भूमण्डलीकरण ने कुछ असमानताओं को बढ़ावा भी दिया है। उदाहरण के लिए, अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को शोषणकारी श्रम प्रथाओं और कम वेतन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में काम करने वाली महिलाएं, जैसे गर्मेट उद्योग में, अक्सर अस्थिर रोजगार स्थितियों और सीमित सुरक्षा का सामना करती हैं।
निष्कर्ष: भूमण्डलीकरण ने भारतीय महिलाओं की स्थिति पर कई सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डाले हैं। जबकि यह आर्थिक अवसरों, शिक्षा, और सामाजिक बदलाव को बढ़ावा देता है, यह असमानताओं और चुनौतियों को भी उजागर करता है। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए इन समस्याओं का समाधान करते हुए भूमण्डलीकरण के लाभों का लाभ उठाना महत्वपूर्ण है।
See lessउदारीकरण क्या है? उदारीकरण ने भारतीय सामाजिक संरचना को किस प्रकार प्रभावित किया है? (200 Words) [UPPSC 2020]
उदारीकरण क्या है? उदारीकरण (Liberalization) एक आर्थिक और सामाजिक नीति है जिसका उद्देश्य राज्य की भूमिका को कम करके बाजार की स्वतंत्रता को बढ़ावा देना है। भारत में, 1991 में आर्थिक सुधारों के तहत उदारीकरण की शुरुआत हुई। इसके अंतर्गत, व्यापार और निवेश पर सरकारी नियंत्रण में कमी, निजीकरण और विदेशी निवेRead more
उदारीकरण क्या है?
उदारीकरण (Liberalization) एक आर्थिक और सामाजिक नीति है जिसका उद्देश्य राज्य की भूमिका को कम करके बाजार की स्वतंत्रता को बढ़ावा देना है। भारत में, 1991 में आर्थिक सुधारों के तहत उदारीकरण की शुरुआत हुई। इसके अंतर्गत, व्यापार और निवेश पर सरकारी नियंत्रण में कमी, निजीकरण और विदेशी निवेश को बढ़ावा देना शामिल है।
उदारीकरण का सामाजिक प्रभाव:
आर्थिक असमानता में वृद्धि:
उदारीकरण के बाद, आर्थिक असमानता बढ़ी है। अमीर-गरीब के बीच अंतर और भी गहरा हुआ है, विशेषकर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच। आमदनी में विषमता के उदाहरण के रूप में, नई दिल्ली और मुम्बई जैसे महानगरों में उच्च जीवन स्तर की तुलना में छोटे शहरों और गाँवों में गरीबों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ।
शैक्षिक और रोजगार अवसरों में बदलाव:
उदारीकरण ने शैक्षिक संस्थानों और रोजगार के अवसरों में सुधार किया है। प्राइवेट शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों की वृद्धि हुई है, जिससे नौकरी के नए अवसर मिले हैं।
सांस्कृतिक और सामाजिक बदलाव:
उदारीकरण ने सांस्कृतिक बदलाव भी लाए हैं। उपभोक्ता संस्कृति में वृद्धि और वैश्विक प्रवृत्तियों का असर भारत की सामाजिक संरचना पर पड़ा है। फैशन, मीडिया और मनोरंजन उद्योग में वैश्विक प्रभाव देखा जा सकता है।
निष्कर्ष:
See lessउदारीकरण ने भारत की सामाजिक संरचना में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रकार के बदलाव किए हैं। जबकि इसने आर्थिक विकास को प्रोत्साहित किया है, वहीं आर्थिक असमानता और सामाजिक विभाजन भी बढ़े हैं।
वैश्वीकरण को परिभाषित कीजिये। भारत में ग्रामीण सामाजिक संरचना पर इसके प्रभाव का मूल्यांकन कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
वैश्वीकरण (Globalization) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से अर्थव्यवस्थाओं, संस्कृतियों, राजनीतिक व्यवस्थाओं, और सामाजिक संरचनाओं के बीच अंतर्राष्ट्रीय संपर्क और आदान-प्रदान बढ़ता है। इसमें आर्थिक, सूचनात्मक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक तत्व शामिल होते हैं, जो विभिन्न देशों और समाजों को आपस में जोड़तेRead more
वैश्वीकरण (Globalization) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से अर्थव्यवस्थाओं, संस्कृतियों, राजनीतिक व्यवस्थाओं, और सामाजिक संरचनाओं के बीच अंतर्राष्ट्रीय संपर्क और आदान-प्रदान बढ़ता है। इसमें आर्थिक, सूचनात्मक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक तत्व शामिल होते हैं, जो विभिन्न देशों और समाजों को आपस में जोड़ते हैं और एक वैश्विक नेटवर्क का निर्माण करते हैं।
भारत में ग्रामीण सामाजिक संरचना पर वैश्वीकरण के प्रभाव:
निष्कर्ष: वैश्वीकरण ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास, सामाजिक बदलाव, स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार, और संस्कृतिक प्रभाव के माध्यम से कई सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डाले हैं। इससे ग्रामीण समाज में समृद्धि और आधुनिकता का संचार हुआ है, लेकिन इसके साथ पारंपरिक मूल्यों और संस्कृतियों पर भी प्रभाव पड़ा है।
See lessवैश्वीकरण एवं निजीकरण को परिभाषित कीजिये। इन दोनों के उद्देश्यों पर भी प्रकाश डालिये। (200 Words) [UPPSC 2022]
वैश्वीकरण एवं निजीकरण की परिभाषा एवं उद्देश्य वैश्वीकरण: वैश्वीकरण को वह प्रक्रिया कहा जाता है जिसमें देशों के बीच आर्थिक एकीकरण और सम्बंधों का वृद्धि होता है। इसके तहत वस्तुओं, सेवाओं, धन और विचारों की मुक्त बाज़ारी होती है और इसमें प्रौद्योगिकी के विकास, व्यापार संतुलन और आर्थिक नीतियों की सुविधाRead more
वैश्वीकरण एवं निजीकरण की परिभाषा एवं उद्देश्य
वैश्वीकरण:
वैश्वीकरण को वह प्रक्रिया कहा जाता है जिसमें देशों के बीच आर्थिक एकीकरण और सम्बंधों का वृद्धि होता है। इसके तहत वस्तुओं, सेवाओं, धन और विचारों की मुक्त बाज़ारी होती है और इसमें प्रौद्योगिकी के विकास, व्यापार संतुलन और आर्थिक नीतियों की सुविधा दी जाती है।
वैश्वीकरण के उद्देश्य:
निजीकरण:
निजीकरण को वह प्रक्रिया कहा जाता है जिसमें सरकार के नियंत्रण में आने वाले संसाधनों, सेवाओं या उद्यमों को निजी个ाल या संगठनों को ट्रांसफर किया जाता है।
निजीकरण के उद्देश्य:
इन दोनों प्रक्रियाओं ने एक साथ घड़ी रहतीं हैं, जिसके तहत देशों के बीच आर्थिक एकीकरण और निजीकरण में बदलाव आता है।
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