भारत में केंद्र, राज्य तथा जनपद स्तरों पर आपदा प्रबंधन की विवेचना कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
आपदा प्रबंधन के विभिन्न प्रकार और कार्य 1. आपातकालीन प्रतिक्रिया: आपातकालीन प्रतिक्रिया का उद्देश्य आपदा की स्थिति में त्वरित और प्रभावी राहत प्रदान करना है। उदाहरण के लिए, उत्तराखंड बाढ़ (2013) के दौरान, आपदा प्रबंधन दलों ने त्वरित राहत और बचाव कार्य किए। 2. आपदा की तैयारी: आपदा की तैयारी का उद्देशRead more
आपदा प्रबंधन के विभिन्न प्रकार और कार्य
1. आपातकालीन प्रतिक्रिया: आपातकालीन प्रतिक्रिया का उद्देश्य आपदा की स्थिति में त्वरित और प्रभावी राहत प्रदान करना है। उदाहरण के लिए, उत्तराखंड बाढ़ (2013) के दौरान, आपदा प्रबंधन दलों ने त्वरित राहत और बचाव कार्य किए।
2. आपदा की तैयारी: आपदा की तैयारी का उद्देश्य आपदा से पूर्व योजना और तैयारी करना है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (NDMP) और सामुदायिक प्रशिक्षण इसके उदाहरण हैं, जो विभिन्न आपदाओं के लिए तैयारी सुनिश्चित करते हैं।
3. आपदा पुनर्वास: पुनर्वास का कार्य आपदा के बाद प्रभावित लोगों की स्थिति में सुधार करना है। गुजरात भूकंप (2001) के बाद, पुनर्वास प्रयासों ने प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और आवास की मरम्मत की।
4. आपदा जोखिम न्यूनीकरण: जोखिम न्यूनीकरण का उद्देश्य आपदा के प्रभाव को कम करना है। सीमांत क्षेत्रों में वृक्षारोपण और विपदाओं के प्रति जागरूकता अभियानों के माध्यम से जोखिम को कम किया जा सकता है।
5. आपदा की प्रतिक्रिया और राहत: आपदा की प्रतिक्रिया में त्वरित राहत, बचाव कार्य और प्रभावितों को आवश्यक सेवाएँ प्रदान करना शामिल है। कोविड-19 महामारी के दौरान, सरकारों और संगठनों ने तत्काल चिकित्सा सहायता और खाद्य वितरण किया।
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भारत में केंद्र, राज्य तथा जनपद स्तरों पर आपदा प्रबंधन परिचय: भारत की आपदा प्रबंधन प्रणाली एक तीन स्तरीय ढांचा है, जिसमें केंद्र, राज्य, और जनपद स्तर शामिल हैं। यह ढांचा आपदाओं से निपटने और राहत कार्यों को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए जिम्मेदार है। **1. केंद्र स्तर: केंद्र स्तर पर, राष्ट्रीय आRead more
भारत में केंद्र, राज्य तथा जनपद स्तरों पर आपदा प्रबंधन
परिचय: भारत की आपदा प्रबंधन प्रणाली एक तीन स्तरीय ढांचा है, जिसमें केंद्र, राज्य, और जनपद स्तर शामिल हैं। यह ढांचा आपदाओं से निपटने और राहत कार्यों को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए जिम्मेदार है।
**1. केंद्र स्तर: केंद्र स्तर पर, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) प्रमुख निकाय है, जिसे आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत स्थापित किया गया है। NDMA की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं और यह आपदा प्रबंधन के लिए नीतियाँ, योजनाएँ और दिशा-निर्देश तैयार करता है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), NDMA के अधीन कार्य करता है और आपातकालीन राहत कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए, 2023 के हिमाचल प्रदेश बाढ़ में, NDRF ने व्यापक बचाव और राहत कार्य किए।
**2. राज्य स्तर: राज्य स्तर पर, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) प्रत्येक राज्य में स्थापित है और इसकी अध्यक्षता राज्य के मुख्यमंत्री करते हैं। SDMA राज्य की आपदा प्रबंधन योजनाओं को तैयार करता है और कार्यान्वित करता है। 2022 के उत्तराखंड के भारी बारिश के दौरान, SDMA ने स्थानीय एजेंसियों और संगठनों के साथ मिलकर राहत और बचाव कार्यों का समन्वय किया।
**3. जनपद स्तर: जनपद स्तर पर, जनपद आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA), जिसकी अध्यक्षता जनपद कलेक्टर करते हैं, आपदा प्रबंधन का पहला स्तर है। DDMA स्थानीय समस्याओं का समाधान करता है और आपातकालीन राहत कार्यों का संचालन करता है। 2021 के चमोली फ्लैश फ्लड्स के दौरान, DDMA ने तत्काल राहत, निकासी और पुनर्वास कार्यों का प्रभावी प्रबंधन किया।
हाल का उदाहरण: COVID-19 महामारी के दौरान, NDMA ने राष्ट्रीय दिशा-निर्देश जारी किए, राज्य सरकारों ने स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन और स्वास्थ्य सुरक्षा उपाय लागू किए, और जनपद प्राधिकरण ने कंटेनमेंट जोन का प्रबंधन किया।
निष्कर्ष: भारत का आपदा प्रबंधन ढांचा केंद्र, राज्य, और जनपद स्तरों पर एक समन्वित प्रणाली है, जो आपदाओं के प्रभावी प्रबंधन और राहत कार्यों को सुनिश्चित करता है। इस ढांचे को निरंतर सुधार और सामुदायिक भागीदारी की आवश्यकता है।
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