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Evaluate the powers and limitations of Lokpal in India.
Evaluate the Powers and Limitations of Lokpal in India Introduction The Lokpal is an anti-corruption institution established under the Lokpal and Lokayuktas Act, 2013, aimed at addressing corruption at the highest levels of government. Evaluating the powers and limitations of the Lokpal provides insRead more
Evaluate the Powers and Limitations of Lokpal in India
Introduction
The Lokpal is an anti-corruption institution established under the Lokpal and Lokayuktas Act, 2013, aimed at addressing corruption at the highest levels of government. Evaluating the powers and limitations of the Lokpal provides insight into its effectiveness in tackling corruption and enhancing transparency in governance.
Powers of Lokpal
1. Investigative Powers
2. Prosecution Powers
3. Enquiring into Complaints
4. Administrative Control
Limitations of Lokpal
1. Limited Jurisdiction
2. Dependence on Other Agencies
3. Limited Powers over Prime Minister
4. Insufficient Resources
5. Legal and Procedural Constraints
Conclusion
The Lokpal plays a crucial role in combating corruption in India by exercising powers related to investigation, prosecution, and public oversight. However, it faces limitations due to its restricted jurisdiction, dependence on other agencies, limited powers over high-ranking officials, insufficient resources, and procedural constraints. Addressing these limitations through legislative and administrative reforms could enhance the effectiveness of the Lokpal and strengthen its role in promoting transparency and accountability in governance.
See lessकेन्द्रीय सतर्कता आयोग का गठन किस समिति की अनुशंसा पर किया गया था?
केन्द्रीय सतर्कता आयोग का गठन: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और समिति की अनुशंसा केन्द्रीय सतर्कता आयोग का गठन केन्द्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission - CVC) भारत सरकार का एक प्रमुख संस्थान है, जिसका उद्देश्य सरकारी सेवाओं में भ्रष्टाचार की निगरानी और रोकथाम करना है। यह आयोग सरकारी कर्मचारियों औरRead more
केन्द्रीय सतर्कता आयोग का गठन: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और समिति की अनुशंसा
केन्द्रीय सतर्कता आयोग का गठन
केन्द्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission – CVC) भारत सरकार का एक प्रमुख संस्थान है, जिसका उद्देश्य सरकारी सेवाओं में भ्रष्टाचार की निगरानी और रोकथाम करना है। यह आयोग सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के कार्यों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
गठन की अनुशंसा
केन्द्रीय सतर्कता आयोग का गठन सत्य नारायण समिति की अनुशंसा पर किया गया था। सत्य नारायण समिति, जिसे 1963 में सत्य नारायण रेddy द्वारा अध्यक्षता में गठित किया गया था, ने भारत में भ्रष्टाचार की समस्या को गंभीरता से लिया और इसके समाधान के लिए ठोस उपाय सुझाए। समिति ने एक स्वतंत्र संस्था की आवश्यकता की बात की जो सरकारी क्षेत्र में भ्रष्टाचार पर निगरानी रख सके और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए प्रभावी उपाय कर सके।
सत्य नारायण समिति की अनुशंसाएँ
वर्तमान स्थिति और उदाहरण
निष्कर्ष
केन्द्रीय सतर्कता आयोग का गठन सत्य नारायण समिति की अनुशंसा पर किया गया था, जिसने सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित करने की सिफारिश की थी। आयोग की स्थापना के बाद से, यह भ्रष्टाचार की रोकथाम और सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सत्य नारायण समिति की अनुशंसाएँ आज भी भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों में महत्वपूर्ण मार्गदर्शक सिद्ध होती हैं।
See lessकेन्द्रीय सूचना आयोग के प्रमुख उद्देश्य क्या हैं?
केन्द्रीय सूचना आयोग के प्रमुख उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही: केन्द्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission - CIC) का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक प्राधिकारियों के कामकाज में पारदर्शिता को बढ़ावा देना और जवाबदेही सुनिश्चित करना है जो 2005 के सूचना का अधिकार (Right to Information - RTI) अधिनियमRead more
केन्द्रीय सूचना आयोग के प्रमुख उद्देश्य
हाल के उदाहरण
इन मुख्य उद्देश्यों को पूरा करके, केन्द्रीय सूचना आयोग भारत की शासन प्रणाली में पारदर्शिता, जवाबदेही और सूचना के अधिकार को उचित रूप से उन्नत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
See lessदो मुद्दे लिखिए जो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के क्षेत्राधिकार से बाहर के मुद्दे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) भारत में मानवाधिकारों की रक्षा और संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, NHRC के कुछ स्पष्ट क्षेत्राधिकार की सीमाएँ हैं। यहाँ दो प्रमुख मुद्दे दिए गए हैं जो NHRC के क्षेत्राधिकार से बाहर हRead more
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के क्षेत्राधिकार से बाहर के मुद्दे
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) भारत में मानवाधिकारों की रक्षा और संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, NHRC के कुछ स्पष्ट क्षेत्राधिकार की सीमाएँ हैं। यहाँ दो प्रमुख मुद्दे दिए गए हैं जो NHRC के क्षेत्राधिकार से बाहर हैं:
1. विधिक मामलों और अदालती प्रकरण
NHRC उन मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता जो न्यायालय में विचाराधीन हैं। अगर कोई मामला अदालती प्रक्रियाओं के तहत चल रहा है, तो NHRC उस मामले में सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
2. नीति कार्यान्वयन और सरकारी योजनाएँ
NHRC का कार्यक्षेत्र सरकारी नीतियों और योजनाओं के कार्यान्वयन पर निगरानी रखना नहीं है। NHRC सिफारिशें कर सकता है और मानवाधिकार उल्लंघनों के उपाय सुझा सकता है, लेकिन वह सीधे तौर पर इन सिफारिशों के कार्यान्वयन को लागू नहीं कर सकता।
निष्कर्ष
NHRC के क्षेत्राधिकार की स्पष्ट सीमाएँ हैं, जिसमें अदालती मामलों में हस्तक्षेप और सरकारी नीतियों के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी शामिल नहीं है। NHRC का मुख्य कार्य मानवाधिकार उल्लंघनों की निगरानी करना, सिफारिशें करना, और सुधारात्मक उपाय सुझाना है।
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