Answer the question in maximum 200 words. This question carries 11 marks. [MPPSC 2023] Analyze the Lokpal’s authority and constraints in India.
केन्द्रीय सतर्कता आयोग का गठन: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और समिति की अनुशंसा केन्द्रीय सतर्कता आयोग का गठन केन्द्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission - CVC) भारत सरकार का एक प्रमुख संस्थान है, जिसका उद्देश्य सरकारी सेवाओं में भ्रष्टाचार की निगरानी और रोकथाम करना है। यह आयोग सरकारी कर्मचारियों औरRead more
केन्द्रीय सतर्कता आयोग का गठन: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और समिति की अनुशंसा
केन्द्रीय सतर्कता आयोग का गठन
केन्द्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission – CVC) भारत सरकार का एक प्रमुख संस्थान है, जिसका उद्देश्य सरकारी सेवाओं में भ्रष्टाचार की निगरानी और रोकथाम करना है। यह आयोग सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के कार्यों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
गठन की अनुशंसा
केन्द्रीय सतर्कता आयोग का गठन सत्य नारायण समिति की अनुशंसा पर किया गया था। सत्य नारायण समिति, जिसे 1963 में सत्य नारायण रेddy द्वारा अध्यक्षता में गठित किया गया था, ने भारत में भ्रष्टाचार की समस्या को गंभीरता से लिया और इसके समाधान के लिए ठोस उपाय सुझाए। समिति ने एक स्वतंत्र संस्था की आवश्यकता की बात की जो सरकारी क्षेत्र में भ्रष्टाचार पर निगरानी रख सके और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए प्रभावी उपाय कर सके।
सत्य नारायण समिति की अनुशंसाएँ
- स्वतंत्र संस्था का गठन:
- सत्य नारायण समिति ने एक स्वतंत्र और शक्तिशाली संस्था के गठन की सिफारिश की, जो सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के भ्रष्टाचार पर नजर रख सके। इसका उद्देश्य भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए एक प्रभावी प्रणाली स्थापित करना था।
- आयोग की संरचना और कार्यक्षेत्र:
- समिति ने सुझाव दिया कि इस संस्था को स्वतंत्रता और अधिकार प्राप्त होना चाहिए ताकि यह बिना किसी बाहरी दबाव के अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सके।
वर्तमान स्थिति और उदाहरण
- संविधानिक दर्जा:
- 1999 में, भारत सरकार ने एक विधेयक पारित किया, जिससे केन्द्रीय सतर्कता आयोग को संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ। इस संशोधन से आयोग की स्वतंत्रता और प्रभावशीलता को सुनिश्चित किया गया।
- हाल के उदाहरण:
- रेपिड एक्शन फोर्स (RAF) और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के मामलों में केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने भ्रष्टाचार की जांच की और सुधारात्मक उपाय सुझाए। उदाहरण के लिए, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के भ्रष्टाचार के मामलों में CVC ने जाँच की और कई सुधारात्मक कार्रवाइयाँ कीं।
- संविधानिक और विधायी सुधार:
- आय और संपत्ति का खुलासा और स्वतंत्र जांच जैसी व्यवस्थाएँ आयोग द्वारा लागू की गई हैं, जो सरकारी पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देती हैं।
निष्कर्ष
केन्द्रीय सतर्कता आयोग का गठन सत्य नारायण समिति की अनुशंसा पर किया गया था, जिसने सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित करने की सिफारिश की थी। आयोग की स्थापना के बाद से, यह भ्रष्टाचार की रोकथाम और सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सत्य नारायण समिति की अनुशंसाएँ आज भी भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों में महत्वपूर्ण मार्गदर्शक सिद्ध होती हैं।
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Powers –
Limitations –