प्रश्न का उत्तर अधिकतम 15 से 20 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 03 अंक का है। [MPPSC 2023] यूट्रोफिकेशन (सुपोषण) से आप क्या समझते हैं?
ई-वेस्ट: एक अवलोकन परिभाषा और क्षेत्र ई-वेस्ट (E-waste) या इलेक्ट्रॉनिक कचरा उन इलेक्ट्रॉनिक या विद्युत उपकरणों को संदर्भित करता है जो अब उपयोग में नहीं हैं या जिनकी जीवन अवधि समाप्त हो चुकी है। इसमें कंप्यूटर, स्मार्टफोन्स, टेलीविजन, रेफ्रिजरेटर्स, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण शामिल हैं। ई-वेस्ट का अRead more
ई-वेस्ट: एक अवलोकन
परिभाषा और क्षेत्र ई-वेस्ट (E-waste) या इलेक्ट्रॉनिक कचरा उन इलेक्ट्रॉनिक या विद्युत उपकरणों को संदर्भित करता है जो अब उपयोग में नहीं हैं या जिनकी जीवन अवधि समाप्त हो चुकी है। इसमें कंप्यूटर, स्मार्टफोन्स, टेलीविजन, रेफ्रिजरेटर्स, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण शामिल हैं। ई-वेस्ट का असंगठित निपटान पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरों को जन्म देता है क्योंकि इनमें हानिकारक सामग्री होती है।
ई-वेस्ट के घटक:
- हानिकारक पदार्थ: ई-वेस्ट में अक्सर विषैले पदार्थ जैसे लेड, मरकरी, कैडमियम और ब्रोमिनेटेड फ्लेम रिटार्डेंट्स शामिल होते हैं।
- मूल्यवान सामग्री: इसमें सोना, चांदी, और तांबा जैसी मूल्यवान धातुएँ भी होती हैं, जिनका पुनर्नवीनीकरण प्रक्रियाओं के माध्यम से पुनः प्राप्त किया जा सकता है।
हाल के उदाहरण और प्रभाव
- ई-वेस्ट का बढ़ता उत्पादन:
- उदाहरण: ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर 2020 के अनुसार, 2019 में विश्वभर में लगभग 53.6 मिलियन मीट्रिक टन (MT) ई-वेस्ट उत्पन्न हुआ, जो पिछले पांच वर्षों में 21% की वृद्धि दर्शाता है। यह वृद्धि तकनीकी उन्नति, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के बढ़ते उपयोग, और उत्पादों की छोटी जीवनकाल के कारण है।
- पर्यावरणीय प्रदूषण:
- उदाहरण: भारत और चीन जैसे देशों में असंगठित ई-वेस्ट पुनर्नवीनीकरण प्रथाओं के कारण गंभीर पर्यावरणीय प्रदूषण हुआ है। भारत में, असंगठित प्रक्रियाकारक अक्सर ई-वेस्ट को जलाकर मूल्यवान धातुओं को निकालते हैं, जिससे हानिकारक रसायन वायु और मिट्टी में मिल जाते हैं। हाल की रिपोर्टों से पता चलता है कि दिल्ली जैसे क्षेत्रों में ई-वेस्ट प्रोसेसिंग के कारण मिट्टी में विषैले भारी धातुओं का उच्च स्तर पाया गया है।
- स्वास्थ्य जोखिम:
- उदाहरण: चीन के गुइयू शहर में, जो विश्व के सबसे बड़े ई-वेस्ट पुनर्नवीनीकरण स्थलों में से एक है, स्थानीय जनसंख्या में लेड और अन्य विषाक्त पदार्थों के उच्च स्तर पाए गए हैं। यहाँ के बच्चों और वयस्कों में सांस संबंधी समस्याएँ, तंत्रिका क्षति, और विकासात्मक विकार जैसी स्वास्थ्य समस्याएँ रिपोर्ट की गई हैं।
- वैश्विक प्रयास और समाधान:
- उदाहरण: यूरोपीय संघ ने Waste Electrical and Electronic Equipment (WEEE) Directive लागू किया है, जो ई-वेस्ट के उचित संग्रहण, पुनर्नवीनीकरण, और पुनर्प्राप्ति को अनिवार्य करता है। हाल की पहलों के कारण, यूरोपीय संघ में ई-वेस्ट पुनर्नवीनीकरण दरें बढ़ी हैं और प्रबंधन में सुधार हुआ है। उदाहरण के लिए, जर्मनी में सख्त नियमों और जन जागरूकता अभियानों के कारण ई-वेस्ट के पुनर्नवीनीकरण में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है।
- तकनीकी नवाचार:
- उदाहरण: कंपनियाँ जैसे एप्पल और डेल ई-वेस्ट से निपटने के लिए नवीनतम पुनर्नवीनीकरण तकनीकों में निवेश कर रही हैं। एप्पल का “Daisy” रोबोट, उदाहरण के लिए, पुराने iPhones को पुनः प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है, जिससे मूल्यवान सामग्री को कुशलतापूर्वक पुनः प्राप्त किया जा सकता है। डेल का “Project Luna” उत्पादों को डिज़ाइन करने का प्रयास करता है जो पुनर्नवीनीकरण और सर्कुलैरिटी को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे ई-वेस्ट को कम किया जा सके।
चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा
असंगठित निपटान प्रथाएँ:
- समस्या: कई देशों में ई-वेस्ट के सुरक्षित निपटान और पुनर्नवीनीकरण के लिए उचित ढाँचा नहीं है। विकासशील देशों में असंगठित पुनर्नवीनीकरण प्रथाएँ पर्यावरण और स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देती हैं।
विस्तारित निर्माता जिम्मेदारी (EPR) की आवश्यकता:
- समस्या: EPR नीतियों को लागू करना आवश्यक है, जिसमें निर्माताओं को उनके उत्पादों के पूरे जीवनकाल, विशेष रूप से अंत-जीवन निपटान के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। यह दृष्टिकोण बेहतर उत्पाद डिज़ाइन और पुनर्नवीनीकरण प्रथाओं को प्रोत्साहित कर सकता है।
जन जागरूकता और शिक्षा:
- समस्या: ई-वेस्ट के उचित निपटान और पुनर्नवीनीकरण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है। शैक्षिक अभियानों से उपभोक्ताओं को सूचित निर्णय लेने में मदद मिल सकती है और ई-वेस्ट उत्पन्न करने को कम किया जा सकता है।
निष्कर्ष ई-वेस्ट एक बढ़ता हुआ वैश्विक मुद्दा है जिसका पर्यावरण और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव है। इसका समाधान करने के लिए पुनर्नवीनीकरण तकनीकों, सख्त नियमों, और जन जागरूकता में सुधार की आवश्यकता है। हाल के नवाचार और अंतर्राष्ट्रीय प्रयास, जैसे कि WEEE Directive और नवीनतम पुनर्नवीनीकरण तकनीकें, आशाजनक समाधान प्रदान करती हैं, लेकिन ई-वेस्ट को स्थायी रूप से प्रबंधित करने और इसके प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक हैं।
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यूट्रोफिकेशन एक प्रक्रिया है जिसमें जलाशयों या जल निकायों में अत्यधिक पोषक तत्वों का संचय हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप शैवाल और अन्य जलपरी किस्मों की अत्यधिक वृद्धि होती है। यह प्रक्रिया जल की गुणवत्ता, जलीय पारिस्थितिक तंत्र और कुल पर्यावरणीय स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। मुख्य बिंदुRead more
यूट्रोफिकेशन एक प्रक्रिया है जिसमें जलाशयों या जल निकायों में अत्यधिक पोषक तत्वों का संचय हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप शैवाल और अन्य जलपरी किस्मों की अत्यधिक वृद्धि होती है। यह प्रक्रिया जल की गुणवत्ता, जलीय पारिस्थितिक तंत्र और कुल पर्यावरणीय स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
मुख्य बिंदु:
निष्कर्ष
यूट्रोफिकेशन, जल में अत्यधिक पोषक तत्वों के संचित होने से उत्पन्न होती है, जिससे शैवाल और जलपरी की अत्यधिक वृद्धि होती है। इसके परिणामस्वरूप ऑक्सीजन की कमी, जैव विविधता की हानि, और जल की गुणवत्ता में गिरावट हो सकती है। हाल के उदाहरण, जैसे लेक एरी, चिलिका लेक, और डेड सी, इस मुद्दे की वैश्विक प्रासंगिकता को उजागर करते हैं। यूट्रोफिकेशन से निपटने के लिए प्रभावी प्रबंधन रणनीतियाँ, जैसे पोषक तत्व नियंत्रण, बेहतर सीवेज उपचार, और पुनर्स्थापना परियोजनाएँ, आवश्यक हैं ताकि जल पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
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