प्रश्न का उत्तर अधिकतम 200 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 11 अंक का है। [MPPSC 2023] इंदौर में मराठा वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने के रूप में होल्कर छत्रियों का उल्लेख कीजिए।
भोजपुर का शिव मंदिर, जो मध्य प्रदेश के भोजपुर गांव में स्थित है, अपनी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। 11वीं शदी में परमार राजा भोज के शासनकाल के दौरान निर्मित इस मंदिर की वास्तुशिल्पीय विशेषताएँ निम्नलिखित हैं: 1. मोनोलिथिक संरचना (एकल पत्थर से निर्मित) मुख्य शिवलिंग: मंदिर अपनी विशाRead more
भोजपुर का शिव मंदिर, जो मध्य प्रदेश के भोजपुर गांव में स्थित है, अपनी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। 11वीं शदी में परमार राजा भोज के शासनकाल के दौरान निर्मित इस मंदिर की वास्तुशिल्पीय विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1. मोनोलिथिक संरचना (एकल पत्थर से निर्मित)
- मुख्य शिवलिंग: मंदिर अपनी विशाल, मोनोलिथिक शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है। यह शिवलिंग भारत के सबसे बड़े शिवलिंगों में से एक है, जो एक ही चट्टान से तराशा गया है।
- निर्माण तकनीक: पूरा मंदिर, जिसमें गर्भगृह और शिवलिंग शामिल हैं, एक ही पत्थर से उकेरा गया था, जो उस समय की उन्नत चट्टान-कट वास्तुकला की तकनीकों को दर्शाता है।
2. शिखर (मंदिर का टॉवर)
- डिज़ाइन: मंदिर में एक शिखर (टॉवर) था, जो अब अधूरा है। हालांकि यह अधूरा है, लेकिन इसका डिज़ाइन मंदिर की भव्यता और ऊंचाई को दर्शाता है।
- शैली: शिखर नागर शैली की वास्तुकला को दर्शाता है, जो अपनी वक्र रेखा के लिए जानी जाती है।
3. गर्भगृह और मंडप
- गर्भगृह (Garbhagriha): गर्भगृह मुख्य देवता, शिवलिंग, को रखने के लिए डिज़ाइन किया गया था। यह गर्भगृह बहुत बड़ा है और इसे कई भक्तों को समायोजित करने के लिए तैयार किया गया था।
- मंडप (Mandapa): गर्भगृह के सामने एक खुला मंडप था जिसका उपयोग धार्मिक गतिविधियों और पूजाओं के लिए किया जाता था।
4. स्तंभ और खंभे
- सजावट: मंदिर में जटिल नक्काशीदार स्तंभ हैं, हालांकि ये बाद के हिन्दू मंदिरों की तुलना में कम अलंकृत हैं। ये स्तंभ संरचनात्मक समर्थन प्रदान करते हैं और मंदिर की सुंदरता को बढ़ाते हैं।
- शैली: स्तंभों का डिज़ाइन हिन्दू मंदिर वास्तुकला के प्रारंभिक चरण को दर्शाता है, जो पहले के और अधिक विकसित शैलियों के बीच का पुल है।
5. वास्तुशिल्पीय महत्वाकांक्षाएँ
- अधूरे पहलू: मंदिर का अधूरा स्वरूप, जिसमें अपूर्ण हिस्से और अधूरी शिखर, उस समय की भव्य योजनाओं को दर्शाता है जो पूरी तरह से लागू नहीं हो पाईं।
- इंजीनियरिंग की उपलब्धियाँ: विशाल संरचना की योजना और निर्माण उस समय के उच्च स्तरीय इंजीनियरिंग ज्ञान को दर्शाते हैं।
6. धार्मिक महत्व
- प्रतीकात्मकता: विशाल शिवलिंग भगवान शिव की दिव्य ऊर्जा का प्रतीक है, और मंदिर का डिज़ाइन इस केंद्रीय पूजा प्रतीक को सम्मानित करने के लिए तैयार किया गया है।
- संस्कृतिक संदर्भ: मंदिर धार्मिक भक्ति और वास्तुकला के नवाचार का संगम प्रस्तुत करता है, जिससे यह एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल बनता है।
इस प्रकार, भोजपुर का शिव मंदिर 11वीं शदी की वास्तुकला और इंजीनियरिंग की उच्च उपलब्धियों का एक प्रमुख उदाहरण है, जो उस समय की धार्मिक और कलात्मक महत्वाकांक्षाओं को दर्शाता है
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इंदौर में मराठा वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने के रूप में होल्कर छत्रियों का उल्लेख किया जाता है। ये छत्रियाँ इंदौर के पास मंझगांव क्षेत्र में स्थित हैं और इन्हें होल्कर वंश के प्रमुख सदस्यों की याद में बनाया गया है। होल्कर छत्रियाँ मूल रूप से मराठा वास्तुकला की विशिष्ट शैली को दर्शाती हैं, जिसमें सुंदRead more
इंदौर में मराठा वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने के रूप में होल्कर छत्रियों का उल्लेख किया जाता है। ये छत्रियाँ इंदौर के पास मंझगांव क्षेत्र में स्थित हैं और इन्हें होल्कर वंश के प्रमुख सदस्यों की याद में बनाया गया है।
होल्कर छत्रियाँ मूल रूप से मराठा वास्तुकला की विशिष्ट शैली को दर्शाती हैं, जिसमें सुंदर और जटिल पत्थर की नक्काशी, उत्कृष्ट डिजाइन और भव्यता शामिल है। इन छत्रियों का निर्माण रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा किया गया था, जो मराठा साम्राज्य की एक प्रमुख और सम्मानित शासक थीं। इन छत्रियों का डिज़ाइन और संरचना उनके राजवंश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती है।
इन छत्रियों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
होल्कर छत्रियों की भव्यता और उनका ऐतिहासिक महत्व इंदौर में मराठा वास्तुकला की अनूठी पहचान को प्रदर्शित करता है।
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