प्रश्न का उत्तर अधिकतम 50 शब्दों/5 से 6 पंक्तियाँ में दीजिए। यह प्रश्न 05 अंक का है। [MPPSC 2023] भोजपुर के शिव मंदिर की वास्तुशिल्पीय विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
इंदौर में मराठा वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने के रूप में होल्कर छत्रियों का उल्लेख किया जाता है। ये छत्रियाँ इंदौर के पास मंझगांव क्षेत्र में स्थित हैं और इन्हें होल्कर वंश के प्रमुख सदस्यों की याद में बनाया गया है। होल्कर छत्रियाँ मूल रूप से मराठा वास्तुकला की विशिष्ट शैली को दर्शाती हैं, जिसमें सुंदRead more
इंदौर में मराठा वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने के रूप में होल्कर छत्रियों का उल्लेख किया जाता है। ये छत्रियाँ इंदौर के पास मंझगांव क्षेत्र में स्थित हैं और इन्हें होल्कर वंश के प्रमुख सदस्यों की याद में बनाया गया है।
होल्कर छत्रियाँ मूल रूप से मराठा वास्तुकला की विशिष्ट शैली को दर्शाती हैं, जिसमें सुंदर और जटिल पत्थर की नक्काशी, उत्कृष्ट डिजाइन और भव्यता शामिल है। इन छत्रियों का निर्माण रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा किया गया था, जो मराठा साम्राज्य की एक प्रमुख और सम्मानित शासक थीं। इन छत्रियों का डिज़ाइन और संरचना उनके राजवंश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती है।
इन छत्रियों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- शिल्प और डिजाइन: छत्रियों की शिल्पकारी में मराठा वास्तुकला की जटिल नक्काशी और उत्कृष्टता स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। पत्थर की बारीक और आकर्षक नक्काशी इन छत्रियों को विशिष्ट बनाती है।
- वास्तुकला की शैली: छत्रियों की वास्तुकला में मराठा शैली की विशेषता, जैसे कि समरूपता, विस्तृत निर्माण, और कलात्मक विवरण, देखे जा सकते हैं।
- सांस्कृतिक महत्व: ये छत्रियाँ मराठा साम्राज्य की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक हैं, और स्थानीय लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल हैं।
होल्कर छत्रियों की भव्यता और उनका ऐतिहासिक महत्व इंदौर में मराठा वास्तुकला की अनूठी पहचान को प्रदर्शित करता है।
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भोजपुर का शिव मंदिर, जो मध्य प्रदेश के भोजपुर गांव में स्थित है, अपनी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। 11वीं शदी में परमार राजा भोज के शासनकाल के दौरान निर्मित इस मंदिर की वास्तुशिल्पीय विशेषताएँ निम्नलिखित हैं: 1. मोनोलिथिक संरचना (एकल पत्थर से निर्मित) मुख्य शिवलिंग: मंदिर अपनी विशाRead more
भोजपुर का शिव मंदिर, जो मध्य प्रदेश के भोजपुर गांव में स्थित है, अपनी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। 11वीं शदी में परमार राजा भोज के शासनकाल के दौरान निर्मित इस मंदिर की वास्तुशिल्पीय विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1. मोनोलिथिक संरचना (एकल पत्थर से निर्मित)
2. शिखर (मंदिर का टॉवर)
3. गर्भगृह और मंडप
4. स्तंभ और खंभे
5. वास्तुशिल्पीय महत्वाकांक्षाएँ
6. धार्मिक महत्व
इस प्रकार, भोजपुर का शिव मंदिर 11वीं शदी की वास्तुकला और इंजीनियरिंग की उच्च उपलब्धियों का एक प्रमुख उदाहरण है, जो उस समय की धार्मिक और कलात्मक महत्वाकांक्षाओं को दर्शाता है
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