प्रश्न का उत्तर अधिकतम 50 शब्दों/5 से 6 पंक्तियाँ में दीजिए। यह प्रश्न 05 अंक का है। [MPPSC 2023] इजारा प्रणाली क्या थी?
मुगलकालीन समाज में महिलाओं की स्थिति मुगलकालीन समाज में महिलाओं की स्थिति जटिल और बहुपरकारी थी, जो सामाजिक वर्ग, धर्म, और विभिन्न मुग़ल सम्राटों की नीतियों से प्रभावित थी। इस स्थिति को समझने के लिए निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है: 1. सामाजिक स्थिति: राजघराने की महिलाएँ: मुग़ल राजघरानेRead more
मुगलकालीन समाज में महिलाओं की स्थिति
मुगलकालीन समाज में महिलाओं की स्थिति जटिल और बहुपरकारी थी, जो सामाजिक वर्ग, धर्म, और विभिन्न मुग़ल सम्राटों की नीतियों से प्रभावित थी। इस स्थिति को समझने के लिए निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है:
1. सामाजिक स्थिति:
- राजघराने की महिलाएँ: मुग़ल राजघराने की महिलाएँ जैसे सम्राज्ञियाँ और राजकुमारियाँ महत्वपूर्ण प्रभाव और शक्ति का आनंद लेती थीं। उन्हें शिक्षा प्राप्त थी और वे राजनैतिक और सांस्कृतिक मामलों में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभा सकती थीं। उदाहरण के लिए, मुमताज़ महल, शाहजहाँ की पत्नी, को न केवल एक प्रिय पत्नी के रूप में जाना जाता है, बल्कि उसकी याद में ताज महल भी निर्मित हुआ।
- उच्चवर्गीय महिलाएँ: नबाबी परिवारों की महिलाएँ भी बेहतर जीवनशैली का आनंद लेती थीं और सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग ले सकती थीं, लेकिन उनका प्रभाव प्रायः दरबारी जीवन और घरेलू मामलों तक सीमित था।
2. शिक्षा और सांस्कृतिक भागीदारी:
- शिक्षा: राजघराने और उच्चवर्गीय महिलाएँ अक्सर शिक्षा प्राप्त करती थीं। वे साहित्य, भाषाएँ और कलाओं में निपुण होती थीं। नूरजहाँ, सम्राट जहांगीर की पत्नी, कला और कविता की संरक्षक के रूप में जानी जाती हैं और उन्हें शिक्षा और संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था।
- साहित्यिक योगदान: गुलबदान बेगम, एक मुग़ल राजकुमारी और इतिहासकार, ने ऐतिहासिक दस्तावेजों और साहित्यिक कार्यों में योगदान दिया, जो महिलाओं की बौद्धिक क्षमताओं को दर्शाता है।
3. विवाह और पारिवारिक जीवन:
- विवाहिक गठबंधन: विवाह अक्सर राजनीतिक गठबंधन के लिए होते थे। महिलाओं की भूमिकाएँ इन गठबंधनों से प्रभावित होती थीं और उनका समाज में स्थान इन राजनीतिक संबंधों से निर्धारित होता था।
- घरेलू भूमिकाएँ: जबकि उच्चवर्गीय महिलाओं के पास अधिक सुविधाएँ थीं, सामान्य महिलाओं की भूमिकाएँ प्रायः घरेलू जिम्मेदारियों और बच्चों की देखभाल तक सीमित थीं।
4. कानूनी और सामाजिक अधिकार:
- विरासत के अधिकार: महिलाओं को विरासत के कुछ अधिकार प्राप्त थे, लेकिन ये अधिकार अक्सर पितृसत्तात्मक मानदंडों द्वारा सीमित हो जाते थे। उनकी संपत्ति के अधिकार पुरुषों की तुलना में अपेक्षाकृत कम थे।
- सामाजिक प्रतिबंध: राजघराने और उच्चवर्गीय वर्ग की महिलाओं को अधिक स्वतंत्रता प्राप्त थी, जबकि सामान्य महिलाओं की सामाजिक स्वतंत्रताएँ सीमित थीं और उनकी भूमिकाएँ परिवार और घरेलू जीवन तक सीमित थीं।
5. हाल की ऐतिहासिक पुनर्मूल्यांकन:
- इतिहासशास्त्र की बहसें: आधुनिक इतिहासकारों ने मुग़लकालीन समाज में महिलाओं की जटिल भूमिकाओं को अधिक मान्यता दी है। ये अध्ययन महिलाओं के सांस्कृतिक और राजनीतिक योगदान को उजागर करते हैं।
- ऐतिहासिक उदाहरण: खुसरो बाग़ प्रयागराज में, राजघराने की राजकुमारियों की समाधियाँ बताती हैं कि मुग़ल समाज में राजघराने की महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इसी प्रकार, नूरजहाँ का शासन मामलों में प्रभाव भी महिलाओं के योगदान का एक उदाहरण है।
निष्कर्ष
मुग़लकालीन समाज में महिलाओं की स्थिति सामाजिक वर्गों के आधार पर भिन्न थी। जबकि राजघराने और उच्चवर्गीय महिलाओं के पास शिक्षा, शक्ति और सांस्कृतिक प्रभाव था, सामान्य महिलाओं की स्थिति अधिक सीमित थी और उनकी भूमिकाएँ मुख्यतः पारिवारिक और घरेलू जिम्मेदारियों तक सीमित थीं। हाल के शोध और पुनर्मूल्यांकन ने इस स्थिति को अधिक व्यापक रूप से समझने में मदद की है।
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इजारा प्रणाली एक ऐतिहासिक राजस्व प्रथा थी जिसका उपयोग भारत में मुग़ल काल और उसके बाद के काल में हुआ। इस प्रणाली के अंतर्गत, सरकार ने भूमि कर (राजस्व) का संग्रह एक मध्यस्थ को सौंप दिया। इस मध्यस्थ को "इजारा" कहा जाता था। इजारा प्रणाली में, सरकार ने एक निश्चित समयावधि के लिए, जैसे कि एक वर्ष, भूमि करRead more
इजारा प्रणाली एक ऐतिहासिक राजस्व प्रथा थी जिसका उपयोग भारत में मुग़ल काल और उसके बाद के काल में हुआ। इस प्रणाली के अंतर्गत, सरकार ने भूमि कर (राजस्व) का संग्रह एक मध्यस्थ को सौंप दिया। इस मध्यस्थ को “इजारा” कहा जाता था।
इजारा प्रणाली में, सरकार ने एक निश्चित समयावधि के लिए, जैसे कि एक वर्ष, भूमि कर का पूरा अधिकार एक ठेकेदार को दे दिया। ठेकेदार (या इजारा) को अपने ऊपर निर्भर क्षेत्रों से कर इकट्ठा करने और उसे सरकार को जमा करने की जिम्मेदारी दी जाती थी। इसके बदले में, ठेकेदार को कर संग्रहण से प्राप्त राशि में से एक हिस्सा लाभ के रूप में मिलता था।
इस प्रणाली के फायदे और नुकसान दोनों थे:
समय के साथ, इस प्रणाली की आलोचना हुई और अन्य राजस्व प्रणालियों ने इसे प्रतिस्थापित किया, लेकिन इसका प्रभाव और स्वरूप भारतीय प्रशासनिक इतिहास में महत्वपूर्ण था।
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