जलविद्युत दुनिया भर में निम्न कार्बन उत्सर्जन वाली ऊर्जा आपूर्ति का एक प्रमुख स्रोत है, लेकिन भारत के कुल इलेक्ट्रिसिटी मिक्स में इसकी हिस्सेदारी बहुत कम बनी हुई है। चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
वन संसाधनों के व्यापार में कानूनी और अवैध गतिविधियों का प्रभाव और समाधान 1. कानूनी वन संसाधन व्यापार का प्रभाव आर्थिक योगदान: विवरण: कानूनी वन संसाधन व्यापार जैसे कि लकड़ी, बांस, और रेजिन, स्थानीय और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान करता है। हालिया उदाहरण: भारत में, ‘वन उत्पादक संघों’ के तहत कानूनीRead more
वन संसाधनों के व्यापार में कानूनी और अवैध गतिविधियों का प्रभाव और समाधान
1. कानूनी वन संसाधन व्यापार का प्रभाव
- आर्थिक योगदान:
- विवरण: कानूनी वन संसाधन व्यापार जैसे कि लकड़ी, बांस, और रेजिन, स्थानीय और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान करता है।
- हालिया उदाहरण: भारत में, ‘वन उत्पादक संघों’ के तहत कानूनी वन संसाधनों का व्यापार स्थानीय समुदायों को रोजगार और आर्थिक लाभ प्रदान करता है, जैसे कि उत्तराखंड में बांस और रेजिन का व्यापार।
- वृक्षारोपण और स्थिरता:
- विवरण: कानूनी व्यापार प्रथाएँ स्थिरता और पुनर्वनीकरण की पहल को बढ़ावा देती हैं, जिससे वनों का दीर्घकालिक संरक्षण होता है।
- हालिया उदाहरण: स्वीडन में ‘सतत वन प्रबंधन’ की नीति के तहत कानूनी व्यापार के साथ वृक्षारोपण और पुनर्वनीकरण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिससे वन संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित होता है।
2. अवैध वन संसाधन व्यापार का प्रभाव
- पर्यावरणीय नुकसान:
- विवरण: अवैध वन व्यापार वनों की अंधाधुंध कटाई और पारिस्थितिकीय असंतुलन का कारण बनता है, जिससे पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
- हालिया उदाहरण: म्यांमार और थाईलैंड में अवैध लकड़ी व्यापार ने वर्षा वनों की गंभीर क्षति की है, जो पर्यावरणीय असंतुलन और जैव विविधता के नुकसान का कारण बन रहा है।
- सामाजिक और आर्थिक प्रभाव:
- विवरण: अवैध वन व्यापार स्थानीय समुदायों के जीवन और उनके अधिकारों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, जिससे सामाजिक संघर्ष और आर्थिक असमानता बढ़ती है।
- हालिया उदाहरण: भारत के मध्य प्रदेश में अवैध लकड़ी व्यापार ने स्थानीय आदिवासी समुदायों की आजीविका और उनके वन अधिकारों पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।
- अपराध और सुरक्षा मुद्दे:
- विवरण: अवैध वन व्यापार अपराधी गतिविधियों और सुरक्षा समस्याओं को बढ़ावा देता है, जैसे कि संगठित अपराध और हिंसा।
- हालिया उदाहरण: कर्नाटक और तमिलनाडु में अवैध लकड़ी के व्यापार ने संगठित अपराधों और क्षेत्रीय संघर्षों को जन्म दिया है, जो स्थानीय सुरक्षा की स्थिति को प्रभावित कर रहा है।
3. समाधान के उपाय
- कानूनी ढांचे की सुदृढ़ता:
- विवरण: कानूनी ढांचे को मजबूत करने और वन संसाधनों के व्यापार के लिए कठोर नियम लागू करने से अवैध गतिविधियों को नियंत्रित किया जा सकता है।
- हालिया उदाहरण: भारत में ‘वन संरक्षण अधिनियम’ और ‘वन अधिकार अधिनियम’ के माध्यम से कानूनी ढांचे को मजबूत किया गया है, जिससे वन संसाधनों के संरक्षण में सुधार हुआ है।
- तकनीकी निगरानी और डेटा संग्रहण:
- विवरण: आधुनिक तकनीक जैसे कि सैटेलाइट इमेजिंग और ड्रोन निगरानी का उपयोग अवैध वन गतिविधियों की पहचान और ट्रैकिंग के लिए किया जा सकता है।
- हालिया उदाहरण: भारत के असम में ‘सैटेलाइट बेस्ड मॉनिटरिंग’ प्रणाली का उपयोग अवैध लकड़ी के व्यापार पर निगरानी रखने के लिए किया जा रहा है।
- समुदाय की भागीदारी और जागरूकता:
- विवरण: स्थानीय समुदायों को वन संरक्षण में शामिल करना और उनकी जागरूकता बढ़ाना अवैध व्यापार को रोकने में सहायक हो सकता है।
- हालिया उदाहरण: झारखंड में ‘वन समितियों’ के माध्यम से स्थानीय समुदायों को वन प्रबंधन और निगरानी में शामिल किया गया है, जिससे अवैध गतिविधियों को नियंत्रित किया जा रहा है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और संधियाँ:
- विवरण: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग और संधियों के माध्यम से अवैध वन व्यापार की वैश्विक समस्या का समाधान किया जा सकता है।
- हालिया उदाहरण: ‘सीआईटीईएस’ (CITES) संधि के तहत अंतर्राष्ट्रीय वन व्यापार पर निगरानी रखी जाती है, जिससे अवैध व्यापार को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
- शिक्षा और क्षमता निर्माण:
- विवरण: वन प्रबंधन और संरक्षण में शिक्षा और क्षमता निर्माण के कार्यक्रम अवैध वन व्यापार को कम करने में सहायक होते हैं।
- हालिया उदाहरण: नेपाल में ‘वन प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रम’ के तहत स्थानीय लोगों को वन संरक्षण की जानकारी दी जा रही है, जिससे अवैध गतिविधियों की निगरानी की जा रही है।
निष्कर्ष
वन संसाधनों के कानूनी और अवैध व्यापार के प्रभाव विभिन्न रूपों में होते हैं, जिनमें पर्यावरणीय क्षति, सामाजिक असमानता, और सुरक्षा समस्याएँ शामिल हैं। समाधान के लिए कानूनी ढांचे को सुदृढ़ करने, तकनीकी निगरानी, समुदाय की भागीदारी, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, और शिक्षा जैसे उपायों को अपनाना आवश्यक है। इन उपायों से वन संसाधनों के संरक्षण को सुनिश्चित किया जा सकता है और अवैध गतिविधियों के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
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जलविद्युत ऊर्जा, कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन भारत के कुल इलेक्ट्रिसिटी मिक्स में इसकी हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम है। भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता में जलविद्युत की हिस्सेदारी लगभग 12% है, जबकि अन्य नवीकरणीय स्रोत जैसे कि सौर और पवन ऊर्जा की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रRead more
जलविद्युत ऊर्जा, कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन भारत के कुल इलेक्ट्रिसिटी मिक्स में इसकी हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम है। भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता में जलविद्युत की हिस्सेदारी लगभग 12% है, जबकि अन्य नवीकरणीय स्रोत जैसे कि सौर और पवन ऊर्जा की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है।
इसकी एक प्रमुख वजह है जलविद्युत परियोजनाओं की उच्च लागत और लंबा निर्माण समय। इसके अलावा, कई क्षेत्रों में नदी प्रवाह की अस्थिरता और पर्यावरणीय चिंताओं के कारण परियोजनाओं की शुरुआत में रुकावटें आती हैं।
वहीं, पर्यावरणीय प्रभाव और स्थानीय समुदायों पर असर के चलते विरोध भी होता है। भारत सरकार ने जलविद्युत को प्रमुख नवीकरणीय स्रोत के रूप में मान्यता दी है, लेकिन इसके विकास में सुधार की आवश्यकता है ताकि यह ऊर्जा मिक्स में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके।
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