बहुषात्विक ग्रंथिकाओं (पॉलिमेटेलिक नोड्यूल्स) के भौगोलिक वितरण का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए, उनके महत्व पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
शीतोष्ण चक्रवात: संक्षिप्त टिप्पणी और भारत पर प्रभाव शीतोष्ण चक्रवात (Temperate Cyclone) आमतौर पर उत्तरी अक्षांशों में विकसित होते हैं और मध्य वायुमंडल में कम दबाव के कारण बनते हैं। ये चक्रवात सर्दियों में मध्य और उच्च अक्षांशों में होते हैं, और इनकी प्रमुख विशेषताएँ गति, दिशा और वायवीय विशेषताएँ होRead more
शीतोष्ण चक्रवात: संक्षिप्त टिप्पणी और भारत पर प्रभाव
शीतोष्ण चक्रवात (Temperate Cyclone) आमतौर पर उत्तरी अक्षांशों में विकसित होते हैं और मध्य वायुमंडल में कम दबाव के कारण बनते हैं। ये चक्रवात सर्दियों में मध्य और उच्च अक्षांशों में होते हैं, और इनकी प्रमुख विशेषताएँ गति, दिशा और वायवीय विशेषताएँ होती हैं।
1. वातावरणीय प्रभाव: शीतोष्ण चक्रवात हवा के कम दबाव के कारण प्रवण वायु और मॉनसून की ओर उन्मुख होते हैं। इससे वर्षा और ठंडी हवाएं उत्पन्न होती हैं।
2. भूगोलिक प्रभाव: भारत के उत्तरी और पूर्वी तटों पर, जैसे उड़ीसा और बंगाल की खाड़ी में, शीतोष्ण चक्रवात से तटीय क्षेत्रों में भारी बारिश, बाढ़ और तूफान की स्थिति उत्पन्न होती है। यह फसलों को नुकसान पहुंचाता है और आवश्यक सेवाओं को बाधित करता है।
3. आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: इन चक्रवातों से जन जीवन, आर्थिक गतिविधियाँ और परिवहन प्रणाली प्रभावित होती हैं। आपदाओं के बाद मरम्मत कार्य और सहायता प्रयास में वेतन और संसाधनों का बहुत अधिक खर्च होता है।
निष्कर्ष: शीतोष्ण चक्रवात भारत में मौसम और जलवायु पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं, विशेषकर तटीय क्षेत्रों में। इनके वातावरणीय और आर्थिक प्रभाव को समझना और संबंधित तैयारी आवश्यक है ताकि प्राकृतिक आपदाओं से कम से कम नुकसान हो सके।
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बहुषात्विक ग्रंथिकाएँ या पॉलिमेटेलिक नोड्यूल्स जैसे संगठन विशेष जीवों के भौगोलिक वितरण का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। इनका महत्व जीवनकला, पर्यावरणीय संतुलन, और जैविक विविधता के लिए अत्यधिक है। ये ग्रंथिकाएँ विभिन्न स्थानों में पाए जाते हैं और उनका वितरण भूमि, जल, और हवा में विभिन्न प्रकार केRead more
बहुषात्विक ग्रंथिकाएँ या पॉलिमेटेलिक नोड्यूल्स जैसे संगठन विशेष जीवों के भौगोलिक वितरण का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। इनका महत्व जीवनकला, पर्यावरणीय संतुलन, और जैविक विविधता के लिए अत्यधिक है। ये ग्रंथिकाएँ विभिन्न स्थानों में पाए जाते हैं और उनका वितरण भूमि, जल, और हवा में विभिन्न प्रकार के पर्यावरणीय नियमितियों के आधार पर होता है। ये नोड्यूल्स भुगोलशास्त्र और पारिस्थितिकी विज्ञान में महत्वपूर्ण रोल निभाते हैं क्योंकि इनका वितरण इकोसिस्टम की सुरक्षितता और संतुलन के लिए आवश्यक होता है। इनके अवसादन के कारण जीवों के बीच अद्वितीय संबंध बनते हैं और इससे प्राकृतिक वातावरण का संतुलन बना रहता है।
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