विश्व में खनिज तेल के असमान वितरण के बहुआयामी प्रभावों की विवेचना कीजिए । (250 words) [UPSC 2021]
रबर उत्पादक देशों का वितरण और पर्यावरणीय मुद्दे रबर उत्पादक देशों का वितरण: मुख्य उत्पादक क्षेत्र: दक्षिण-पूर्व एशिया रबर उत्पादन में अग्रणी है, जिसमें थाईलैंड, इंडोनेशिया, और मलेशिया प्रमुख उत्पादक देश हैं। ये देश विश्व के कुल रबर उत्पादन का अधिकांश हिस्सा आपूर्ति करते हैं। थाईलैंड अकेला विश्व का सRead more
रबर उत्पादक देशों का वितरण और पर्यावरणीय मुद्दे
रबर उत्पादक देशों का वितरण:
- मुख्य उत्पादक क्षेत्र: दक्षिण-पूर्व एशिया रबर उत्पादन में अग्रणी है, जिसमें थाईलैंड, इंडोनेशिया, और मलेशिया प्रमुख उत्पादक देश हैं। ये देश विश्व के कुल रबर उत्पादन का अधिकांश हिस्सा आपूर्ति करते हैं। थाईलैंड अकेला विश्व का सबसे बड़ा रबर उत्पादक देश है, जबकि इंडोनेशिया और मलेशिया क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
- उभरते उत्पादक: हाल के वर्षों में वियतनाम और भारत भी रबर उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। भारत ने त्रिपुरा और केरल में रबर बागान स्थापित किए हैं, जिससे इसकी उत्पादन क्षमता में वृद्धि हुई है।
पर्यावरणीय मुद्दे:
- वनों की कटाई: रबर के बागान के लिए उपयुक्त भूमि प्राप्त करने हेतु बड़े पैमाने पर वनों की कटाई की जाती है। इंडोनेशिया और मलेशिया में रबर बागान विस्तार के कारण उष्णकटिबंधीय वर्षावनों का नुकसान हुआ है, जिससे जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित हुए हैं।
- मृदा क्षति और जल प्रदूषण: रबर बागान के लिए मृदा की कटाई और कीटनाशकों का उपयोग मृदा के स्वास्थ्य और जल स्रोतों को प्रभावित करता है। थाईलैंड में रबर बागानों से संबंधित जल प्रदूषण और मृदा क्षति की घटनाएँ देखी गई हैं।
- वायु प्रदूषण: रबर बागानों की सफाई और प्लांटेशन के लिए जलाने की प्रक्रियाएँ वायु प्रदूषण का कारण बनती हैं। इंडोनेशिया में इस प्रक्रिया से धुंध और वायु प्रदूषण की समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं, जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को प्रभावित करती हैं।
- सामाजिक और आर्थिक प्रभाव: रबर उत्पादन के लिए भूमि अधिग्रहण और मजदूरी की समस्याएँ स्थानीय समुदायों को प्रभावित करती हैं। मलेशिया और थाईलैंड में छोटे किसानों की समस्याएँ और भूमि अधिकारों की कमी जैसी चुनौतियाँ सामने आई हैं।
निष्कर्ष: रबर उत्पादक देशों में रबर के व्यापक उत्पादन से पर्यावरणीय चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं, जिनमें वन कटाई, मृदा और जल प्रदूषण, और वायु प्रदूषण शामिल हैं। सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के उपायों को अपनाकर इन मुद्दों का समाधान किया जा सकता है।
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विश्व में खनिज तेल के असमान वितरण के बहुआयामी प्रभाव आर्थिक असमानताएँ: आय में विषमताएँ: खनिज तेल के असमान वितरण ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में आर्थिक विषमताएँ पैदा की हैं। मध्य पूर्व, जैसे कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात, में खनिज तेल की प्रचुरता ने इन देशों को अत्यधिक समृद्ध बनाया, जबकि अफ्रीका और दRead more
विश्व में खनिज तेल के असमान वितरण के बहुआयामी प्रभाव
आर्थिक असमानताएँ:
राजनीतिक और सामरिक प्रभाव:
पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव:
ऊर्जा सुरक्षा और वैकल्पिक ऊर्जा:
निष्कर्ष:
खनिज तेल का असमान वितरण वैश्विक आर्थिक, राजनीतिक, पर्यावरणीय, और सामाजिक परिदृश्यों पर व्यापक प्रभाव डालता है। यह आर्थिक विषमताओं, राजनीतिक संघर्षों, और पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म देता है, साथ ही ऊर्जा सुरक्षा और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की दिशा में नवाचार की आवश्यकता को भी उजागर करता है।
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