वर्तमान संदर्भ में दक्षिणी चीन सागर का भू-राजनीतिक महत्त्व बहुत बढ़ गया है। टिप्पणी कीजिए। (200 words) [UPSC 2016]
रबर उत्पादक देशों का वितरण और पर्यावरणीय मुद्दे रबर उत्पादक देशों का वितरण: मुख्य उत्पादक क्षेत्र: दक्षिण-पूर्व एशिया रबर उत्पादन में अग्रणी है, जिसमें थाईलैंड, इंडोनेशिया, और मलेशिया प्रमुख उत्पादक देश हैं। ये देश विश्व के कुल रबर उत्पादन का अधिकांश हिस्सा आपूर्ति करते हैं। थाईलैंड अकेला विश्व का सRead more
रबर उत्पादक देशों का वितरण और पर्यावरणीय मुद्दे
रबर उत्पादक देशों का वितरण:
- मुख्य उत्पादक क्षेत्र: दक्षिण-पूर्व एशिया रबर उत्पादन में अग्रणी है, जिसमें थाईलैंड, इंडोनेशिया, और मलेशिया प्रमुख उत्पादक देश हैं। ये देश विश्व के कुल रबर उत्पादन का अधिकांश हिस्सा आपूर्ति करते हैं। थाईलैंड अकेला विश्व का सबसे बड़ा रबर उत्पादक देश है, जबकि इंडोनेशिया और मलेशिया क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
- उभरते उत्पादक: हाल के वर्षों में वियतनाम और भारत भी रबर उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। भारत ने त्रिपुरा और केरल में रबर बागान स्थापित किए हैं, जिससे इसकी उत्पादन क्षमता में वृद्धि हुई है।
पर्यावरणीय मुद्दे:
- वनों की कटाई: रबर के बागान के लिए उपयुक्त भूमि प्राप्त करने हेतु बड़े पैमाने पर वनों की कटाई की जाती है। इंडोनेशिया और मलेशिया में रबर बागान विस्तार के कारण उष्णकटिबंधीय वर्षावनों का नुकसान हुआ है, जिससे जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित हुए हैं।
- मृदा क्षति और जल प्रदूषण: रबर बागान के लिए मृदा की कटाई और कीटनाशकों का उपयोग मृदा के स्वास्थ्य और जल स्रोतों को प्रभावित करता है। थाईलैंड में रबर बागानों से संबंधित जल प्रदूषण और मृदा क्षति की घटनाएँ देखी गई हैं।
- वायु प्रदूषण: रबर बागानों की सफाई और प्लांटेशन के लिए जलाने की प्रक्रियाएँ वायु प्रदूषण का कारण बनती हैं। इंडोनेशिया में इस प्रक्रिया से धुंध और वायु प्रदूषण की समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं, जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को प्रभावित करती हैं।
- सामाजिक और आर्थिक प्रभाव: रबर उत्पादन के लिए भूमि अधिग्रहण और मजदूरी की समस्याएँ स्थानीय समुदायों को प्रभावित करती हैं। मलेशिया और थाईलैंड में छोटे किसानों की समस्याएँ और भूमि अधिकारों की कमी जैसी चुनौतियाँ सामने आई हैं।
निष्कर्ष: रबर उत्पादक देशों में रबर के व्यापक उत्पादन से पर्यावरणीय चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं, जिनमें वन कटाई, मृदा और जल प्रदूषण, और वायु प्रदूषण शामिल हैं। सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के उपायों को अपनाकर इन मुद्दों का समाधान किया जा सकता है।
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वर्तमान संदर्भ में दक्षिणी चीन सागर का भू-राजनीतिक महत्त्व
भू-राजनीतिक महत्त्व
दक्षिणी चीन सागर (South China Sea) का भू-राजनीतिक महत्त्व वर्तमान में कई कारणों से बढ़ गया है। यह क्षेत्र न केवल समृद्ध मछली संसाधनों का घर है, बल्कि इसमें महत्वपूर्ण ऊर्जा संसाधन भी पाए जाते हैं, जैसे कि तेल और प्राकृतिक गैस।
संप्रभुत्व विवाद
दक्षिणी चीन सागर में संप्रभुत्व विवाद कई देशों के बीच हैं, विशेषकर चीन, वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया और ब्रुनेई के बीच। चीन ने “नाइन डैश लाइन” के आधार पर इस क्षेत्र पर अपना दावा किया है, जो अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून के तहत विवादित है।
मूल्यवान नौवहन मार्ग
यह सागर वैश्विक नौवहन के लिए एक प्रमुख मार्ग है। दुनिया के समुद्री व्यापार का एक बड़ा हिस्सा इस क्षेत्र से होकर गुजरता है, जिससे इसे एक महत्वपूर्ण सामरिक क्षेत्र बना दिया है।
हालिया उदाहरण
चीन द्वारा हाल ही में कृत्रिम द्वीपों का निर्माण और उनके सैन्यकरण ने इस विवाद को और अधिक जटिल बना दिया है। 2020 में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने इस क्षेत्र में नौसैनिक अभ्यास किए, जिससे तनाव और बढ़ गया।
इस प्रकार, दक्षिणी चीन सागर का भू-राजनीतिक महत्त्व वैश्विक व्यापार, ऊर्जा संसाधनों, और क्षेत्रीय सुरक्षा के संदर्भ में अत्यधिक बढ़ गया है, जो इसे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बना देता है।
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