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वर्तमान संदर्भ में दक्षिणी चीन सागर का भू-राजनीतिक महत्त्व बहुत बढ़ गया है। टिप्पणी कीजिए। (200 words) [UPSC 2016]
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वर्तमान संदर्भ में दक्षिणी चीन सागर का भू-राजनीतिक महत्त्व
भू-राजनीतिक महत्त्व
दक्षिणी चीन सागर (South China Sea) का भू-राजनीतिक महत्त्व वर्तमान में कई कारणों से बढ़ गया है। यह क्षेत्र न केवल समृद्ध मछली संसाधनों का घर है, बल्कि इसमें महत्वपूर्ण ऊर्जा संसाधन भी पाए जाते हैं, जैसे कि तेल और प्राकृतिक गैस।
संप्रभुत्व विवाद
दक्षिणी चीन सागर में संप्रभुत्व विवाद कई देशों के बीच हैं, विशेषकर चीन, वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया और ब्रुनेई के बीच। चीन ने “नाइन डैश लाइन” के आधार पर इस क्षेत्र पर अपना दावा किया है, जो अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून के तहत विवादित है।
मूल्यवान नौवहन मार्ग
यह सागर वैश्विक नौवहन के लिए एक प्रमुख मार्ग है। दुनिया के समुद्री व्यापार का एक बड़ा हिस्सा इस क्षेत्र से होकर गुजरता है, जिससे इसे एक महत्वपूर्ण सामरिक क्षेत्र बना दिया है।
हालिया उदाहरण
चीन द्वारा हाल ही में कृत्रिम द्वीपों का निर्माण और उनके सैन्यकरण ने इस विवाद को और अधिक जटिल बना दिया है। 2020 में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने इस क्षेत्र में नौसैनिक अभ्यास किए, जिससे तनाव और बढ़ गया।
इस प्रकार, दक्षिणी चीन सागर का भू-राजनीतिक महत्त्व वैश्विक व्यापार, ऊर्जा संसाधनों, और क्षेत्रीय सुरक्षा के संदर्भ में अत्यधिक बढ़ गया है, जो इसे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बना देता है।
See lessआर्थिक विकास के चालक के रूप में आर्कटिक क्षेत्र में स्थित प्राकृतिक संसाधनों की क्षमता पर चर्चा कीजिए। साथ ही, उनके दोहन के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों पर भी विचार कीजिए।(250 शब्दों में उत्तर दें)
आर्कटिक क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों की समृद्धि आर्थिक विकास के एक महत्वपूर्ण चालक के रूप में उभरी है। इस क्षेत्र में तेल, गैस, खनिज, और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की विशाल मात्रा है, जो वैश्विक ऊर्जा और खनिज आपूर्ति को बढ़ाने की संभावना प्रदान करती है। आर्कटिक के सीसामानिक क्षेत्र में विशाल तेल और गRead more
आर्कटिक क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों की समृद्धि आर्थिक विकास के एक महत्वपूर्ण चालक के रूप में उभरी है। इस क्षेत्र में तेल, गैस, खनिज, और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की विशाल मात्रा है, जो वैश्विक ऊर्जा और खनिज आपूर्ति को बढ़ाने की संभावना प्रदान करती है। आर्कटिक के सीसामानिक क्षेत्र में विशाल तेल और गैस के भंडार हैं, जो ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसके अतिरिक्त, खनिज जैसे कि प्लेटिनम, चांदी, और तांबा, जो आर्कटिक में पाए जाते हैं, वैश्विक बाजार में महत्वपूर्ण हैं।
हालांकि, इन संसाधनों का दोहन पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण से कई चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है। पर्यावरणीय दृष्टिकोण से, आर्कटिक क्षेत्र की नाजुक पारिस्थितिक तंत्र अत्यधिक संवेदनशील हैं। तेल और गैस के रिसाव, खनन गतिविधियों से प्रदूषण, और जलवायु परिवर्तन की गति को तेज करने के परिणामस्वरूप, आर्कटिक पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर क्षति हो सकती है। ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्री जीवन पर असर, और स्थायी वन्य जीवों का खतरा इन प्रभावों में शामिल हैं।
सामाजिक दृष्टिकोण से, आर्कटिक संसाधनों का दोहन स्थानीय स्वदेशी समुदायों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। ये समुदाय पारंपरिक जीवनशैली पर निर्भर होते हैं, और संसाधन खनन से उनकी भूमि और सांस्कृतिक स्थल प्रभावित हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
इसलिए, आर्कटिक क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करते समय, सतत विकास के सिद्धांतों और पर्यावरणीय संरक्षण को प्राथमिकता देना आवश्यक है। इसके लिए प्रभावी नियामक ढांचे, पारदर्शिता, और स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होगा।
See lessहिमालय की वर्तमान अपवाह प्रणाली काफी हद तक क्रमिक नदी अपहरण का परिणाम है। चर्चा कीजिए। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
हिमालय की वर्तमान अपवाह प्रणाली में क्रमिक नदी अपहरण (river capture) की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह प्रक्रिया तब होती है जब एक नदी या नदी प्रणाली एक अन्य नदी की जलधारा को अपने प्रवाह में शामिल कर लेती है, जिससे नदी का मार्ग और अपवाह क्षेत्र बदल जाता है। हिमालय में, टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों औRead more
हिमालय की वर्तमान अपवाह प्रणाली में क्रमिक नदी अपहरण (river capture) की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह प्रक्रिया तब होती है जब एक नदी या नदी प्रणाली एक अन्य नदी की जलधारा को अपने प्रवाह में शामिल कर लेती है, जिससे नदी का मार्ग और अपवाह क्षेत्र बदल जाता है।
हिमालय में, टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों और ऊँचाई में बदलाव के कारण, कई मौजूदा नदियाँ और उनकी धारा प्रकट हुईं। उदाहरण के लिए, सिंधु नदी प्रणाली ने कभी एक समय में पश्चिमी हिमालय से बहती नदियों की जलधारा को अपहृत किया। इसी तरह, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियाँ भी अपने मौजूदा मार्ग में विभिन्न नदी प्रणालियों को अपने में समाहित करती गईं।
इन क्रमिक अपहरण प्रक्रियाओं ने हिमालय की नदी प्रणाली को जटिल और विविध बना दिया है, और इसके परिणामस्वरूप क्षेत्रीय जलवायु, बाढ़ की घटनाओं और भूगोल में महत्वपूर्ण बदलाव आया है।
See lessविश्व में खनिज तेल के असमान वितरण के बहुआयामी प्रभावों की विवेचना कीजिए । (250 words) [UPSC 2021]
विश्व में खनिज तेल के असमान वितरण के बहुआयामी प्रभाव आर्थिक असमानताएँ: आय में विषमताएँ: खनिज तेल के असमान वितरण ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में आर्थिक विषमताएँ पैदा की हैं। मध्य पूर्व, जैसे कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात, में खनिज तेल की प्रचुरता ने इन देशों को अत्यधिक समृद्ध बनाया, जबकि अफ्रीका और दRead more
विश्व में खनिज तेल के असमान वितरण के बहुआयामी प्रभाव
आर्थिक असमानताएँ:
राजनीतिक और सामरिक प्रभाव:
पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव:
ऊर्जा सुरक्षा और वैकल्पिक ऊर्जा:
निष्कर्ष:
खनिज तेल का असमान वितरण वैश्विक आर्थिक, राजनीतिक, पर्यावरणीय, और सामाजिक परिदृश्यों पर व्यापक प्रभाव डालता है। यह आर्थिक विषमताओं, राजनीतिक संघर्षों, और पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म देता है, साथ ही ऊर्जा सुरक्षा और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की दिशा में नवाचार की आवश्यकता को भी उजागर करता है।
See lessरबर उत्पादक देशों के वितरण का वर्णन करते हुए उनके द्वारा सामना किए जाने वाले प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों को इंगित कीजिए। (250 words) [UPSC 2022]
रबर उत्पादक देशों का वितरण और पर्यावरणीय मुद्दे रबर उत्पादक देशों का वितरण: मुख्य उत्पादक क्षेत्र: दक्षिण-पूर्व एशिया रबर उत्पादन में अग्रणी है, जिसमें थाईलैंड, इंडोनेशिया, और मलेशिया प्रमुख उत्पादक देश हैं। ये देश विश्व के कुल रबर उत्पादन का अधिकांश हिस्सा आपूर्ति करते हैं। थाईलैंड अकेला विश्व का सRead more
रबर उत्पादक देशों का वितरण और पर्यावरणीय मुद्दे
रबर उत्पादक देशों का वितरण:
पर्यावरणीय मुद्दे:
निष्कर्ष: रबर उत्पादक देशों में रबर के व्यापक उत्पादन से पर्यावरणीय चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं, जिनमें वन कटाई, मृदा और जल प्रदूषण, और वायु प्रदूषण शामिल हैं। सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के उपायों को अपनाकर इन मुद्दों का समाधान किया जा सकता है।
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