वर्तमान संदर्भ में दक्षिणी चीन सागर का भू-राजनीतिक महत्त्व बहुत बढ़ गया है। टिप्पणी कीजिए। (200 words) [UPSC 2016]
आर्कटिक क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों की समृद्धि आर्थिक विकास के एक महत्वपूर्ण चालक के रूप में उभरी है। इस क्षेत्र में तेल, गैस, खनिज, और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की विशाल मात्रा है, जो वैश्विक ऊर्जा और खनिज आपूर्ति को बढ़ाने की संभावना प्रदान करती है। आर्कटिक के सीसामानिक क्षेत्र में विशाल तेल और गRead more
आर्कटिक क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों की समृद्धि आर्थिक विकास के एक महत्वपूर्ण चालक के रूप में उभरी है। इस क्षेत्र में तेल, गैस, खनिज, और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की विशाल मात्रा है, जो वैश्विक ऊर्जा और खनिज आपूर्ति को बढ़ाने की संभावना प्रदान करती है। आर्कटिक के सीसामानिक क्षेत्र में विशाल तेल और गैस के भंडार हैं, जो ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसके अतिरिक्त, खनिज जैसे कि प्लेटिनम, चांदी, और तांबा, जो आर्कटिक में पाए जाते हैं, वैश्विक बाजार में महत्वपूर्ण हैं।
हालांकि, इन संसाधनों का दोहन पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण से कई चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है। पर्यावरणीय दृष्टिकोण से, आर्कटिक क्षेत्र की नाजुक पारिस्थितिक तंत्र अत्यधिक संवेदनशील हैं। तेल और गैस के रिसाव, खनन गतिविधियों से प्रदूषण, और जलवायु परिवर्तन की गति को तेज करने के परिणामस्वरूप, आर्कटिक पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर क्षति हो सकती है। ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्री जीवन पर असर, और स्थायी वन्य जीवों का खतरा इन प्रभावों में शामिल हैं।
सामाजिक दृष्टिकोण से, आर्कटिक संसाधनों का दोहन स्थानीय स्वदेशी समुदायों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। ये समुदाय पारंपरिक जीवनशैली पर निर्भर होते हैं, और संसाधन खनन से उनकी भूमि और सांस्कृतिक स्थल प्रभावित हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
इसलिए, आर्कटिक क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करते समय, सतत विकास के सिद्धांतों और पर्यावरणीय संरक्षण को प्राथमिकता देना आवश्यक है। इसके लिए प्रभावी नियामक ढांचे, पारदर्शिता, और स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होगा।
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वर्तमान संदर्भ में दक्षिणी चीन सागर का भू-राजनीतिक महत्त्व
भू-राजनीतिक महत्त्व
दक्षिणी चीन सागर (South China Sea) का भू-राजनीतिक महत्त्व वर्तमान में कई कारणों से बढ़ गया है। यह क्षेत्र न केवल समृद्ध मछली संसाधनों का घर है, बल्कि इसमें महत्वपूर्ण ऊर्जा संसाधन भी पाए जाते हैं, जैसे कि तेल और प्राकृतिक गैस।
संप्रभुत्व विवाद
दक्षिणी चीन सागर में संप्रभुत्व विवाद कई देशों के बीच हैं, विशेषकर चीन, वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया और ब्रुनेई के बीच। चीन ने “नाइन डैश लाइन” के आधार पर इस क्षेत्र पर अपना दावा किया है, जो अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून के तहत विवादित है।
मूल्यवान नौवहन मार्ग
यह सागर वैश्विक नौवहन के लिए एक प्रमुख मार्ग है। दुनिया के समुद्री व्यापार का एक बड़ा हिस्सा इस क्षेत्र से होकर गुजरता है, जिससे इसे एक महत्वपूर्ण सामरिक क्षेत्र बना दिया है।
हालिया उदाहरण
चीन द्वारा हाल ही में कृत्रिम द्वीपों का निर्माण और उनके सैन्यकरण ने इस विवाद को और अधिक जटिल बना दिया है। 2020 में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने इस क्षेत्र में नौसैनिक अभ्यास किए, जिससे तनाव और बढ़ गया।
इस प्रकार, दक्षिणी चीन सागर का भू-राजनीतिक महत्त्व वैश्विक व्यापार, ऊर्जा संसाधनों, और क्षेत्रीय सुरक्षा के संदर्भ में अत्यधिक बढ़ गया है, जो इसे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बना देता है।
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