प्रश्न का उत्तर अधिकतम 200 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 11 अंक का है। [MPPSC 2023] शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवाों के जीवनचक्र की अवस्थाओं को समझाइये ।
1. ऊष्मा की कमी: उष्णकटिबंधीय चक्रवात समुद्र की सतह से ऊष्मा और नमी प्राप्त करते हैं। जब ये चक्रवात स्थलीय भागों पर पहुँचते हैं, तो इनका ऊष्मा और नमी का स्रोत समाप्त हो जाता है, जिससे तूफान की ऊर्जा और इंटेन्सिटी घट जाती है। 2. वृक्षों और अन्य बाधाएँ: स्थलीय भागों पर पहुंचते ही, चक्रवात धरती पर उपस्Read more
1. ऊष्मा की कमी: उष्णकटिबंधीय चक्रवात समुद्र की सतह से ऊष्मा और नमी प्राप्त करते हैं। जब ये चक्रवात स्थलीय भागों पर पहुँचते हैं, तो इनका ऊष्मा और नमी का स्रोत समाप्त हो जाता है, जिससे तूफान की ऊर्जा और इंटेन्सिटी घट जाती है।
2. वृक्षों और अन्य बाधाएँ: स्थलीय भागों पर पहुंचते ही, चक्रवात धरती पर उपस्थित वनों, भौगोलिक रुकावटों, और स्थल की ऊँचाइयों के संपर्क में आता है। ये बाधाएँ वातावरणीय प्रवाह को अस्थिर करती हैं, जिससे चक्रवात की धारा कमजोर हो जाती है।
3. नमी की कमी: स्थलीय क्षेत्रों में वातावरणीय नमी की कमी होती है, जो चक्रवात के लिए आवश्यक होती है। उदाहरण के तौर पर, चक्रवात अम्फान (2020) ने बांग्लादेश और भारत के स्थलीय हिस्सों में पहुँचने के बाद अपनी तूफानी ताकत खो दी थी।
4. विवर्तन और घर्षण: स्थलीय क्षेत्रों पर घर्षण की अधिकता के कारण, चक्रवात की वातावरणीय संरचना में अस्थिरता आती है, जिससे इसके चक्रवातीय बल कमजोर हो जाते हैं।
निष्कर्ष: उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की स्थलीय भागों पर पहुँचने के बाद ऊष्मा और नमी की कमी, भौगोलिक रुकावटें, और घर्षण के कारण ये धीरे-धीरे क्षीण हो जाते हैं।
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शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों के जीवनचक्र की अवस्थाएँ शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवात, जिन्हें मध्य-अक्षांशीय चक्रवात भी कहा जाता है, वे महत्वपूर्ण मौसमी प्रणालियाँ हैं जो मुख्य रूप से मध्य अक्षांशों में विकसित होती हैं। इनका जीवनचक्र विभिन्न अवस्थाओं में बाँटा जा सकता है। निम्नलिखित में इन अवस्थाओं का विस्Read more
शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों के जीवनचक्र की अवस्थाएँ
शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवात, जिन्हें मध्य-अक्षांशीय चक्रवात भी कहा जाता है, वे महत्वपूर्ण मौसमी प्रणालियाँ हैं जो मुख्य रूप से मध्य अक्षांशों में विकसित होती हैं। इनका जीवनचक्र विभिन्न अवस्थाओं में बाँटा जा सकता है। निम्नलिखित में इन अवस्थाओं का विस्तृत विवरण और हालिया उदाहरण दिए गए हैं:
1. चक्रवात का निर्माण (Cyclogenesis):
विवरण: इस अवस्था में एक निम्न दबाव क्षेत्र बनता है, जो विभिन्न वायु द्रव्यमानों के आपसी संपर्क के कारण उत्पन्न होता है। इसमें ठंडी और गर्म वायु द्रव्यमानों का मिलन एक चक्रवात को जन्म देता है।
उदाहरण: फरवरी 2018 में ‘बीस्ट फ्रॉम द ईस्ट’ का उदाहरण लिया जा सकता है। यह चक्रवात सायबेरिया से आई ठंडी हवा और अटलांटिक महासागर से आई गर्म हवा के मिलन से विकसित हुआ, जिससे यूरोप में गंभीर मौसम की स्थिति बनी।
2. परिपक्व अवस्था (Mature Stage):
विवरण: इस अवस्था में चक्रवात अपनी अधिकतम तीव्रता तक पहुँच जाता है और इसमें स्पष्ट निम्न दबाव क्षेत्र, गर्म और ठंडी मोर्चों की भिन्नता देखी जाती है। यह अवस्था तेज हवाओं, भारी वर्षा, और सुव्यवस्थित बादल के पैटर्न द्वारा चिह्नित होती है।
उदाहरण: फरवरी 2020 में ‘स्टॉर्म सिआरा’ इसका एक अच्छा उदाहरण है। अपनी परिपक्व अवस्था के दौरान, स्टॉर्म सिआरा ने यूके और यूरोप के विभिन्न हिस्सों में भारी वर्षा और तेज हवाएँ लाई, जो इसके पूर्ण विकसित संरचना को दर्शाती हैं।
3. ऑक्लूज़न (Occlusion):
विवरण: इस अवस्था में ठंडी मोर्चा गर्म मोर्चा को ओवरटेक कर लेता है, जिससे गर्म वायु द्रव्यमान और ठंडी वायु द्रव्यमान मिल जाते हैं। इससे चक्रवात की तीव्रता में कमी आती है क्योंकि इसका ऊर्जा स्रोत समाप्त होने लगता है।
उदाहरण: फरवरी 2020 में ‘स्टॉर्म डेनिस’ इस प्रक्रिया का एक अच्छा उदाहरण है। स्टॉर्म डेनिस ने स्टॉर्म सिआरा के बाद अपनी ऑक्लूज़न अवस्था में भी बाढ़ और तेज हवाएँ लाई, लेकिन इसकी तीव्रता कम होने लगी।
4. विलुप्ति (Dissipation):
विवरण: इस अवस्था में चक्रवात अपनी ऊर्जा खो देता है और वायु द्रव्यमानों के बीच तापमान अंतर कम हो जाता है। यह प्रणाली कमजोर हो जाती है और अंततः विलुप्त हो जाती है, जिससे एक विस्तृत निम्न दबाव क्षेत्र और कम मौसम गतिविधि रहती है।
उदाहरण: ‘हुरिकेन डोरियन’ (हालांकि यह एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात है) इस अवस्था का एक तुलनात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है। जब यह उत्तर की ओर बढ़ा और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र में तब्दील हो गया, तो इसकी तीव्रता में कमी आई और अंततः यह एक कम संगठित निम्न दबाव प्रणाली में बदल गया।
निष्कर्ष
शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों के जीवनचक्र की अवस्थाओं को समझना मौसम की भविष्यवाणी और चक्रवातों के प्रभावों को कम करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्टॉर्म सिआरा और स्टॉर्म डेनिस जैसे हालिया उदाहरण इन अवस्थाओं की पहचान और तैयारी में सहायक होते हैं।
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