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शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवाों के जीवनचक्र की अवस्थाओं को समझाइये ।
शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों के जीवनचक्र की अवस्थाएँ शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवात, जिन्हें मध्य-अक्षांशीय चक्रवात भी कहा जाता है, वे महत्वपूर्ण मौसमी प्रणालियाँ हैं जो मुख्य रूप से मध्य अक्षांशों में विकसित होती हैं। इनका जीवनचक्र विभिन्न अवस्थाओं में बाँटा जा सकता है। निम्नलिखित में इन अवस्थाओं का विस्Read more
शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों के जीवनचक्र की अवस्थाएँ
शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवात, जिन्हें मध्य-अक्षांशीय चक्रवात भी कहा जाता है, वे महत्वपूर्ण मौसमी प्रणालियाँ हैं जो मुख्य रूप से मध्य अक्षांशों में विकसित होती हैं। इनका जीवनचक्र विभिन्न अवस्थाओं में बाँटा जा सकता है। निम्नलिखित में इन अवस्थाओं का विस्तृत विवरण और हालिया उदाहरण दिए गए हैं:
1. चक्रवात का निर्माण (Cyclogenesis):
विवरण: इस अवस्था में एक निम्न दबाव क्षेत्र बनता है, जो विभिन्न वायु द्रव्यमानों के आपसी संपर्क के कारण उत्पन्न होता है। इसमें ठंडी और गर्म वायु द्रव्यमानों का मिलन एक चक्रवात को जन्म देता है।
उदाहरण: फरवरी 2018 में ‘बीस्ट फ्रॉम द ईस्ट’ का उदाहरण लिया जा सकता है। यह चक्रवात सायबेरिया से आई ठंडी हवा और अटलांटिक महासागर से आई गर्म हवा के मिलन से विकसित हुआ, जिससे यूरोप में गंभीर मौसम की स्थिति बनी।
2. परिपक्व अवस्था (Mature Stage):
विवरण: इस अवस्था में चक्रवात अपनी अधिकतम तीव्रता तक पहुँच जाता है और इसमें स्पष्ट निम्न दबाव क्षेत्र, गर्म और ठंडी मोर्चों की भिन्नता देखी जाती है। यह अवस्था तेज हवाओं, भारी वर्षा, और सुव्यवस्थित बादल के पैटर्न द्वारा चिह्नित होती है।
उदाहरण: फरवरी 2020 में ‘स्टॉर्म सिआरा’ इसका एक अच्छा उदाहरण है। अपनी परिपक्व अवस्था के दौरान, स्टॉर्म सिआरा ने यूके और यूरोप के विभिन्न हिस्सों में भारी वर्षा और तेज हवाएँ लाई, जो इसके पूर्ण विकसित संरचना को दर्शाती हैं।
3. ऑक्लूज़न (Occlusion):
विवरण: इस अवस्था में ठंडी मोर्चा गर्म मोर्चा को ओवरटेक कर लेता है, जिससे गर्म वायु द्रव्यमान और ठंडी वायु द्रव्यमान मिल जाते हैं। इससे चक्रवात की तीव्रता में कमी आती है क्योंकि इसका ऊर्जा स्रोत समाप्त होने लगता है।
उदाहरण: फरवरी 2020 में ‘स्टॉर्म डेनिस’ इस प्रक्रिया का एक अच्छा उदाहरण है। स्टॉर्म डेनिस ने स्टॉर्म सिआरा के बाद अपनी ऑक्लूज़न अवस्था में भी बाढ़ और तेज हवाएँ लाई, लेकिन इसकी तीव्रता कम होने लगी।
4. विलुप्ति (Dissipation):
विवरण: इस अवस्था में चक्रवात अपनी ऊर्जा खो देता है और वायु द्रव्यमानों के बीच तापमान अंतर कम हो जाता है। यह प्रणाली कमजोर हो जाती है और अंततः विलुप्त हो जाती है, जिससे एक विस्तृत निम्न दबाव क्षेत्र और कम मौसम गतिविधि रहती है।
उदाहरण: ‘हुरिकेन डोरियन’ (हालांकि यह एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात है) इस अवस्था का एक तुलनात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है। जब यह उत्तर की ओर बढ़ा और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र में तब्दील हो गया, तो इसकी तीव्रता में कमी आई और अंततः यह एक कम संगठित निम्न दबाव प्रणाली में बदल गया।
निष्कर्ष
शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों के जीवनचक्र की अवस्थाओं को समझना मौसम की भविष्यवाणी और चक्रवातों के प्रभावों को कम करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्टॉर्म सिआरा और स्टॉर्म डेनिस जैसे हालिया उदाहरण इन अवस्थाओं की पहचान और तैयारी में सहायक होते हैं।
See less"उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति सागरीय भागों पर होती है एवं स्थलीय भागों पर पहुँचते ही ये तूफान धीरे-धीरे क्षीण होकर खत्म हो जाते हैं।" कारण सहित स्पष्ट करें। (125 Words) [UPPSC 2019]
1. ऊष्मा की कमी: उष्णकटिबंधीय चक्रवात समुद्र की सतह से ऊष्मा और नमी प्राप्त करते हैं। जब ये चक्रवात स्थलीय भागों पर पहुँचते हैं, तो इनका ऊष्मा और नमी का स्रोत समाप्त हो जाता है, जिससे तूफान की ऊर्जा और इंटेन्सिटी घट जाती है। 2. वृक्षों और अन्य बाधाएँ: स्थलीय भागों पर पहुंचते ही, चक्रवात धरती पर उपस्Read more
1. ऊष्मा की कमी: उष्णकटिबंधीय चक्रवात समुद्र की सतह से ऊष्मा और नमी प्राप्त करते हैं। जब ये चक्रवात स्थलीय भागों पर पहुँचते हैं, तो इनका ऊष्मा और नमी का स्रोत समाप्त हो जाता है, जिससे तूफान की ऊर्जा और इंटेन्सिटी घट जाती है।
2. वृक्षों और अन्य बाधाएँ: स्थलीय भागों पर पहुंचते ही, चक्रवात धरती पर उपस्थित वनों, भौगोलिक रुकावटों, और स्थल की ऊँचाइयों के संपर्क में आता है। ये बाधाएँ वातावरणीय प्रवाह को अस्थिर करती हैं, जिससे चक्रवात की धारा कमजोर हो जाती है।
3. नमी की कमी: स्थलीय क्षेत्रों में वातावरणीय नमी की कमी होती है, जो चक्रवात के लिए आवश्यक होती है। उदाहरण के तौर पर, चक्रवात अम्फान (2020) ने बांग्लादेश और भारत के स्थलीय हिस्सों में पहुँचने के बाद अपनी तूफानी ताकत खो दी थी।
4. विवर्तन और घर्षण: स्थलीय क्षेत्रों पर घर्षण की अधिकता के कारण, चक्रवात की वातावरणीय संरचना में अस्थिरता आती है, जिससे इसके चक्रवातीय बल कमजोर हो जाते हैं।
निष्कर्ष: उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की स्थलीय भागों पर पहुँचने के बाद ऊष्मा और नमी की कमी, भौगोलिक रुकावटें, और घर्षण के कारण ये धीरे-धीरे क्षीण हो जाते हैं।
See lessचक्रवात क्या है? शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के उत्पत्ति के कारणों की व्याख्या कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
चक्रवात: परिभाषा और शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के उत्पत्ति के कारण चक्रवात एक वायुमंडलीय प्रणाली है जिसमें लो प्रेशर के चारों ओर हवा घूमती है, जिससे विवर्तन और वायु की गति बढ़ जाती है। यह वायुमंडलीय दबाव के निम्न स्तर पर केंद्रित होता है और इसमें मूसलधार बारिश, उच्च हवाएं, और सूनामी जैसी खतरनाक स्थिRead more
चक्रवात: परिभाषा और शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के उत्पत्ति के कारण
चक्रवात एक वायुमंडलीय प्रणाली है जिसमें लो प्रेशर के चारों ओर हवा घूमती है, जिससे विवर्तन और वायु की गति बढ़ जाती है। यह वायुमंडलीय दबाव के निम्न स्तर पर केंद्रित होता है और इसमें मूसलधार बारिश, उच्च हवाएं, और सूनामी जैसी खतरनाक स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं।
शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों का उदय मुख्यतः निम्नलिखित कारणों से होता है:
निष्कर्ष: शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति जटिल वायुमंडलीय प्रक्रियाओं, तापीय असंतुलन, फ्रंटल गतिविधियों, जेट स्ट्रीम, और कोरिओलिस प्रभाव के संयोजन से होती है। ये चक्रवात विभिन्न जलवायु स्थितियों को प्रभावित करते हैं और अक्सर प्राकृतिक आपदाओं का कारण बनते हैं।
See lessउष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों की उत्पत्ति के कारण, संरचना तथा सम्बन्धित मौसम का वर्णन कीजिए। (200 Words) [UPPSC 2022]
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों की उत्पत्ति के कारण, संरचना तथा सम्बन्धित मौसम उत्पत्ति के कारण: उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों की उत्पत्ति के लिए आवश्यक हैं: गर्म समुद्री जल: उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों की उत्पत्ति के लिए समुद्री जल का सामान्य ताप 26.5°C (80°F) से अधिक होना चाहिए। द्रविता-प्रवाह: उच्च स्तर का वायुRead more
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों की उत्पत्ति के कारण, संरचना तथा सम्बन्धित मौसम
उत्पत्ति के कारण:
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों की उत्पत्ति के लिए आवश्यक हैं:
संरचना:
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात की संरचना में प्रमुख भाग हैं:
सम्बन्धित मौसम:
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों से जुड़े मौसम में शामिल हैं:
शीतोष्ण चक्रवात पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। यह भारत को कैसे प्रभावित करता है ? (200 Words) [UPPSC 2023]
शीतोष्ण चक्रवात: संक्षिप्त टिप्पणी और भारत पर प्रभाव शीतोष्ण चक्रवात (Temperate Cyclone) आमतौर पर उत्तरी अक्षांशों में विकसित होते हैं और मध्य वायुमंडल में कम दबाव के कारण बनते हैं। ये चक्रवात सर्दियों में मध्य और उच्च अक्षांशों में होते हैं, और इनकी प्रमुख विशेषताएँ गति, दिशा और वायवीय विशेषताएँ होRead more
शीतोष्ण चक्रवात: संक्षिप्त टिप्पणी और भारत पर प्रभाव
शीतोष्ण चक्रवात (Temperate Cyclone) आमतौर पर उत्तरी अक्षांशों में विकसित होते हैं और मध्य वायुमंडल में कम दबाव के कारण बनते हैं। ये चक्रवात सर्दियों में मध्य और उच्च अक्षांशों में होते हैं, और इनकी प्रमुख विशेषताएँ गति, दिशा और वायवीय विशेषताएँ होती हैं।
1. वातावरणीय प्रभाव: शीतोष्ण चक्रवात हवा के कम दबाव के कारण प्रवण वायु और मॉनसून की ओर उन्मुख होते हैं। इससे वर्षा और ठंडी हवाएं उत्पन्न होती हैं।
2. भूगोलिक प्रभाव: भारत के उत्तरी और पूर्वी तटों पर, जैसे उड़ीसा और बंगाल की खाड़ी में, शीतोष्ण चक्रवात से तटीय क्षेत्रों में भारी बारिश, बाढ़ और तूफान की स्थिति उत्पन्न होती है। यह फसलों को नुकसान पहुंचाता है और आवश्यक सेवाओं को बाधित करता है।
3. आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: इन चक्रवातों से जन जीवन, आर्थिक गतिविधियाँ और परिवहन प्रणाली प्रभावित होती हैं। आपदाओं के बाद मरम्मत कार्य और सहायता प्रयास में वेतन और संसाधनों का बहुत अधिक खर्च होता है।
निष्कर्ष: शीतोष्ण चक्रवात भारत में मौसम और जलवायु पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं, विशेषकर तटीय क्षेत्रों में। इनके वातावरणीय और आर्थिक प्रभाव को समझना और संबंधित तैयारी आवश्यक है ताकि प्राकृतिक आपदाओं से कम से कम नुकसान हो सके।
See lessउष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति के लिए अनुकूल परिस्थितियों को सूचीबद्ध कीजिए। साथ ही, उष्णकटिबंधीय और शीतोष्ण चक्रवातों के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ: गर्म समुद्र का तापमान: समुद्री सतह का तापमान 26.5°C से अधिक होना चाहिए, जो वाष्पीकरण को बढ़ाता है और ऊर्जा प्रदान करता है। उच्च आर्द्रता: वायुमंडल में उच्च आर्द्रता की आवश्यकता होती है, जिससे बादल और संघनन की प्रक्रिया को प्रोत्साहन मिलतRead more
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ:
उष्णकटिबंधीय और शीतोष्ण चक्रवातों के बीच अंतर:
वाताग्र जनन के लिए आवश्यक शर्तों की विवेचना कीजिए और वाताग्रों के वैश्विक वितरण प्रतिरूप का विवरण दीजिए। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
वाताग्र जनन के लिए आवश्यक शर्तें: ऊष्मा: वायुमंडल में ऊष्मा की उचितता जरूरी है। नमी: वायुमंडल में उचित नमी की मात्रा का होना चाहिए। दाब: वायुमंडल में उचित दाब का होना महत्वपूर्ण है। अल्पकृत्य: वायुमंडल में अल्पकृत्य की उपस्थिति आवश्यक है। वाताग्रों के वैश्विक वितरण का विवरण: वैश्विक समाप्ति: वाताग्रRead more
वाताग्र जनन के लिए आवश्यक शर्तें:
वाताग्रों के वैश्विक वितरण का विवरण:
वाताग्र के वैश्विक वितरण ने मौसम और जलवायु परिवर्तन को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह मानवीय गतिविधियों को प्रभावित करने में मदद करता है।
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