One of the main second-generation issues of the green revolution is the decline in soil health. Support the assertion with evidence. [Answer Limit: 250 words] [UKPSC 2012]
भारतीय स्पेस प्रोग्राम, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा संचालित किया जाता है, भारत की विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियों का प्रतीक है। इसकी स्थापना 1969 में हुई थी, और तब से यह देश को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अग्रसर है। ###Read more
भारतीय स्पेस प्रोग्राम, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा संचालित किया जाता है, भारत की विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियों का प्रतीक है। इसकी स्थापना 1969 में हुई थी, और तब से यह देश को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अग्रसर है।
### विकास की यात्रा:
भारतीय स्पेस प्रोग्राम की शुरुआत छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण से हुई थी। 1975 में “आर्यभट्ट” का प्रक्षेपण भारत का पहला उपग्रह था, जिसने देश को अंतरिक्ष अनुसंधान की दुनिया में प्रवेश दिलाया। इसके बाद, ISRO ने कई सफल प्रक्षेपण किए, जैसे कि PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle) और GSLV (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle), जो भारत को अपने उपग्रहों को विभिन्न कक्षाओं में प्रक्षिप्त करने की क्षमता प्रदान करते हैं।
### उपलब्धियाँ:
ISRO ने कई महत्वपूर्ण उपग्रहों को विकसित किया, जिनमें संचार, मौसम, और दूरदर्शन के लिए उपग्रह शामिल हैं। “मंगलयान” (Mars Orbiter Mission) का सफल प्रक्षेपण 2013 में भारत को मंगल पर पहुंचाने वाला पहला एशियाई देश बना। यह मिशन न केवल तकनीकी सफलता थी, बल्कि भारत की अंतरिक्ष तकनीक की कुशलता का भी परिचायक था।
### भविष्य की दिशा:
ISRO वर्तमान में “गगनयान” मिशन पर कार्य कर रहा है, जो भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन होगा। इसके अलावा, भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान में सहयोग और साझेदारी बढ़ाने के लिए अन्य देशों के साथ सहयोग शुरू किया है।
### निष्कर्ष:
भारतीय स्पेस प्रोग्राम ने न केवल तकनीकी प्रगति में योगदान दिया है, बल्कि देश की आर्थिक और सामाजिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह भविष्य में भी अनुसंधान, विकास, और नवाचार के क्षेत्र में आगे बढ़ता रहेगा।
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अभिवृत्ति की संरचना मुख्यतः तीन तत्वों से मिलकर बनती है:
इन तीनों तत्वों का संयोजन व्यक्ति की अभिवृत्ति को निर्धारित करता है, जिससे उसके निर्णय और कार्य प्रभावित होते हैं।
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