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भारत की अपना स्वयं का अंतरिक्ष केंद्र प्राप्त करने की क्या योजना है और हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम को यह किस प्रकार लाभ पहुँचाएगी? (150 words) [UPSC 2019]
India's Plan for a Space Station and Its Benefits 1. Plan for Space Station: Initiative: India plans to establish its own space station as part of the Gaganyaan mission. The Indian Space Research Organisation (ISRO) has proposed a modular space station that will be developed over the next decade. ThRead more
India’s Plan for a Space Station and Its Benefits
1. Plan for Space Station:
2. Enhancement of Space Program:
This initiative marks a significant milestone in India’s space exploration ambitions, contributing to its strategic and scientific capabilities.
See lessनैनोटेक्नोलॉजी से आप क्या समझते हैं और यह स्वास्थ्य क्षेत्र में कैसे मदद कर रहा है? (150 words) [UPSC 2020]
नैनोटेक्नोलॉजी की परिभाषा नैनोटेक्नोलॉजी वह विज्ञान और प्रौद्योगिकी है जो नैनोमीटर (1-100 नैनोमीटर) के स्तर पर पदार्थों और उनके गुणधर्मों को नियंत्रित और संशोधित करने से संबंधित है। इसमें नैनोस्केल पर नई सामग्री और उपकरणों का निर्माण शामिल है। स्वास्थ्य क्षेत्र में नैनोटेक्नोलॉजी की भूमिका: लक्षित औRead more
नैनोटेक्नोलॉजी की परिभाषा
नैनोटेक्नोलॉजी वह विज्ञान और प्रौद्योगिकी है जो नैनोमीटर (1-100 नैनोमीटर) के स्तर पर पदार्थों और उनके गुणधर्मों को नियंत्रित और संशोधित करने से संबंधित है। इसमें नैनोस्केल पर नई सामग्री और उपकरणों का निर्माण शामिल है।
स्वास्थ्य क्षेत्र में नैनोटेक्नोलॉजी की भूमिका:
इन तकनीकों के माध्यम से, नैनोटेक्नोलॉजी स्वास्थ्य क्षेत्र में रोगों के उपचार और निदान को अधिक प्रभावी और सटीक बना रही है।
See lessअनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास-सम्बन्धी उपलब्धियाँ क्या हैं? ये उपलब्धियाँ समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायक होंगी ? (250 words) [UPSC 2021]
अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास-सम्बन्धी उपलब्धियाँ 1. फसल सुधार: जीन-संपादन और CRISPR तकनीक की उन्नति ने सूखा-सहनशील, पोषक तत्वों से भरपूर, और उच्च उपज वाली फसल प्रजातियाँ विकसित की हैं। उदाहरण के लिए, Bt बैंगन, जो कीटों से प्रतिरोधी है, ने रसायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता को कम किया औरRead more
अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास-सम्बन्धी उपलब्धियाँ
1. फसल सुधार: जीन-संपादन और CRISPR तकनीक की उन्नति ने सूखा-सहनशील, पोषक तत्वों से भरपूर, और उच्च उपज वाली फसल प्रजातियाँ विकसित की हैं। उदाहरण के लिए, Bt बैंगन, जो कीटों से प्रतिरोधी है, ने रसायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता को कम किया और उपज में सुधार किया है।
2. स्वास्थ्य देखभाल में नवाचार: जैव-प्रौद्योगिकी ने नई वैक्सीन और थेराप्यूटिक्स का निर्माण किया है। कोवैक्सिन और कोविशील्ड वैक्सीनेशन COVID-19 महामारी से लड़ाई में महत्वपूर्ण साबित हुई हैं। जीन थेरेपी और बायोलॉजिक्स जैसे नए उपचारों ने थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया जैसे आनुवंशिक विकारों के इलाज में प्रगति की है।
3. पर्यावरण जैव-प्रौद्योगिकी: बायो-रमेडिएशन और कचरा प्रबंधन में नवाचार पर्यावरणीय समस्याओं को हल कर रहे हैं। बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक और सूक्ष्मजीव ईंधन कोशिकाएँ जैसे समाधान प्रदूषण को कम करते हैं और सतत प्रथाओं में योगदान करते हैं।
4. कृषि और पशुपालन: बायोपेस्टीसाइड्स और बायोफर्टिलाइजर्स फसलों की उत्पादकता और मिट्टी की सेहत को बढ़ाते हैं। उदाहरण के लिए, नाइट्रोजन-फिक्सिंग बैक्टीरिया फसलों में उपयोग किए जा रहे हैं जो मिट्टी की उर्वरता को सुधारते हैं और रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता को कम करते हैं।
समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में योगदान
1. कृषि उत्पादकता में सुधार: उच्च उपज और सहनशील फसल प्रजातियाँ गरीब किसानों की उपज और आय को बढ़ाने में मदद करती हैं। सूखा-सहनशील प्रजातियाँ सूखे क्षेत्रों में उत्पादकता बनाए रखने में सहायता करती हैं।
2. सस्ती स्वास्थ्य देखभाल: जैव-प्रौद्योगिकी से संचालित स्वास्थ्य समाधान जैसे कम लागत वाली वैक्सीनेशन और उपचार, निर्धन समुदायों में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को उपलब्ध कराते हैं और रोगों का बोझ कम करते हैं।
3. पर्यावरणीय लाभ: जैव-प्रौद्योगिकी आधारित पर्यावरण समाधान जैसे बायो-रमेडिएशन और बायोडिग्रेडेबल सामग्री, गरीब समुदायों को बेहतर और स्वच्छ जीवन यापन प्रदान करते हैं, जो अक्सर पर्यावरणीय प्रदूषण से अधिक प्रभावित होते हैं।
4. रोजगार अवसर: जैव-प्रौद्योगिकी क्षेत्र का विकास शोध, निर्माण और अनुप्रयोग क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उत्पन्न करता है। इससे आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में जीवन यापन में सुधार होता है।
निष्कर्ष: अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी की उपलब्धियाँ निर्धन वर्गों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। ये उपलब्धियाँ कृषि उत्पादकता को बढ़ाने, स्वास्थ्य देखभाल की सस्ती सेवाएँ प्रदान करने, पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने और रोजगार अवसर पैदा करने में सहायक हैं, जिससे सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
See less25 दिसम्बर, 2021 को छोड़ा गया जेम्स वेब अंतरिक्ष टेलीस्कोप तभी से समाचारों में बना हुआ है। उसमें ऐसी कौन-कौन सी अनन्य विशेषताएँ हैं जो उसे इससे पहले के अंतरिक्ष टेलीस्कोपों से श्रेष्ठ बनाती हैं ? इस मिशन के मुख्य ध्येय क्या हैं? मानव जाति के लिए इसके क्या संभावित लाभ हो सकते हैं ? (250 words) [UPSC 2022]
जेम्स वेब अंतरिक्ष टेलीस्कोप: विशेषताएँ, ध्येय, और लाभ **1. जेम्स वेब टेलीस्कोप की अनन्य विशेषताएँ: उन्नत इन्फ्रारेड क्षमता: जेम्स वेब इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रम में संचालित होता है, जिससे वह धूल के बादलों के माध्यम से देखने में सक्षम है और उन ब्रह्मांडीय वस्तुओं का अवलोकन कर सकता है जो हबल जैसे टेलीस्कोRead more
जेम्स वेब अंतरिक्ष टेलीस्कोप: विशेषताएँ, ध्येय, और लाभ
**1. जेम्स वेब टेलीस्कोप की अनन्य विशेषताएँ:
**2. मुख्य ध्येय:
**3. मानव जाति के लिए संभावित लाभ:
हाल के उदाहरण:
निष्कर्ष: जेम्स वेब अंतरिक्ष टेलीस्कोप की उन्नत विशेषताएँ और मिशन के लक्ष्य न केवल हमारे ब्रह्मांड की गहरी समझ को प्रकट करेंगे, बल्कि वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी में नए आयाम भी खोलेंगे। यह मानवता के लिए ब्रह्मांडीय खोज में एक महत्वपूर्ण कदम है।
See lessभारत के तीसरे चंद्रमा मिशन का मुख्य कार्य क्या है जिसे इसके पहले के मिशन में हासिल नहीं किया जा सका? जिन देशों ने इस कार्य को हासिल कर लिया है उनकी सूची दीजिए। प्रक्षेपित अंतरिक्ष यान की उपप्रणालियों को प्रस्तुत कीजिए और विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र के 'आभासी प्रक्षेपण नियंत्रण केन्द्र' की उस भूमिका का वर्णन कीजिए जिसने श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण में योगदान दिया है। (250 words) [UPSC 2023]
भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन का मुख्य कार्य और पूर्ववर्ती मिशनों की उपलब्धियां चंद्रयान-3 का मुख्य कार्य: भारत का तीसरा चंद्रमा मिशन, चंद्रयान-3, मुख्य रूप से मूल रूप से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करना है। इसके पहले के मिशन, चंद्रयान-2, में लैंडर के गिरने के कारण यहRead more
भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन का मुख्य कार्य और पूर्ववर्ती मिशनों की उपलब्धियां
चंद्रयान-3 का मुख्य कार्य:
भारत का तीसरा चंद्रमा मिशन, चंद्रयान-3, मुख्य रूप से मूल रूप से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करना है। इसके पहले के मिशन, चंद्रयान-2, में लैंडर के गिरने के कारण यह कार्य पूरा नहीं हो सका था। चंद्रयान-3 के साथ, ISRO ने सटीक लैंडिंग तकनीकों और प्रणालियों को सुनिश्चित किया है ताकि चंद्रमा पर नियंत्रित और सुरक्षित लैंडिंग की जा सके।
जिन देशों ने सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की है:
चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान की उपप्रणालियाँ:
आभासी प्रक्षेपण नियंत्रण केन्द्र (VLCC) की भूमिका:
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र में स्थित आभासी प्रक्षेपण नियंत्रण केन्द्र (VLCC) ने चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसकी मुख्य भूमिकाएँ थीं:
संक्षेप में, चंद्रयान-3 का मुख्य कार्य चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग को सफल बनाना है, जो चंद्रयान-2 में पूरा नहीं हो सका। अमेरिका, सोवियत संघ, और चीन ने इस कार्य को सफलतापूर्वक पूरा किया है। चंद्रयान-3 में उन्नत उपप्रणालियाँ हैं, और VLCC ने लॉन्च के दौरान रियल-टाइम निगरानी और समन्वय के माध्यम से सफल प्रक्षेपण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
See lessप्रौद्योगिकी स्थानांतरण से आप क्या समझते हैं? यह जटिल प्रौद्योगिकी के प्रसार में कैसे सहायक हो सकती है? समझाइये। (200 Words) [UPPSC 2019]
प्रौद्योगिकी स्थानांतरण: प्रौद्योगिकी स्थानांतरण (Technology Transfer) का तात्पर्य एक संगठन से दूसरे संगठन या एक देश से दूसरे देश में प्रौद्योगिकी के ज्ञान, कौशल, और नवाचारों के हस्तांतरण से है। यह अनुसंधान और विकास (R&D) की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो उद्योगों और विकसित देशों में पRead more
प्रौद्योगिकी स्थानांतरण:
प्रौद्योगिकी स्थानांतरण (Technology Transfer) का तात्पर्य एक संगठन से दूसरे संगठन या एक देश से दूसरे देश में प्रौद्योगिकी के ज्ञान, कौशल, और नवाचारों के हस्तांतरण से है। यह अनुसंधान और विकास (R&D) की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो उद्योगों और विकसित देशों में प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देता है।
जटिल प्रौद्योगिकी के प्रसार में सहायकता:
निष्कर्ष: प्रौद्योगिकी स्थानांतरण जटिल प्रौद्योगिकियों के प्रसार को ज्ञान, कौशल, और उत्पादन क्षमता में सुधार करके सहायक बनाता है। यह वैश्विक विकास और नवाचार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
See less'डिजिटल अधिकार' क्या होते हैं? इनके उद्देश्यों की विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2019]
डिजिटल अधिकार डिजिटल अधिकार वे अधिकार हैं जो उपयोगकर्ताओं को इंटरनेट और डिजिटल प्रौद्योगिकियों के माध्यम से सुरक्षित और स्वतंत्र तरीके से जानकारी और संचार तक पहुँच प्रदान करते हैं। उद्देश्य: गोपनीयता और सुरक्षा: डिजिटल अधिकार व्यक्तिगत डेटा और गोपनीयता की सुरक्षा को सुनिश्चित करते हैं, जिससे उपयोगकरRead more
डिजिटल अधिकार
डिजिटल अधिकार वे अधिकार हैं जो उपयोगकर्ताओं को इंटरनेट और डिजिटल प्रौद्योगिकियों के माध्यम से सुरक्षित और स्वतंत्र तरीके से जानकारी और संचार तक पहुँच प्रदान करते हैं।
उद्देश्य:
निष्कर्ष: डिजिटल अधिकार उपयोगकर्ताओं को सुरक्षा, स्वतंत्रता, समानता और कानूनी संरक्षण प्रदान करते हैं, जो डिजिटल समाज की संरचना और सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
See lessराष्ट्रीय शक्ति की वृद्धि में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका उदाहरण सहित समझाइए। (125 Words) [UPPSC 2019]
राष्ट्रीय शक्ति की वृद्धि में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका 1. आर्थिक विकास: विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने विपणन और उत्पादन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए हैं। मेक इन इंडिया जैसी पहल और डिजिटल इंडिया ने उद्योग और सेवाओं में वृद्धि को बढ़ावा दिया है, जिससे देश की आर्थिक शक्ति बढ़ी है। 2. सुरक्षा क्षेतRead more
राष्ट्रीय शक्ति की वृद्धि में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका
1. आर्थिक विकास: विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने विपणन और उत्पादन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए हैं। मेक इन इंडिया जैसी पहल और डिजिटल इंडिया ने उद्योग और सेवाओं में वृद्धि को बढ़ावा दिया है, जिससे देश की आर्थिक शक्ति बढ़ी है।
2. सुरक्षा क्षेत्र में सुधार: नाभिकीय परीक्षण और सैन्य उपकरणों की उन्नति ने रक्षा क्षमता को बढ़ाया है। मिसाइल प्रौद्योगिकी जैसे अग्नि और प्रहार ने सुरक्षा को सशक्त किया है।
3. स्वास्थ्य और शिक्षा: वैज्ञानिक अनुसंधान ने वैकल्पिक चिकित्सा, टीकाकरण और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया है। ई-लर्निंग और डिजिटल कक्षाएं ने शिक्षा को सुलभ बनाया है।
उदाहरण: आधुनिक संचार तकनीकें जैसे 5जी नेटवर्क और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी ने सुरक्षा, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे भारत की राष्ट्रीय शक्ति में वृद्धि हुई है।
निष्कर्ष: विज्ञान और प्रौद्योगिकी राष्ट्रीय शक्ति को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो आर्थिक, सुरक्षा, और सामाजिक विकास में योगदान करते हैं।
See lessचैनोसाइंस और नैनोटेक्नोलाजी को परिभाषित कीजिए। विज्ञान और कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में उनकी क्षमता पर विस्तार से चर्चा कीजिए । (200 Words) [UPPSC 2022]
चैनोसाइंस और नैनोटेक्नोलाजी: परिभाषा और क्षमता परिभाषा: चैनोसाइंस: यह विज्ञान की वह शाखा है जो नैनोमीटर (1 से 100 नैनोमीटर) के स्तर पर पदार्थों की गुणधर्मों और उनकी प्रौद्योगिकी का अध्ययन करती है। इसमें अणुओं और आणविक संरचनाओं के व्यवहार का विश्लेषण किया जाता है। नैनोटेक्नोलाजी: यह चैनोसाइंस के सिद्Read more
चैनोसाइंस और नैनोटेक्नोलाजी: परिभाषा और क्षमता
परिभाषा:
विज्ञान में क्षमता:
कृषि में क्षमता:
निष्कर्ष:
चैनोसाइंस और नैनोटेक्नोलाजी विज्ञान और कृषि में अनगिनत संभावनाएँ प्रस्तुत करती हैं। ये क्षेत्र चिकित्सा, सामग्री विज्ञान और कृषि में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता रखते हैं, जिससे वैश्विक चुनौतियों का समाधान हो सकता है।
See lessभारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023 भारत में एक सशक्त, नवाचारी और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष पारितंत्र के विकास के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कैसे कार्य कर सकती है?(150 शब्दों में उत्तर दें)
भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023 भारत में एक सशक्त, नवाचारी और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष पारितंत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण उत्प्रेरक बन सकती है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ाना, निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना हैRead more
भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023 भारत में एक सशक्त, नवाचारी और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष पारितंत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण उत्प्रेरक बन सकती है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ाना, निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना है।
पहले, यह नीति भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास में नवाचार को बढ़ावा देती है, जिससे नई प्रौद्योगिकियों और परियोजनाओं का विकास संभव होता है। इसके अलावा, यह नीति निजी क्षेत्र के लिए अवसर प्रदान करती है, जिससे कंपनियाँ अंतरिक्ष से संबंधित सेवाओं और उत्पादों में निवेश कर सकें और प्रतिस्पर्धी बन सकें।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, यह नीति भारत को वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में प्रमुख खिलाड़ी बनने के लिए सुसज्जित करती है, सहयोग और साझेदारी के माध्यम से अपने अंतरिक्ष मिशनों की प्रभावशीलता को बढ़ाती है।
इस प्रकार, भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023 भारत के अंतरिक्ष पारितंत्र को सशक्त और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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