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क्वांटम प्रौद्योगिकी आर्थिक संवृद्धि को संचालित करने और लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। चर्चा कीजिए। साथ ही, इससे जुड़ी चुनौतियों को भी सूचीबद्ध कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
क्वांटम प्रौद्योगिकी (Quantum Technology) तेजी से विकसित हो रही एक उन्नत तकनीक है, जो आर्थिक संवृद्धि और जीवन की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार लाने की क्षमता रखती है। इसके संभावित लाभ और चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं: आर्थिक संवृद्धि और जीवन की गुणवत्ता में योगदान: उन्नत डेटा प्रोसेसिंग और संचार: क्वांटमRead more
क्वांटम प्रौद्योगिकी (Quantum Technology) तेजी से विकसित हो रही एक उन्नत तकनीक है, जो आर्थिक संवृद्धि और जीवन की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार लाने की क्षमता रखती है। इसके संभावित लाभ और चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं:
आर्थिक संवृद्धि और जीवन की गुणवत्ता में योगदान:
चुनौतियाँ:
निष्कर्ष: क्वांटम प्रौद्योगिकी में निवेश और अनुसंधान आर्थिक संवृद्धि और जीवन की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार ला सकते हैं। हालांकि, इसके विकास और कार्यान्वयन में चुनौतियों का सामना करने के लिए समर्पित प्रयास और नीति निर्माण की आवश्यकता होगी। इससे जुड़े जोखिमों को प्रबंधित करते हुए, इसका प्रभावी उपयोग समाज और अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी हो सकता है।
See lessस्पष्ट कीजिए कि भारत को जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अवसरों की भूमि क्यों माना जाता है। साथ ही, एक अग्रणी जैव- विनिर्माण केंद्र बनने में भारत की तैयारियों पर चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत को जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में "अवसरों की भूमि" माना जाता है, इसके कई प्रमुख कारण हैं: वृहद जनसंख्या और विविधता: भारत की विशाल और विविध जनसंख्या जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान के लिए एक बड़ा और विविध पॉपुलेशन बेस प्रदान करती है। इसमें विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ और स्वास्थ्य स्थितियाँ शामिल हैं,Read more
भारत को जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में “अवसरों की भूमि” माना जाता है, इसके कई प्रमुख कारण हैं:
भारत की तैयारियाँ एक अग्रणी जैव-विनिर्माण केंद्र बनने में:
इन तैयारियों के साथ, भारत जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में वैश्विक मानचित्र पर एक प्रमुख खिलाड़ी बनने के लिए सुसज्जित है, जिससे उसे अग्रणी जैव-विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सकता है।
See lessराष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति के तहत प्रस्तावित संस्थागत ढांचे को रेखांकित करते हुए, विश्लेषण कीजिए कि यह भारत में भू- स्थानिक अवसंरचना को कैसे सुदृढ़ करेगा। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति (NSP) के तहत प्रस्तावित संस्थागत ढांचा भारत में भू-स्थानिक अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए निम्नलिखित प्रमुख तत्वों पर आधारित है: भू-स्थानिक डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर: नीति के तहत एक व्यापक डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थापना की जाएगी, जिसमें भू-स्थानिक डेटा को एकत्रित करने, प्रबंधRead more
राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति (NSP) के तहत प्रस्तावित संस्थागत ढांचा भारत में भू-स्थानिक अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए निम्नलिखित प्रमुख तत्वों पर आधारित है:
यह संस्थागत ढांचा भारत में भू-स्थानिक अवसंरचना को सुदृढ़ करने में मदद करेगा क्योंकि यह डेटा के एकत्रण, प्रबंधन, और उपयोग की प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करेगा। इससे सरकारी योजनाओं, विकास परियोजनाओं और आपदा प्रबंधन में अधिक सटीकता और प्रभावशीलता बढ़ेगी। इसके अलावा, यह शोध और नवाचार को प्रोत्साहित करेगा, जिससे समग्र रूप से भू-स्थानिक क्षेत्र में प्रगति होगी।
See lessभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2023 में आदित्य-एल1 को लॉन्ब करने के लिए पूर्ण रूप से तैयार है। आदित्य- एल1, आदित्य-1 से कैसे अलग है? साथ ही, आदित्य-एल1 के वैज्ञानिक उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
आदित्य-एल1 और आदित्य-1 में मुख्य अंतर उनकी मिशन प्राथमिकताओं और प्रौद्योगिकी में है। आदित्य-1, 2008 में प्रस्तावित किया गया था, परंतु तकनीकी और समय संबंधी मुद्दों के कारण इसे लॉन्च नहीं किया जा सका। आदित्य-एल1, इसकी उन्नत संस्करण है, जिसे 2023 में लॉन्च करने के लिए तैयार किया गया है। आदित्य-एल1 का मRead more
आदित्य-एल1 और आदित्य-1 में मुख्य अंतर उनकी मिशन प्राथमिकताओं और प्रौद्योगिकी में है। आदित्य-1, 2008 में प्रस्तावित किया गया था, परंतु तकनीकी और समय संबंधी मुद्दों के कारण इसे लॉन्च नहीं किया जा सका। आदित्य-एल1, इसकी उन्नत संस्करण है, जिसे 2023 में लॉन्च करने के लिए तैयार किया गया है।
आदित्य-एल1 का मुख्य उद्देश्य सूर्य की विभिन्न विशेषताओं का अध्ययन करना है। इसके वैज्ञानिक उद्देश्यों में शामिल हैं:
आदित्य-एल1 इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सूर्य के एक विशेष कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
See lessपृथ्वी पर मौजूद प्रौद्योगिकी और अवसंरचना पर भू-चुंबकीय तूफान के संभावित प्रभाव क्या हैं? (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भू-चुंबकीय तूफान (Geomagnetic Storms) सूर्य की सतह पर होने वाली बड़े पैमाने की सौर गतिविधियों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं, जैसे कि सौर तूफान और कोरोनल मास इजेक्शन (CME)। इन तूफानों के पृथ्वी पर प्रौद्योगिकी और अवसंरचना पर संभावित प्रभाव निम्नलिखित हैं: उपग्रहों पर प्रभाव: भू-चुंबकीय तूफान उपग्रRead more
भू-चुंबकीय तूफान (Geomagnetic Storms) सूर्य की सतह पर होने वाली बड़े पैमाने की सौर गतिविधियों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं, जैसे कि सौर तूफान और कोरोनल मास इजेक्शन (CME)। इन तूफानों के पृथ्वी पर प्रौद्योगिकी और अवसंरचना पर संभावित प्रभाव निम्नलिखित हैं:
इन प्रभावों से निपटने के लिए उपग्रह सुरक्षा, विद्युत ग्रिड की मजबूत डिजाइन, और आपातकालीन प्रोटोकॉल लागू किए जाते हैं।
See less'ऑर्गन ऑन चिप्स' (OoCs) से आप क्या समझते हैं? औषध क्षेत्रक में क्रांति लाने की इनकी क्षमता पर टिप्पणी कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
'ऑर्गन ऑन चिप्स' (OoCs) ऐसी तकनीक है जिसमें जैविक ऊतकों या अंगों की नकल करने वाले सूक्ष्म-आकार के चिप्स का उपयोग किया जाता है। ये चिप्स अंगों की संरचना और कार्यप्रणाली को सटीक रूप से अनुकरण करते हैं और औषधीय परीक्षणों में मानव अंगों की प्रतिक्रियाओं को मॉडल करते हैं। औषध क्षेत्रक में क्रांति लाने कीRead more
‘ऑर्गन ऑन चिप्स’ (OoCs) ऐसी तकनीक है जिसमें जैविक ऊतकों या अंगों की नकल करने वाले सूक्ष्म-आकार के चिप्स का उपयोग किया जाता है। ये चिप्स अंगों की संरचना और कार्यप्रणाली को सटीक रूप से अनुकरण करते हैं और औषधीय परीक्षणों में मानव अंगों की प्रतिक्रियाओं को मॉडल करते हैं।
औषध क्षेत्रक में क्रांति लाने की क्षमता:
इस प्रकार, OoCs औषधीय अनुसंधान और विकास में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो नए उपचारों की खोज और विकास को अधिक सटीक और प्रभावी बना सकते हैं।
See lessजैव प्रौद्योगिकी में भारत की मुख्य उपलब्धियाँ कौन-सी हैं? इनसे समाज के गरीब वर्ग के उत्थान में कैसे मदद मिलेगी ? (200 Words) [UPPSC 2023]
जैव प्रौद्योगिकी में भारत की मुख्य उपलब्धियाँ स्वास्थ्य और चिकित्सा क्षेत्र में उपलब्धियाँ: COVID-19 टीके: भारत ने ‘कोवैक्सिन’ और ‘कोविशील्ड’ जैसे COVID-19 टीकों का सफलतापूर्वक विकास किया है। ये टीके न केवल महामारी को नियंत्रित करने में सहायक रहे हैं बल्कि गरीब और वंचित वर्गों के लिए सस्ती स्वास्थ्यRead more
जैव प्रौद्योगिकी में भारत की मुख्य उपलब्धियाँ
गरीब वर्ग के उत्थान में मदद
हालिया उदाहरण: 2023 में, भारत ने ‘आयुष्मान भारत योजना’ के तहत सस्ती बायोफार्मास्युटिकल्स और स्वास्थ्य सेवाओं को व्यापक रूप से उपलब्ध कराया है, जो गरीब वर्ग के स्वास्थ्य में सुधार करने में सहायक रही है।
See lessभारत के चन्द्रमा मिशन कार्यक्रम 'चन्द्रयान-3' के प्रमुख उद्देश्य क्या हैं ? (125 Words) [UPPSC 2023]
भारत के चंद्रमा मिशन कार्यक्रम 'चंद्रयान-3' के प्रमुख उद्देश्य सॉफ्ट लैंडिंग: चंद्रयान-3 का प्रमुख उद्देश्य चंद्रमा पर एक सफल सॉफ्ट लैंडिंग प्राप्त करना है। पिछली मिशन चंद्रयान-2 में लैंडर का हार्ड लैंडिंग हुआ था, जिसे सुधारने का प्रयास किया गया है। Lunar Surface Exploration: मिशन चंद्रमा की सतह परRead more
भारत के चंद्रमा मिशन कार्यक्रम ‘चंद्रयान-3’ के प्रमुख उद्देश्य
हालिया उदाहरण: 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की, जिससे भारत ने इतिहास रचा और अंतरिक्ष अन्वेषण में अपनी स्थिति को मजबूत किया।
See lessब्लड मून' (Blood moon) किसे कहते हैं? यह कब होता है ? (125 Words) [UPPSC 2023]
'ब्लड मून' (Blood Moon) एक खगोलीय घटना है, जिसे पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा की लालिमा के कारण कहा जाता है। जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है, तो वह सूर्य की सीधी किरणों को चंद्रमा तक पहुँचने से रोकती है और इसके वातावरण में बिखरी हुई रोशनी लाल रंग की छटा प्रदान करती है। इस घटना के दौरRead more
‘ब्लड मून’ (Blood Moon) एक खगोलीय घटना है, जिसे पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा की लालिमा के कारण कहा जाता है। जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है, तो वह सूर्य की सीधी किरणों को चंद्रमा तक पहुँचने से रोकती है और इसके वातावरण में बिखरी हुई रोशनी लाल रंग की छटा प्रदान करती है। इस घटना के दौरान, चंद्रमा का रंग लाल, नारंगी या भूरा हो जाता है, जिससे इसे ‘ब्लड मून’ कहा जाता है। यह घटना तब होती है जब पूर्ण चंद्रग्रहण होता है, जो औसतन हर 1.5 साल में होता है। चंद्रग्रहण के दौरान, चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरा या आंशिक रूप से ढका होता है, जिससे ‘ब्लड मून’ का प्रभाव देखा जाता है।
See lessरेडियोमेट्रिक डेटिंग कैसे काम करती है? इससे जुड़ी सीमाएं क्या हैं? रेडियोमेट्रिक डेटिंग में कैल्शियम 41 का उपयोग करने के संभावित लाभ क्या हैं?(250 शब्दों में उत्तर दें)
डियोमेट्रिक डेटिंग एक वैज्ञानिक विधि है जिसका उपयोग चट्टानों, खनिजों और जीवाश्मों की आयु निर्धारित करने के लिए किया जाता है। यह विधि रेडियोधर्मी आइसोटोप के क्षय (decay) पर आधारित होती है, जो समय के साथ एक स्थिर आइसोटोप में बदलते हैं। जब किसी पदार्थ में रेडियोधर्मी आइसोटोप का अनुपात ज्ञात होता है, तोRead more
डियोमेट्रिक डेटिंग एक वैज्ञानिक विधि है जिसका उपयोग चट्टानों, खनिजों और जीवाश्मों की आयु निर्धारित करने के लिए किया जाता है। यह विधि रेडियोधर्मी आइसोटोप के क्षय (decay) पर आधारित होती है, जो समय के साथ एक स्थिर आइसोटोप में बदलते हैं। जब किसी पदार्थ में रेडियोधर्मी आइसोटोप का अनुपात ज्ञात होता है, तो उसके क्षय की दर के आधार पर उसकी आयु का अनुमान लगाया जा सकता है।
काम करने का तरीका:
रेडियोमेट्रिक डेटिंग में, वैज्ञानिक रेडियोधर्मी आइसोटोप और उसके क्षय उत्पाद (daughter isotope) के बीच के अनुपात को मापते हैं। यह माप बताता है कि कितने समय पहले आइसोटोप ने क्षय शुरू किया था। उदाहरण के लिए, कार्बन-14 डेटिंग में, कार्बन-14 का क्षय नाइट्रोजन-14 में होता है, और यह प्रक्रिया लगभग 5,730 वर्षों का एक अर्ध-आयु (half-life) रखती है। इस आधार पर जीवाश्म की आयु का अनुमान लगाया जाता है।
सीमाएं:
रेडियोमेट्रिक डेटिंग की सीमाएं भी हैं। पहला, यह विधि तभी प्रभावी है जब नमूने में पर्याप्त मात्रा में रेडियोधर्मी आइसोटोप मौजूद हो। दूसरा, डेटिंग की सटीकता प्रभावित हो सकती है यदि नमूना बाहरी कारकों, जैसे तापमान, दबाव, या रासायनिक परिवर्तनों के कारण प्रभावित हुआ हो। तीसरा, हर आइसोटोप की एक निश्चित अर्ध-आयु होती है, जिससे केवल एक सीमित समयावधि तक की डेटिंग की जा सकती है।
कैल्शियम-41 के संभावित लाभ:
See lessकैल्शियम-41 एक रेडियोधर्मी आइसोटोप है जिसका अर्ध-आयु लगभग 1 लाख वर्ष है। इसका उपयोग उन नमूनों की डेटिंग में किया जा सकता है जो समय में अधिक पीछे की तारीखों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जैसे कि प्राचीन भूवैज्ञानिक संरचनाएं। इसका एक और लाभ यह है कि यह आइसोटोप वातावरण में अपेक्षाकृत स्थिर होता है, जिससे बाहरी कारकों का प्रभाव कम होता है। इसके उपयोग से वैज्ञानिक पुरानी चट्टानों और खनिजों की अधिक सटीक आयु निर्धारित कर सकते हैं, जो अन्य आइसोटोप्स से संभव नहीं हो पाता।