Home/विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी/प्रौद्योगिकी में अनुप्रयोग एवं जागरूकता/Page 7
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एक प्ररूपी विषाणु के दो प्रमुख घटक क्या हैं?
प्ररूपी विषाणु (प्रोवायरस) के दो प्रमुख घटक हैं: विषाणु आरएनए या डीएनए: प्ररूपी विषाणु का आनुवांशिक पदार्थ होता है, जो या तो RNA (राइबोन्यूक्लिक एसिड) या DNA (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) हो सकता है। यह आनुवांशिक सामग्री विषाणु के गुणसूत्रों को संलग्न करती है और विषाणु के जीवन चक्र को संचालित करती हैRead more
प्ररूपी विषाणु (प्रोवायरस) के दो प्रमुख घटक हैं:
ये दोनों घटक मिलकर विषाणु के अस्तित्व और संचार के लिए जिम्मेदार होते हैं।
See lessजैव प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग जिन क्षेत्रों में हो रहे हैं. उनकी चर्चा कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
जैव प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग 1. चिकित्सा उपचार और दवाइयाँ: जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग नवीन दवाओं और टीकों के विकास में हो रहा है। उदाहरण के लिए, COVID-19 वैक्सीन का विकास जैव प्रौद्योगिकी द्वारा हुआ। जीन थेरेपी: अनुवांशिक बीमारियों के इलाज के लिए प्रयोगात्मक उपचार विधियाँ विकसित की जा रही हैं, जैसेRead more
जैव प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग
1. चिकित्सा
2. कृषि
3. पर्यावरण
ये अनुप्रयोग जैव प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावी रूप से क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं और भविष्य के विकास के लिए संभावनाएँ प्रदान कर रहे हैं।
See lessनिषेधात्मक श्रम के कौन-से क्षेत्र हैं, जिनका रोबोटों के द्वारा धारणीय रूप से प्रबंधन किया जा सकता है ? ऐसी पहलों पर चर्चा कीजिए, जो प्रमुख अनुसंधान संस्थानों में मौलिक और लाभप्रद नवाचार के लिए अनुसंधान को आगे बढ़ा सकें । (200 words) [UPSC 2015]
निषेधात्मक श्रम के क्षेत्र जिनका प्रबंधन रोबोटों द्वारा किया जा सकता है रोबोट उन श्रम क्षेत्रों में प्रभावी रूप से कार्य कर सकते हैं जो खतरनाक, दोहराव वाले, या अत्यधिक सटीकता की आवश्यकता रखते हैं। खतरनाक वातावरण जैसे परमाणु संयंत्र, गहरे समुद्र की खोज, और खनन में रोबोट का उपयोग अत्यधिक लाभकारी है। उRead more
निषेधात्मक श्रम के क्षेत्र जिनका प्रबंधन रोबोटों द्वारा किया जा सकता है
रोबोट उन श्रम क्षेत्रों में प्रभावी रूप से कार्य कर सकते हैं जो खतरनाक, दोहराव वाले, या अत्यधिक सटीकता की आवश्यकता रखते हैं। खतरनाक वातावरण जैसे परमाणु संयंत्र, गहरे समुद्र की खोज, और खनन में रोबोट का उपयोग अत्यधिक लाभकारी है। उदाहरण के लिए, जापान के फुकुशिमा दाइची परमाणु संयंत्र की सफाई में रोबोट का उपयोग किया जा रहा है, जहाँ मानवों के लिए काम करना असंभव है। दोहराव वाले कार्य जैसे असेम्बली लाइन ऑपरेशन में रोबोट का उपयोग उत्पादकता बढ़ाने और मानवीय त्रुटियों को कम करने में किया जा रहा है। सटीकता वाले कार्यों में, विशेष रूप से शल्य चिकित्सा में, दा विंची सर्जिकल सिस्टम जैसे रोबोट का उपयोग छोटे चीरे वाली सर्जरी के लिए किया जा रहा है, जिससे रोगियों के परिणाम बेहतर हो रहे हैं।
प्रमुख अनुसंधान संस्थानों में नवाचार को बढ़ावा देने वाली पहलें
रोबोटिक्स में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित पहलों को प्राथमिकता दी जा सकती है:
इन पहलों से मौलिक और लाभप्रद नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारत को वैश्विक रोबोटिक्स क्रांति में अग्रणी स्थान प्राप्त होगा।
See lessभारतीय विश्वविद्यालयों में वैज्ञानिक अनुसंधान का स्तर गिरता जा रहा है, क्योंकि विज्ञान में कैरियर उतना आकर्षक नहीं है जितना कि बह कारोबार संव्यवसाय, इंजीनियरी या प्रशासन में है, और विश्वविद्यालय उपभोक्ता उन्मुखी होते जा रहे हैं। समालोचनात्मक टिप्पणी कीजिए। (200 words) [UPSC 2014]
परिचय: भारतीय विश्वविद्यालयों में वैज्ञानिक अनुसंधान का स्तर गिरता जा रहा है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। विज्ञान में कैरियर का आकर्षण घटने, और विश्वविद्यालयों के उपभोक्ता उन्मुखी होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। यह प्रवृत्ति तब और भी चिंताजनक हो जाती है जब भारत एक वैश्विक नवाचार और तकनीकी नRead more
परिचय: भारतीय विश्वविद्यालयों में वैज्ञानिक अनुसंधान का स्तर गिरता जा रहा है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। विज्ञान में कैरियर का आकर्षण घटने, और विश्वविद्यालयों के उपभोक्ता उन्मुखी होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। यह प्रवृत्ति तब और भी चिंताजनक हो जाती है जब भारत एक वैश्विक नवाचार और तकनीकी नेतृत्व की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहा है।
विज्ञान में कैरियर का आकर्षण घटने के कारण:
विश्वविद्यालयों का उपभोक्ता उन्मुखी होना:
निष्कर्ष: भारतीय विश्वविद्यालयों में वैज्ञानिक अनुसंधान में गिरावट एक बहुआयामी समस्या है, जो अपर्याप्त वित्तपोषण, कम कैरियर आकर्षण, और उपभोक्ता उन्मुख शिक्षा मॉडल में निहित है। इस प्रवृत्ति को पलटने के लिए, अनुसंधान में अधिक निवेश, बेहतर उद्योग-अकादमिक सहयोग, और वैज्ञानिक कैरियर को अधिक आकर्षक बनाने वाली नीतियों की आवश्यकता है। इन चुनौतियों का समाधान करके ही भारत अपने वैज्ञानिक आधार को मजबूत कर सकता है और वैश्विक नवाचार में सार्थक योगदान दे सकता है।
See lessअतिसूक्ष्म प्रौद्योगिकी (नैनोटेक्नोलॉजी) 21वीं शताब्दी की प्रमुख प्रौद्योगिकियों में से एक क्यों है? अतिसूक्ष्म विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर भारत सरकार के मिशन की प्रमुख विशेषताओं तथा देश के विकास के प्रक्रम में इसके प्रयोग के क्षेत्र का वर्णन कीजिए। (200 words) [UPSC 2016]
अतिसूक्ष्म प्रौद्योगिकी (नैनोटेक्नोलॉजी) का महत्व 1. 21वीं शताब्दी की प्रमुख प्रौद्योगिकी: अतिसूक्ष्म प्रौद्योगिकी, जिसमें 1 से 100 नैनोमीटर के बीच के आयामों पर सामग्री और उपकरणों की निर्मिति होती है, वास्तव में क्रांतिकारी है। इसके कारण, नैनोटेक्नोलॉजी में निम्नलिखित विशेषताएँ हैं: सटीकता और दक्षताRead more
अतिसूक्ष्म प्रौद्योगिकी (नैनोटेक्नोलॉजी) का महत्व
1. 21वीं शताब्दी की प्रमुख प्रौद्योगिकी:
अतिसूक्ष्म प्रौद्योगिकी, जिसमें 1 से 100 नैनोमीटर के बीच के आयामों पर सामग्री और उपकरणों की निर्मिति होती है, वास्तव में क्रांतिकारी है। इसके कारण, नैनोटेक्नोलॉजी में निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:
2. भारत सरकार के मिशन की प्रमुख विशेषताएँ:
3. विकास में अनुप्रयोग:
इस प्रकार, नैनोटेक्नोलॉजी ने भारत के विकास को प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से संजीवनी दी है।
See lessअंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों की चर्चा कीजिए। इस प्रौद्योगिकी का प्रयोग भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायक हुआ है? (200 words) [UPSC 2016]
भारत की अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उपलब्धियाँ 1. प्रमुख उपलब्धियाँ: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र: भारत ने आंध्र प्रदेश में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) से अनेक सफल उपग्रह प्रक्षेपण किए हैं। चंद्रयान-1 (2008): भारत का पहला चंद्रमा मिशन, जिसने चंद्रमा की सतह पर पानी के संकेतों की खोज कीRead more
भारत की अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उपलब्धियाँ
1. प्रमुख उपलब्धियाँ:
2. सामाजिक-आर्थिक विकास में सहायक:
इन उपलब्धियों ने भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति बनाया और सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
See lessभारत ने चन्द्रयान व मंगल कक्षीय मिशनों सहित मानव रहित अंतरिक्ष मिशनों में असाधारण सफलता प्राप्त की है, लेकिन मानव सहित अंतरिक्ष मिशनों में प्रवेश का साहस नहीं किया है। मानव-सहित अंतरिक्ष मिशन लांच करने में प्रौद्योगिकीय व सुप्रचालनिक सहित मुख्य रुकावटें क्या हैं? समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए । (150 words) [UPSC 2017]
मानव-सहित अंतरिक्ष मिशन में रुकावटें: प्रौद्योगिकीय और सुप्रचालनिक बाधाएँ **1. प्रौद्योगिकीय चुनौतियाँ: **1. जीवित रहने की प्रणालियाँ: उन्नत प्रणालियाँ: मानव मिशनों के लिए ऐसे जीवित रहने की प्रणालियों की आवश्यकता होती है जो अंतरिक्ष में मानव जीवन को सुरक्षित रख सकें। भारत के चंद्रयान और मंगलयान मिशनRead more
मानव-सहित अंतरिक्ष मिशन में रुकावटें: प्रौद्योगिकीय और सुप्रचालनिक बाधाएँ
**1. प्रौद्योगिकीय चुनौतियाँ:
**1. जीवित रहने की प्रणालियाँ:
**2. अंतरिक्ष यान डिजाइन और परीक्षण:
**2. सुप्रचालनिक चुनौतियाँ:
**1. वित्तीय प्रतिबंध:
**2. अवसंरचना विकास:
**3. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की कमी:
हालिया उदाहरण:
समालोचनात्मक परीक्षण:
ल्यूकीमिया, थैलासीमिया, क्षतिग्रस्त कॉर्निया व गंभीर दाह सहित सुविस्तृत चिकित्सीय दशाओं में उपचार करने के लिए भारत में स्टैम कोशिका चिकित्सा लोकप्रिय होती जा रही है। संक्षेप में वर्णन कीजिए कि स्टैम कोशिका उपचार क्या होता है और अन्य उपचारों की तुलना में उसके क्या लाभ हैं ? (150 words) [UPSC 2017]
स्टैम कोशिका चिकित्सा: संक्षेप में विवरण **1. स्टैम कोशिका उपचार क्या है? परिभाषा: स्टैम कोशिका उपचार में स्टैम कोशिकाओं का उपयोग विभिन्न बीमारियों और शारीरिक क्षति के इलाज के लिए किया जाता है। स्टैम कोशिकाएँ उन कोशिकाओं का एक प्रकार होती हैं जिनकी विशेषता है कि वे विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में परिRead more
स्टैम कोशिका चिकित्सा: संक्षेप में विवरण
**1. स्टैम कोशिका उपचार क्या है?
**2. अन्य उपचारों की तुलना में लाभ:
**1. पुनर्योजी क्षमता:
**2. अस्वीकृति का कम जोखिम:
**3. आनुवंशिक विकारों का इलाज:
**4. नए उपचार विकल्प:
निष्कर्ष: स्टैम कोशिका चिकित्सा पारंपरिक उपचारों की तुलना में पुनर्योजी क्षमताओं, अस्वीकृति के कम जोखिम, आनुवंशिक सुधार की संभावनाओं और नए उपचार विकल्पों की पेशकश करती है।
See lessक्या कारण है कि हमारे देश में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अत्यधिक सक्रियता है? इस सक्रियता ने बायोफार्मा के क्षेत्र को कैसे लाभ पहुँचाया है? (250 words) [UPSC 2018]
भारत में जैव प्रौद्योगिकी की सक्रियता और बायोफार्मा क्षेत्र पर इसके प्रभाव 1. जैव प्रौद्योगिकी में सक्रियता के कारण: विकसित मानव संसाधन: भारत में उच्च गुणवत्ता वाले वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग के पेशेवर उपलब्ध हैं, जिन्होंने जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सशक्त अनुसंधान और विकास को बढ़ावा दिया है। सरकRead more
भारत में जैव प्रौद्योगिकी की सक्रियता और बायोफार्मा क्षेत्र पर इसके प्रभाव
1. जैव प्रौद्योगिकी में सक्रियता के कारण:
2. बायोफार्मा क्षेत्र पर प्रभाव:
3. निष्कर्ष: भारत में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अत्यधिक सक्रियता की कई वजहें हैं, जैसे कि विकसित मानव संसाधन, सरकारी समर्थन, और आर्थिक अवसर। इस सक्रियता ने बायोफार्मा क्षेत्र को नई दवाओं के विकास, नैदानिक अनुसंधान, सस्ती दवाओं के निर्माण, और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मदद की है। यह विकास भारतीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली और वैश्विक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।
See lessकिसानों के जीवन मानकों को उन्नत करने के लिए जैव प्रौद्योगिकी किस प्रकार सहायता कर सकती है? (250 words) [UPSC 2019]
जैव प्रौद्योगिकी द्वारा किसानों के जीवन मानकों में सुधार 1. उन्नत फसलों की किस्में: उद्देश्य: जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से उन्नत फसल किस्मों का विकास कर उत्पादकता और पोषण में सुधार किया जा सकता है। हालिया उदाहरण: बीटी कपास ने कीट-प्रतिरोधी किस्में प्रदान की हैं, जिससे उत्पादन में वृद्धि और कीटनाशकोRead more
जैव प्रौद्योगिकी द्वारा किसानों के जीवन मानकों में सुधार
1. उन्नत फसलों की किस्में:
2. पारिस्थितिकीय तनाव से निपटने में मदद:
3. आधुनिक कृषि तकनीकों का एकीकरण:
4. पोषण संवर्धन:
5. फसल संरक्षण और बीमारियों का नियंत्रण:
6. आर्थिक लाभ और लाभप्रदता में वृद्धि:
निष्कर्ष: जैव प्रौद्योगिकी कृषि में फसल उत्पादन, पारिस्थितिकीय तनाव, पोषण, फसल संरक्षण, और आर्थिक लाभ में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इसके माध्यम से किसानों के जीवन मानकों में संतुलित वृद्धि और स्वास्थ्य में सुधार संभव हो रहा है।
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