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रिमोट सेंसिंग क्या है? कार्यक्षेत्र के आधार पर इसका वर्गीकरण दीजिए। रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोग की सीमा क्या है?
रिमोट सेंसिंग: परिभाषा और वर्गीकरण रिमोट सेंसिंग क्या है? रिमोट सेंसिंग एक तकनीक है जिसके माध्यम से पृथ्वी की सतह की जानकारी दूरस्थ उपकरणों के माध्यम से प्राप्त की जाती है। इसमें उपग्रहों, विमानों, और ड्रोन पर लगे सेंसर का उपयोग कर चित्र और अन्य डेटा एकत्र किए जाते हैं। यह तकनीक न केवल भूमि उपयोग कीRead more
रिमोट सेंसिंग: परिभाषा और वर्गीकरण
रिमोट सेंसिंग क्या है?
रिमोट सेंसिंग एक तकनीक है जिसके माध्यम से पृथ्वी की सतह की जानकारी दूरस्थ उपकरणों के माध्यम से प्राप्त की जाती है। इसमें उपग्रहों, विमानों, और ड्रोन पर लगे सेंसर का उपयोग कर चित्र और अन्य डेटा एकत्र किए जाते हैं। यह तकनीक न केवल भूमि उपयोग की निगरानी करती है, बल्कि पर्यावरणीय, भूगर्भीय और अन्य प्रकार की जानकारी भी प्रदान करती है।
कार्यक्षेत्र के आधार पर वर्गीकरण
रिमोट सेंसिंग को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है:
रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोग की सीमा
रिमोट सेंसिंग के अनुप्रयोग अत्यधिक विविध हैं:
रिमोट सेंसिंग की तकनीक ने आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और इसके अनुप्रयोग की सीमा निरंतर बढ़ रही है।
See lessप्राकृतिक पादप वृद्धि नियामकों की विस्तार से चर्चा कीजिए।
परिचय: प्राकृतिक पादप वृद्धि नियामक, जिन्हें पादप हार्मोन भी कहा जाता है, वे रासायनिक यौगिक हैं जो पौधों की वृद्धि, विकास और पर्यावरणीय उत्तेजनाओं के प्रति प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। ये हार्मोन पादपों के विभिन्न शारीरिक और जैव रासायनिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्राकृतिRead more
परिचय: प्राकृतिक पादप वृद्धि नियामक, जिन्हें पादप हार्मोन भी कहा जाता है, वे रासायनिक यौगिक हैं जो पौधों की वृद्धि, विकास और पर्यावरणीय उत्तेजनाओं के प्रति प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। ये हार्मोन पादपों के विभिन्न शारीरिक और जैव रासायनिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्राकृतिक पादप वृद्धि नियामकों के प्रमुख प्रकार:
अनुप्रयोग और लाभ:
निष्कर्ष: प्राकृतिक पादप वृद्धि नियामक जैसे ऑक्सिन्स, गिब्बेरेलिन्स, साइटोकिनिन्स, एब्सिसिक एसिड, और एथीलीन पादपों की वृद्धि और विकास को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण होते हैं। इनके उपयोग से कृषि, हॉटिकल्चर और पारिस्थितिकीय प्रबंधन में सुधार हुआ है, जो पर्यावरणीय स्थिरता और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देता है।
See lessहाइड्रोजन परमाणु के लिए बोहर मॉडल के अभिधारणाओं की व्याख्या कीजिए।
परिचय: 1913 में नील्स बॉहर द्वारा प्रस्तुत किया गया हाइड्रोजन परमाणु का मॉडल, परमाणु सिद्धांत में एक महत्वपूर्ण कदम था। यह मॉडल परमाणुओं की स्थिरता और हाइड्रोजन के विशेष वर्णक्रम को समझाने में सहायक था। बॉहर मॉडल के अभिधारणाएँ: क्वांटाइज्ड ऑर्बिट्स: विवरण: इलेक्ट्रॉन केवल कुछ विशिष्ट स्थिर पथों (ऑर्Read more
परिचय: 1913 में नील्स बॉहर द्वारा प्रस्तुत किया गया हाइड्रोजन परमाणु का मॉडल, परमाणु सिद्धांत में एक महत्वपूर्ण कदम था। यह मॉडल परमाणुओं की स्थिरता और हाइड्रोजन के विशेष वर्णक्रम को समझाने में सहायक था।
बॉहर मॉडल के अभिधारणाएँ:
L=nℏ द्वारा व्यक्त किया जाता है, जहाँ
n एक सकारात्मक पूर्णांक (क्वांटम संख्या) है और
ℏ प्लांक स्थिरांक है।
n की अवधारणा को भी पेश करती है, जो ऑर्बिट के आकार और ऊर्जा को निर्धारित करती है।
निष्कर्ष: बॉहर का मॉडल, जिसमें क्वांटाइज्ड ऑर्बिट्स, ऊर्जा स्तरों, कोणीय संवेग का क्वांटाइजेशन और राइडबर्ग सूत्र शामिल हैं, परमाणु सिद्धांत में एक महत्वपूर्ण उन्नति थी। यह अभिधारण हाइड्रोजन परमाणु की स्थिरता और उसके वर्णक्रमीय रेखाओं को समझने में सहायक हैं। बॉहर मॉडल की अवधारणाएँ आज भी आधुनिक वैज्ञानिक प्रौद्योगिकियों में महत्वपूर्ण हैं, जैसे क्वांटम डॉट्स, MRI, और लेजर स्पेक्ट्रोस्कोपी।
See less70S एवं 80S राइबोजोम्स में 'S' क्या दर्शाता है?
परिचय: 70S और 80S राइबोजोम्स में 'S' का अर्थ स्वेडबर्ग इकाई (Svedberg unit) से है, जो सेडिमेंटेशन दर को मापने का एक मानक है। यह इकाई राइबोजोम्स के आकार, रूप और घनत्व को दर्शाती है। स्वेडबर्ग इकाई: स्वेडबर्ग इकाई (S) से यह समझा जाता है कि कण सेंट्रीफ्यूगेशन के दौरान कितनी तेजी से नीचे की ओर बैठते हैंRead more
परिचय: 70S और 80S राइबोजोम्स में ‘S’ का अर्थ स्वेडबर्ग इकाई (Svedberg unit) से है, जो सेडिमेंटेशन दर को मापने का एक मानक है। यह इकाई राइबोजोम्स के आकार, रूप और घनत्व को दर्शाती है।
स्वेडबर्ग इकाई:
70S राइबोजोम्स:
80S राइबोजोम्स:
निष्कर्ष: 70S और 80S राइबोजोम्स में ‘S’ स्वेडबर्ग इकाई को दर्शाता है, जो राइबोजोम्स की सेडिमेंटेशन दर को मापने का मानक है। यह इकाई राइबोजोम्स के आकार और कार्यक्षमता को समझने में महत्वपूर्ण है, विशेषकर प्रोकैरियोटिक और यूकेरियोटिक कोशिकाओं में।
See less'TIFR' के बारे में संक्षिप्त विवरण दीजिए।
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) परिचय टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR), मुंबई, भारत में स्थित एक प्रमुख शोध संस्थान है। इसकी स्थापना 1945 में की गई थी। TIFR को भौतिकी, रसायन शास्त्र, जीवविज्ञान, गणित, और कंप्यूटर विज्ञान जैसे विविध क्षेत्रों में मौलिक अनुसंधान के लिए जाना जाताRead more
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR)
परिचय टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR), मुंबई, भारत में स्थित एक प्रमुख शोध संस्थान है। इसकी स्थापना 1945 में की गई थी। TIFR को भौतिकी, रसायन शास्त्र, जीवविज्ञान, गणित, और कंप्यूटर विज्ञान जैसे विविध क्षेत्रों में मौलिक अनुसंधान के लिए जाना जाता है। यह संस्थान ज.R.D. टाटा के नाम पर स्थापित किया गया था, जो इसके संस्थापक थे।
मुख्य कार्य और उपलब्धियाँ
महत्व TIFR भारत और वैश्विक स्तर पर मौलिक वैज्ञानिक अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके योगदान सैद्धांतिक और प्रयोगात्मक विज्ञान में फैले हुए हैं, जो प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, और पर्यावरण विज्ञान जैसे विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव डालते हैं। संस्थान का अंतर्विषयक अनुसंधान और वैश्विक वैज्ञानिक समुदायों के साथ सहयोग इसकी प्रमुखता को दर्शाता है।
निष्कर्ष टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) एक प्रमुख शोध संस्थान के रूप में उभरता है, जो वैज्ञानिक उत्कृष्टता और नवाचार का प्रतीक है। इसके कठोर अनुसंधान कार्यक्रमों, शैक्षिक पहलों, और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से, TIFR मौलिक विज्ञान की उन्नति और भविष्य के वैज्ञानिक नेताओं के प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण योगदान करता है।
See lessमशीन स्वतंत्र भाषाएं क्या होती हैं? ऐसी भाषाओं में लिखे गए कोड को कम्प्यूटर कैसे निष्पादित करता है?
मशीन स्वतंत्र भाषाएं परिभाषा और विशेषताएँ मशीन स्वतंत्र भाषाएं, जिन्हें उच्च-स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाएं भी कहते हैं, उन भाषाओं को संदर्भित करती हैं जो हार्डवेयर की विशिष्टताओं से अविचलित होती हैं। इन भाषाओं का उद्देश्य प्रोग्रामरों को ऐसे कोड लिखने की अनुमति देना है जो विभिन्न प्रकार की हार्डवेयर औरRead more
मशीन स्वतंत्र भाषाएं
परिभाषा और विशेषताएँ मशीन स्वतंत्र भाषाएं, जिन्हें उच्च-स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाएं भी कहते हैं, उन भाषाओं को संदर्भित करती हैं जो हार्डवेयर की विशिष्टताओं से अविचलित होती हैं। इन भाषाओं का उद्देश्य प्रोग्रामरों को ऐसे कोड लिखने की अनुमति देना है जो विभिन्न प्रकार की हार्डवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम पर चल सके, बिना हार्डवेयर की बारीकियों को समझे।
मशीन स्वतंत्र भाषाओं के उदाहरण
मशीन स्वतंत्र भाषाओं में लिखे गए कोड को कम्प्यूटर कैसे निष्पादित करता है?
मशीन स्वतंत्र भाषाओं के लाभ
हाल की प्रगति
निष्कर्ष मशीन स्वतंत्र भाषाएँ एक महत्वपूर्ण एब्स्ट्रैक्शन परत प्रदान करती हैं जो डेवलपर्स को पोर्टेबल और रखरखाव योग्य कोड लिखने की अनुमति देती हैं, बिना हार्डवेयर की जटिलताओं की चिंता किए। मध्यवर्ती कोड में संकलन और व्याख्या या JIT संकलन की तकनीकों का उपयोग करके, ये भाषाएँ विभिन्न कंप्यूटिंग वातावरण में कुशलता से काम करती हैं। हाल की उन्नतियों और उपकरणों के साथ, इन भाषाओं की क्षमताओं और पोर्टेबिलिटी को और बढ़ाया गया है, जो आधुनिक सॉफ़्टवेयर विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
See lessकम्प्यूटर की प्राथमिक मेमोरी क्या है?
कम्प्यूटर की प्राथमिक मेमोरी परिभाषा और कार्य प्राथमिक मेमोरी, जिसे मुख्य मेमोरी या RAM (रैंडम एक्सेस मेमोरी) भी कहते हैं, कम्प्यूटर की ऐसी मेमोरी है जो CPU (सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट) के साथ सीधा संपर्क में रहती है। इसका उपयोग डेटा और निर्देशों को स्टोर करने के लिए किया जाता है जो वर्तमान में उपयोगRead more
कम्प्यूटर की प्राथमिक मेमोरी
परिभाषा और कार्य प्राथमिक मेमोरी, जिसे मुख्य मेमोरी या RAM (रैंडम एक्सेस मेमोरी) भी कहते हैं, कम्प्यूटर की ऐसी मेमोरी है जो CPU (सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट) के साथ सीधा संपर्क में रहती है। इसका उपयोग डेटा और निर्देशों को स्टोर करने के लिए किया जाता है जो वर्तमान में उपयोग में हैं या प्रोसेस किए जा रहे हैं। यह मेमोरी कम्प्यूटर सिस्टम की कुशलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह डेटा और निर्देशों तक त्वरित पहुँच प्रदान करती है।
प्राथमिक मेमोरी के प्रकार
कम्प्यूटिंग में महत्व
हाल की प्रगति
निष्कर्ष सारांश में, प्राथमिक मेमोरी, जिसमें RAM और ROM दोनों शामिल हैं, कम्प्यूटर सिस्टम के समग्र प्रदर्शन और कार्यक्षमता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इन तकनीकों में हाल की उन्नतियाँ आधुनिक कम्प्यूटरों और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों की दक्षता, गति, और क्षमताओं को बढ़ावा देती हैं।
See lessकिण्वन को परिभाषित कीजिए।
किण्वन को परिभाषित कीजिए परिभाषा किण्वन एक जैविक प्रक्रिया है जिसमें सूक्ष्मजीव (जैसे बैक्टीरिया, यीस्ट या फफूंद) की उपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट्स (जैसे शर्करा) को बिना ऑक्सीजन (एरोबिक) के पराबर्तन की प्रक्रिया द्वारा परिवर्तित किया जाता है। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप विभिन्न रसायनिक उत्पाद उत्पन्Read more
किण्वन को परिभाषित कीजिए
परिभाषा
किण्वन एक जैविक प्रक्रिया है जिसमें सूक्ष्मजीव (जैसे बैक्टीरिया, यीस्ट या फफूंद) की उपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट्स (जैसे शर्करा) को बिना ऑक्सीजन (एरोबिक) के पराबर्तन की प्रक्रिया द्वारा परिवर्तित किया जाता है। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप विभिन्न रसायनिक उत्पाद उत्पन्न होते हैं, जैसे एथेनॉल (शराब), लैक्टिक एसिड, या कार्बन डाइऑक्साइड।
किण्वन की प्रक्रिया
किण्वन के प्रकार
1. एथेनॉल किण्वन
2. लैक्टिक एसिड किण्वन
3. एसीटिक एसिड किण्वन
हाल के उदाहरण
1. खाद्य और पेय उद्योग
2. ईंधन उत्पादन
3. दवा उद्योग
निष्कर्ष
किण्वन एक महत्वपूर्ण जैविक प्रक्रिया है जो शर्करा को विभिन्न उत्पादों में परिवर्तित करती है, और यह खाद्य, पेय, दवा, और ऊर्जा उद्योगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस प्रक्रिया के समझने से न केवल पारंपरिक खाद्य और पेय पदार्थों के निर्माण में मदद मिलती है, बल्कि यह आधुनिक औद्योगिक और चिकित्सा अनुप्रयोगों में भी महत्वपूर्ण है।
See lessM-कोश (कक्षा) में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या क्या होगी?
M-कोश (कक्षा) में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या M-कोश, जिसे कक्षा 3 भी कहा जाता है, के लिए इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या की गणना करने के लिए निम्नलिखित सूत्र का उपयोग किया जाता है: अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या=2n2\text{अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या} = 2n^2 अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या=2n2 जहाँ nnRead more
M-कोश (कक्षा) में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या
M-कोश, जिसे कक्षा 3 भी कहा जाता है, के लिए इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या की गणना करने के लिए निम्नलिखित सूत्र का उपयोग किया जाता है:
अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या=2n2
जहाँ
n कक्षा का प्राथमिक क्वांटम नंबर है। M-कोश के लिए
n=3 होता है।
गणना:
n=3
इसलिए,
अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या=2×(3)2=2×9=18
निष्कर्ष:
M-कोश (कक्षा 3) में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या 18 होती है।
See lessअधिकांश जीवाणु कोशिका भित्तियाँ किस पदार्थ की होती हैं?
अधिकांश जीवाणु कोशिका भित्तियाँ किस पदार्थ की होती हैं? जीवाणु कोशिका भित्तियाँ मुख्य रूप से पेप्टिडोग्लाइкан (या म्यूरिन) से बनी होती हैं। पेप्टिडोग्लाइкан एक संरचनात्मक पोलिसैकेराइड है जिसमें निम्नलिखित तत्व शामिल हैं: ग्लाइकोपेप्टाइड चेन: ये लंबे पॉलीसैकेराइड अनुक्रम होते हैं जो जीवाणु कोशिका भितRead more
अधिकांश जीवाणु कोशिका भित्तियाँ किस पदार्थ की होती हैं?
जीवाणु कोशिका भित्तियाँ मुख्य रूप से पेप्टिडोग्लाइкан (या म्यूरिन) से बनी होती हैं।
पेप्टिडोग्लाइкан एक संरचनात्मक पोलिसैकेराइड है जिसमें निम्नलिखित तत्व शामिल हैं:
महत्वपूर्ण बिंदु:
निष्कर्ष:
जीवाणु कोशिका भित्तियाँ मुख्यतः पेप्टिडोग्लाइкан से बनी होती हैं, जो उनकी संरचना और स्थिरता के लिए जिम्मेदार है।
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