भारत में 1970 के दशक में प्रारंभ हुए नवीन किसान आंदोलनों का विवरण दीजिए। (उत्तर 250 शब्दों में दें)
स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत भारत के एकीकरण में सरदार पटेल की भूमिका सरदार पटेल, स्वतंत्रता के बाद भारत के एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाई। उन्होंने राज्य प्रशासनिक समस्याओं को सुलझाने के लिए राजनीतिक और कूटनीतिक कौशल का उपयोग किया। 1. राज्य विलय: उन्होंने 562 से अधिक प्रारंभिक स्वतंत्र रियासतों कRead more
स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत भारत के एकीकरण में सरदार पटेल की भूमिका
सरदार पटेल, स्वतंत्रता के बाद भारत के एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाई। उन्होंने राज्य प्रशासनिक समस्याओं को सुलझाने के लिए राजनीतिक और कूटनीतिक कौशल का उपयोग किया।
1. राज्य विलय: उन्होंने 562 से अधिक प्रारंभिक स्वतंत्र रियासतों को भारत में विलीन कराया, जैसे हैदराबाद और जम्मू-कश्मीर।
2. सिंहासन बंधन: पटेल ने विनम्रता और दृढ़ता से रियासतों के शासकों को समझाया और उन्हें भारतीय संघ में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
3. स्थिरता और सुरक्षा: उनके नेतृत्व में भारतीय प्रशासनिक सेवा को सुदृढ़ किया और सुरक्षा की स्थिति को बनाए रखा।
पटेल की कूटनीति और प्रशासनिक क्षमता ने भारत को एक सशक्त और एकीकृत राष्ट्र में बदलने में अहम भूमिका निभाई।
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1970 के दशक में भारत में नवीन किसान आंदोलनों की शुरुआत हुई, जो किसानों की बदलती आवश्यकताओं और अधिकारों के प्रति जागरूकता का प्रतीक थे। ये आंदोलन पुराने किसान आंदोलनों से इस मायने में अलग थे कि इनमें नए प्रकार की संगठनात्मक ढांचा और मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया। 1970 के दशक के किसान आंदोलनों कीRead more
1970 के दशक में भारत में नवीन किसान आंदोलनों की शुरुआत हुई, जो किसानों की बदलती आवश्यकताओं और अधिकारों के प्रति जागरूकता का प्रतीक थे। ये आंदोलन पुराने किसान आंदोलनों से इस मायने में अलग थे कि इनमें नए प्रकार की संगठनात्मक ढांचा और मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
1970 के दशक के किसान आंदोलनों की शुरुआत हरित क्रांति के प्रभाव से हुई। हरित क्रांति ने जहां एक ओर कृषि उत्पादन में वृद्धि की, वहीं दूसरी ओर असमानता भी बढ़ाई। छोटे और मध्यम किसान इस क्रांति से वंचित रह गए, क्योंकि उनकी पहुंच उन्नत तकनीक और संसाधनों तक नहीं थी। इससे असंतोष फैलने लगा और किसानों ने संगठित होकर अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई।
इस काल के प्रमुख किसान आंदोलनों में महाराष्ट्र का शेतकारी संगठन (शेतकरी संघटना) प्रमुख था, जिसे शरद जोशी ने 1979 में स्थापित किया। यह आंदोलन किसानों के लिए उचित मूल्य, भूमि सुधार, और सरकारी हस्तक्षेप के खिलाफ था। इसी तरह, पंजाब में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) का गठन हुआ, जिसने किसानों के आर्थिक हितों के लिए संघर्ष किया।
इन आंदोलनों में किसानों ने सरकारी नीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाई, जैसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि, कर्ज माफी, और बिजली तथा सिंचाई के साधनों पर सब्सिडी की मांग। इन आंदोलनों ने किसानों को एकजुट किया और उन्हें राजनीतिक रूप से भी संगठित किया।
1970 के दशक के किसान आंदोलन न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण थे। इन्होंने भारतीय कृषि नीति में बदलाव लाने के लिए सरकार पर दबाव डाला और किसानों की समस्याओं को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनाया।
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