उत्तर प्रदेश की राजस्व व्यवस्था के समक्ष मुख्य चुनौतियाँ क्या हैं? (125 Words) [UPPSC 2021]
उत्तर प्रदेश की विधान सभा में विधि-निर्माण प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में संपन्न होती है: विधेयक का मसौदा: विधेयक (बिल) सरकार द्वारा मंत्री या एक सदस्य द्वारा पेश किया जा सकता है। यह मसौदा विधायी प्रस्तावों के लिए तैयार किया जाता है, जिसमें कानूनी विशेषज्ञों और संबंधित विभागों की सलाह शामिल होती है।Read more
उत्तर प्रदेश की विधान सभा में विधि-निर्माण प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में संपन्न होती है:
- विधेयक का मसौदा: विधेयक (बिल) सरकार द्वारा मंत्री या एक सदस्य द्वारा पेश किया जा सकता है। यह मसौदा विधायी प्रस्तावों के लिए तैयार किया जाता है, जिसमें कानूनी विशेषज्ञों और संबंधित विभागों की सलाह शामिल होती है।
- परिचय: विधेयक विधानसभा में प्रस्तुत किया जाता है। विधेयक प्रस्तुतकर्ता उसके उद्देश्यों और महत्व पर संक्षिप्त जानकारी देता है।
- पहली पठन: विधेयक का पहला पठन होता है, जो केवल विधेयक के शीर्षक और उद्देश्यों की घोषणा होती है। इस चरण में किसी भी चर्चा की आवश्यकता नहीं होती।
- दूसरा पठन: विधेयक की व्यापक चर्चा होती है। सदस्य इसके सिद्धांत, लाभ और हानियों पर चर्चा करते हैं और मतदान करते हैं कि क्या विधेयक को स्वीकृत किया जाए।
- समिति चरण: यदि विधेयक दूसरा पठन पार कर जाता है, तो इसे विशेष समिति के पास भेजा जाता है। समिति विधेयक की विस्तृत समीक्षा करती है और आवश्यक संशोधन प्रस्तावित करती है।
- रिपोर्ट चरण: समिति की रिपोर्ट और संशोधनों के साथ विधेयक को विधानसभा में प्रस्तुत किया जाता है। इस चरण में विधेयक पर फिर से चर्चा होती है और और संशोधन किए जा सकते हैं।
- तीसरा पठन: अंतिम रूप से तैयार विधेयक पर चर्चा होती है और मतदान किया जाता है। यदि विधेयक पारित हो जाता है, तो यह गवर्नर के पास अनुमोदन के लिए भेजा जाता है।
- गवर्नर की स्वीकृति: गवर्नर विधेयक पर हस्ताक्षर करते हैं, और विधेयक कानून बन जाता है।
इस प्रक्रिया के माध्यम से विधेयक की सभी पहलुओं पर सावधानीपूर्वक विचार और चर्चा की जाती है, ताकि प्रभावी और न्यायसंगत कानून बनाए जा सकें।
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कर चोरी: व्यापक कर चोरी और बड़ी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के कारण सटीक राजस्व संग्रह में बाधा उत्पन्न होती है और राज्य के वित्तीय संसाधनों में कमी आती है। प्रशासनिक अक्षमताएँ: पुरानी प्रक्रियाएँ और राजस्व विभागों के बीच समन्वय की कमी से कर संग्रहण और भूमि प्रबंधन में देरी और अक्षमता होती है। भूमRead more
इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए कर प्रशासन में सुधार, भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन में आधुनिकीकरण, और पारदर्शिता बढ़ाने की आवश्यकता है।
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